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फसल मंडी के चुनाव पर लग सकता है ‘ग्रहण’

अमरावती व भातकुली तहसीलों की 25 ग्रापं का खत्म हो चुका है कार्यकाल

* प्रारुप मतदाता सूची में इन 25 ग्रापं के सदस्यों का नहीं रहेगा समावेश
* मामला फंस सकता है आपत्ति व आक्षेप के चक्कर में
* 14 नवंबर को प्रकाशित होनी है प्रारुप मतदाता सूची
* 23 दिसंबर से सभी 12 मंडियों में शुरु होगी चुनावी धामधूम
अमरावती/दि.7- लंबे इंतजार के बाद अमरावती जिले की 12 फसल मंडियों के चुनाव को लेकर हलचलेें व गतिविधियां तेज हो गई है और इन सभी 12 कृषि उत्पन्न बाजार समितियों की प्रारुप मतदाता सूची मंडी सचिवों द्वारा जिला उपनिबंधक के पास प्रस्तुत की जा चुकी है. जिन्हें आगामी 14 नवंबर को प्रकाशित किया जाएगा और इसके बाद 23 दिसंबर से चुनावी धामधूम शुरु हो जाएगी. किन्तु इसके साथ ही अमरावती फसल मंडी के चुनाव पर अभी से सवालिया निशान लगता दिखाई दे रहा है. क्योंकि अमरावती कृषि उत्पन्न बाजार समिति में अमरावती व भातकुली इन दो तहसीलों का समावेश होता है और इस समय इन दोनों तहसीलों की करीब 25 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और वहां पर नये सदस्यों का चुनाव होना भी बाकी है. ऐसे में इन ग्रामपंचायतों को फसल मंडी के चुनाव में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल सकता है. यदि इन ग्रामपंचायतों के निवर्तमान सदस्यों के नाम प्रारुप मतदाता सूची में बतौर मतदाता शामिल ही रहें तो उनके मताधिकार को लेकर आपत्ति व आक्षेप निश्चित तौर पर उठाये जाएंगे और चूंकि इन ग्रामपंचायतों ेंंमें आगामी एक माह के भीतर चुनाव नहीं होना है. ऐसे में नये सदस्यों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सकते.
बता दें कि फसल मंडी के चुनाव में कुल 18 संचालक चुने जाते हैं. जिसमें से ग्रामपंचायत निर्वाचन क्षेत्र से चार संचालकों का चयन होता है और इस निर्वाचन क्षेत्र में सभी ग्रामपंचायतों के सरपंचों व सदस्यों द्वारा मतदान किया जाता है. बेहद प्रतिष्ठापूर्ण माने जाते इस निर्वाचन क्षेत्र में एक-एक वोट का काफी महत्व रहता है. परन्तु अमरावती व भातकुली तहसील की कार्यकाल खत्म कर चुकी 25 ग्रापं को यदि इस मतदान प्रक्रिया से अलग किया जाता है तो इस निर्वाचन क्षेत्र मे ंकरीब 300 वोट हटेंगे. जिसका खामियाजा संबंधित ग्रापं क्षेत्रों पर अपनी मजबूत पकड़ रखनेवाले और चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों को उठाना पड़ सकता है. ऐसे में यह अभी से तय है कि आगामी 14 नवंबर को प्रारुप मतदाता सूची घोषित होते ही इसे लेकर निश्चित रुप से आपत्ति व आक्षेप दर्ज कराये जायेंगे और इन आपत्तियों व आक्षेप के निराकरण का फिलहाल स्थानीय उपनिबंधक कार्यालय एवं जिला प्रशासन के पास कोई उपाय नहीं.
ज्ञात रहे कि कोविड संक्रमण काल के दौरान करीबन सभी फसल मंडियों के संचालक मंडलों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और सभी फसल मंडियों के संचालक मंडल के इससे पहले एक से अधिक बार समयावृद्धि दी गई थी. क्योंकि उस समय चुनाव करवाना किसी भी लिहाज से संभव नहीं था. वहीं विगत जून- जुलाई माह के आसपास सभी फसल मंडियों के संचालक मंडलों को बर्खास्त करते हुए वहां पर प्रशासक की नियुक्ति की गई और इसके बाद राज्य सरकार निर्वाचन प्राधिकरण के निर्देश पर अब इन सभी फसल मंडियों में चुनावी प्रक्रिया शुरु की गई है. इसके तहत अमरावती, तिवसा, मोर्शी, वरुड, चांदूर रेल्वे, चांदूर बाजार, धामणगांव रेल्वे, नांदगांव खंडेश्वर, अचलपुर, अंजनगांव सुर्जी, दर्यापुर व धारणी फसल मंडी में प्रारुप मतदाता सूची की प्रक्रिया चल रही है. जिसके बाद आगामी 14 नवंबर को प्रारुप मतदाता सूची घोषित की जाएगी. जिस पर मिलने वाले आपत्तियों व आक्षेपों का निपटारा करते हुए 7 दिसंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी की जायेगी. लेकिन अमरावती व भातकुली इन दो तहसीलों का प्रतिनिधित्व करने वाली अमरावती फसल मंडी में प्रारुप मतदाता सूची को लेकर भी अच्छा खासा पेंच फंसने का अनुमान है. इसके चलते अगर कार्यकाल खत्म हो चुकी 25 ग्रामपंचायतों का मसला अभी खत्म नहीं हुआ, तो 7 दिसंबर को अंतिम मतदाता सूची घोषित करने का मामला खटाई में पड़ सकता है.
वहीं दूसरी ओर तिवसा एवं धारणी फसल मंडी की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर रहने औ़र इन फसल मंडियों द्वारा चुनाव के लिये निधि उपलब्ध कराने में असमर्थ रहने के चलते इन स्थानों का चुनाव कैसे करवाये जायेंगे, इसको लेकर सरकार प्राधिकरण द्वारा निर्णय लिया जाएगा. बता दें कि जिले की सभी बाजार समितियों में कुछ समय तक कुल 17 हजार 777 मतदाता है जो अपने अपने क्षेत्र की बाजार समितियों में विविध निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और हर फसल मंडी में 18-18 संचालक चुने जायेंगे.

