
अमरावती/दि.31 – जारी वर्ष के दौरान कोविड संक्रमण का असर धीरे-धीरे कम होने के दौरान अचानक ही जिले का मिनी मंत्रालय कही जाती जिला परिषद में नियोजन को लेकर बम फूटा और एक तरह से राजनीतिक भूचाल आ गया. जिसके तहत करीब 135 करोड रूपयों के नियोजन को लेकर सत्ताधारी व विपक्षी दलों में जबर्दस्त टकराव की स्थिति बनी.
उल्लेखनीय है कि जारी वर्ष के दौरान कोरोना के चलते विकासात्मक कामों में काफी खंड पडा और धीरे-धीरे कोविड को लेकर हालात नियंत्रण में आने के बाद विकास कामों को गति मिली. जिसके लिए सत्ताधारी दल द्वारा 135 करोड रूपयों के कामों का नियोजन किया गया. किंतु विपक्षी सदस्यों द्वारा इस पर आक्षेप लेते हुए सीधे न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया. ऐसे में कई कामोें पर ब्रेक लग गया. पूरा साल बडे आराम से बीतने के बाद दिसंबर माह में वर्ष की ऐन समाप्ती के समय नियोजन को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तनातनी दिखाई दी.
जारी वर्ष में राज्य विधानमंडल की पंचायतराज समिती के दौरे की वजह से भी जिला परिषद में हलचलें काफी तेज रही. पंचायत राज समिती के तीन दिवसीय दौरे ने स्थानीय अधिकारियों को हिलाकर रख दिया. इसी दौरान जिप के निर्माण विभाग की आर्थिक अनियमितताओें का मामला भी सामने आया. सुरक्षा निधी के तौर पर ठेकेदार से ली जानेवाली रकम जिप के खाते में जमा न होते हुए अधिकारियों की सहमति से केवल धनादेश क्रमांक देकर दर्शाने का मामला इसके तहत उजागर हुआ था. जिसे लेकर जिप प्रशासन मेें जबर्दस्त हडकंप मचा.
सुरेश नीमकर को लगी सभापति पद की लॉटरी
जारी वर्ष के दौरान धामणगांव रेल्वे तहसील से वास्ता रखनेवाली जिप सदस्या तथा शिक्षा व निर्माण समिती सभापति प्रियंका दगडकर का अकस्मात ही निधन हो गया. ऐसे में उनके रिक्त पद पर धामणगांव रेल्वे तहसील से ही वास्ता रखनेवाले सुरेश नीमकर का सभापति पद पर चयन किया गया. ऐसे में कार्यकाल के अंतिम दौर में सुरेश नीमकर की मानो अचानक ही सभापति पद की लॉटरी निकल आयी.
जर्जर शालाओं व कक्षाओं का मामला अधर में
जिले में जर्जर व खस्ताहाल हो चुकी शालाओं की किस्मत का ताला इस वर्ष भी नहीं खुला. जिले में जिप शालाओं की करीब 175 कक्षाएं जर्जर व शिकस्त हो चली है. जिन्हें तुरंत सुधारे जाने की जरूरत है. किंतु पूरा वर्ष खत्म हो जाने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया.