विभागीय पशु संवर्धन मुख्यालय में रिक्त पदों का ग्रहण
जानवरों को इलाज हेतु ले जाना पडता है नागपुर

* जनप्रतिनिधियों का समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं
अमरावती/दि.6 – कृषि प्रदान महाराष्ट्र में जितना महत्व खेती-किसानी को है, उतना ही महत्व पशुपालन को भी है. जिसके चलते गाय, बैल व भेड-बकरी जैसे पालतू मवेशियों व पशुओं के इलाज हेतु तहसील एवं जिलास्तर पर स्वतंत्र पशु वैद्यकीय चिकित्सालय उपलब्ध कराए गए है. साथ ही पांचों जिलों का विभागीय पशु संवर्धन मुख्यालय भी अमरावती में ही है. परंतु जिले के साथ-साथ विभागीय पशु संवर्धन मुख्यालय में रिक्त पदों के चलते डॉक्टरों सहित कर्मचारियों पर अतिरिक्त काम का तनाव व बोझ बढ गया है. जिसका परिणाम इलाज के लिए लाए जाने वाले जानवरों के साथ ही मवेशी पालकों व पशु मालिकों को भुगतना पड रहा है. क्योंकि विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव रहने पर पालतू मवेशियों व जानवरों को इलाज के लिए नागपुर ले जाना पडता है. ऐसे में सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर जनप्रतिनिधियों द्बारा इस समस्या की ओर कब ध्यान दिया जाएगा.
बता दें कि, अमरावती जिले का पशु संवर्धन चिकित्सालय तथा विभागीय पशु संवर्धन मुख्यालय स्थानीय मुख्य डाक घर व तहसील कार्यालय के पास स्थित है. जहां पर पालतू मवेशियों व जानवरों के चिकित्सा व उपचार हेतु सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है. विशेष उल्लेखनीय है कि, केवल 10 रुपए का नाम मात्र शुल्क लेकर इस पशु चिकित्सालय में पालतू मवेशियों व पालतू जानवरों का इलाज किया जाता है. यद्यपि यह चिकित्सालय केवल शहरी क्षेत्र हेतु बनाया गया है. परंतु यहां पर जिले के ग्रामीण क्षेत्रोें से भी पालतू मवेशियों और जानवरों को इलाज हेतु लाया जाता है. जिसके चलते यहां पर रोजाना 90 से 100 पालतू जानवरों व मवेशियों पर इलाज होता है. परंतु इस कार्यालय में दो महत्वपूर्ण पद रिक्त पडे है. हालांकि इसके बावजूद यहां उपस्थित डॉक्टरों व कर्मचारियों की सहायता से पशुओं व इलाज व चिकित्सा संबंधित काम किए जाते है. जिसके तहत जिला पशु चिकित्सालय में 1 वर्ष के दौरान करीब 1300 ऑपरेशन होते है और प्रत्येक 3 माह में औसतन 66 से अधिक एक्सरे निकाले जाते है. इस पशु चिकित्सालय में सभी तरह के जानवरों व इलाज किया जाता है. इसके तहत भेड, बकरी, कुत्ते, बिल्ली, सुअर, घोडे, गाय, भैस, बैल व गधे आदि जानवरों का रोग प्रतिबंधात्मक टीकाकरण करने के साथ-साथ जरुरत पडने पर उनकी छोटी-बडी शल्यक्रियाएं भी की जाती है. इसके अलावा रक्त व रक्तजल जांच, चारा, पानी व विसरा सैम्पल की जांच सोनोग्रॉफी व एक्सरे जांच भी की जाती है. सबसे विशेष उल्लेखनीय यह है कि, दवाखाने के साथ ही किसानों के यहां जाकर जानवरों का कृत्रिम रेतन भी किया जाता है और इन सभी तरह की चिकित्सा सुविधाओं के लिए केवल 10 रुपए का शुल्क लिया जाता है. जिसके चलते मवेशी पालक किसानों के साथ-साथ पालतू जानवरों के मालिकों का रुझान जिला पशु चिकित्सालय की ओर अधिक होता है. यहां पर सुबह से ही अच्छी खासी भीड भाड रहती है.
पशु विकास अधिकारी डॉ. एस. आर. ठोसर द्बारा दी गई जानकारी के मुताबिक जिला पशु चिकित्सालय में हर तरह के जानवर की छोटी-बडी शल्यक्रिया के लिए तमाम आवश्यक सेवाएं व सुविधाएं मौजूद है. लेकिन ऑर्थोपेडिक सर्जरी के लिए आवश्यक 3 करोड रुपए वाली मशीन यहां पर नहीं है. ऐसे में ऑर्थोपेडिक सर्जरी के लिए जानवरों को नागपुर भेजना पडता है. साथ ही यहां पर डॉक्टरों के दो पद रिक्त रहने के चलते फिलहाल कार्यरत डॉक्टरों का स्वास्थ्य कर्मियों पर काम का अतिरिक्त बोझ पडता है.
* विभागीय कार्यालय से केवल प्रशासकीय कामकाज
जिला पशु शल्यचिकित्सा कार्यालय में सभी तरह के जानवरों का उपचार किया जाता है. वहीं विभागीय कार्यालय में केवल प्रशासकीय कामकाज चलता है. विभागीय कार्यालय में किसी भी मवेशी या जानवर पर कोई उपचार नहीं किया जाता. बल्कि पशु गणना, कर्मचारियों की समस्या, प्राणियों की समस्या व प्रशासकीय कामकाज के लिए इस कार्यालय द्बारा काम किया जाता है.
– डॉ. संजय कावरे,
जिला पशु संवर्धन अधिकारी