लॉकडाउन के चलते नाभिक समाज पर छाया आर्थिक संकट
दूकानें बंद होने से उदर निर्वाह का हो रहा प्रश्न निर्माण
अमरावती/दि.27 – कोरोना महामारी के चलते उपाय योजना के तहत लगाए गए लॉकडाउन की वजह से सभी प्रतिष्ठानों की तरह सलून की दूकानें भी बंद करवा दी गई है. जिसकी वजह से नाभिक समाज पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है और उन्हें अपने परिवार का उदर निर्वाह कैसे करे ऐसा प्रश्न निर्माण हो रहा है. नाभिक समाज का यह पारंपरिक व्यवसाय बंद हो जाने की वजह से सैकडों सलून मालक व कारिगर बेरोजगार हो गए है.
अमरावती शहर सहित जिलेभर में नाभिक समाज की जनसंख्या लगभग डेढ लाख के करीब है. समाज के अधिकतर लोगों का व्यवसाय केश कर्तनालय का है. नाभिक समाज के नागरिक छोटी-मोटी दूकान लगाकर व्यवसाय करते है. इन दूकानदारों के भरोसे कारिगरों के भी घर चलते है दिनभर कडी मेहनत कर 500 से 600 रुपए कमाने वाले नाभिक समाज के लोग पूरी तरह से बेकार हो चुके है. पिछले साल करीब 4 से 5 महीने दूकानें बंद रही थी. कुछ महीनों पहले दूकानें शुरु हुई ही थी कि फिर बंद कर देनी पडी. जिससे सैकडों परिवारों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है.
जिले में 12 हजार दूकानें बंद
कोरोना प्रादुर्भाव की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते जिले की 14 तहसीलों में स्थित 12 हजार दूकानें बंद है. जिससे इन व्यवसायियों पर आर्थिक संकट निर्माण हुआ है.
नाभिक समाज को आर्थिक सहायता दें
कोरोना की पार्श्वभूमि पर जिला प्रशासन द्बारा लगाए गए लॉकडाउन का संपूर्ण नाभिक समाज द्बारा अमल किया जा रहा है. सभी की दूकानें बंद है किंतु नाभिक समाज को अपने परिवार का पालन पोषण करने हेतु आर्थिक सहायता राज्य सरकार द्बारा की जाए. इन दूकानदारों को आपदा प्रबंधन के तहत नुकसान भरपाई दी जाए.
– अंकुश मानकर,
शहर कार्य अध्यक्ष महाराष्ट्र नाभिक युवक महामंडल