18 पदों के लिये चुनाव
कृषि बाजार समिति में 18 संचालक होंगे. जिसमें से सर्वाधिक 11 संचालक सेवा सहकारी सोसाइटी निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाते हैं. इसके अलावा ग्रापं निर्वाचन क्षेत्र से 4, अडत व व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र से 2 तथा हमाल व मापारी निर्वाचन क्षेत्र से 1 संचालक का चयन होता है.

किसानों के मताधिकार को लेकर लंबे समय तक अटका रहा मामला
विशेष उल्लेखनीय है कि राज्य की पूर्व की फडणवीस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान फसल मंडियों में किसानों को भी मताधिकार प्रदान किया था. ऐसे में फसल मंडियों के चुनाव में मतदाता संख्या काफी अधिक बढ़ गई थी. इसकी वजह से मतदाता सूची तैयार करने पर फसल मंडियों को अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ी. चूंकि स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव की तरह फसल मंडी के चुनावी खर्च का जिम्मा सरकार द्वारा नहीं उठाया जाता. बल्कि हर फसल मंडियां अपने यहां होने वाले चुनाव के खर्च हेतु अपने पास सेस के तौर पर जमा होने वाली राशि में से निधि का इंतजाम करना पड़ता है. जिसके चलते किसानों को मताधिकार देते हुए चुनाव करवाना सभी फसल मंडियों के लिये काफी महंगा सौदा सााबित हुआ था. ऐसे में महाविकास आघाड़ी सरकार ने फसल मंडियों के चुनाव पुरानी पद्धति से ही करवाने का निर्णय लिया था. जिसके चलते फसल मंडियों के चुनाव में किसानों के सीधे मतदान का अधिकार खत्म किया गया. पश्चात विगत जून माह में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार ने एक बार फिर किसानों के मताधिकार देते हुए फसल मंडियों के चुनाव करवाने का विचार करना शुरु किया. परन्तु इसका राज्य बाजार समिति संघ द्वारा पुरजोर विरोध किया गया और इस मामले को लेकर हाइकोर्ट में याचिका भी दायर की गई. जिसके चलते राज्य सरकार ने किसानों के मताधिकार वाले मामले को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया. ऐसे में फसल मंडियों के चुनाव की गाड़ी थोड़ी आगे बढ़ पायी है.

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