अमरावती

सुशिक्षित बेरोजगार भी रोजगार गारंटी के कामों पर

कुशल काम नहीं मिलने के चलते खोद रहे गड्ढे, उठा रहे मिट्टी

अमरावती/दि.12 – ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों रोजगार गारंटी योजना के तहत विभिन्न विकास कार्यों के मेहनत मजदूरी वाले काम शुरु हो गए है. जहां पर बीए, बीकॉम, बीएड, बीएससी, जीएनएम व एएनएम जैसे पाठ्यक्रमों की पदवी प्राप्त उच्च शिक्षित युवक व युवती अपने हाथों में टिकास, फावडे व घमेले लेकर गड्ढे खोदते एवं मिट्टी उठाते दिखाई दे रहे है. क्योंकि उन्हें उनकी पढाई व योग्यता के अनुरुप काम नहीं मिल रहा है. ऐसे में बेरोजगारी व भुखमरी से बचने हेतु वे मेहनत मजदूरी वाले अकुशल काम भी करने के लिए तैयार है.
बमा दें कि, जिले की 584 ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत चल रहे 2,792 कामों पर 42 हजार से अधिक मजदूर कार्यरत है. गर्मी का मौसम शुरु हो जाने के चलते प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक बेरोजगार को रोजगार देने की तैयारी शुरु की है. चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के मौसम दौरान खेतीबाडी से संबंधित कोई काम नहीं होते. जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के अकुशल कामगार रोजगार गारंटी योजना के कामों पर आ जाते है. परंतु विगत कुछ दिनों से ऐसे मेहनत मजदूरी वाले कामों में पढे-लिखे व बेरोजगार युवा भी मेहनत मजदूरी करने के लिए पहुंच रहे है.
सर्वाधिक मजदूर चिखलदरा में
जिले की कुल 839 ग्रामपंचायतों में से 584 ग्रामपंचायतों में 2692 काम चल रहे है. जिनके जरिए 42 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है. जिसमें सर्वाधिक 18,194 मजदूर चिखलदरा तहसील के है.
आधे से अधिक महिला मजदूरों का समावेश
रोजगार गारंटी योजना के कामों पर महिला मजदूरों की संख्या अच्छी खासी देखी जाती है. चिखलदरा, धारणी, अचलपुर, चांदूर बाजार, भातकुली चांदूर रेल्वे, धामणगांव, नांदगांव खंडेश्वर तहसीलों में महिला मजदूरों की संख्या अच्छी खासी है.
रास्ते, तालाब व खेत तालाब के काम शुरु
रोजगार गारंटी योजना के जरिए प्रतिवर्ष जनवरी माह से ही विविध कार्यों का काम शुरु किया जाता है. जिसमें रास्ते, तालाब व खेत तालाब आदि के काम किए जाते है.
मजदूरों में बुजुर्गों का भी समावेश
आदिवासी मेलघाट क्षेत्र सहित अन्य सभी तहसीलों के ग्रामीण इलाकों में अधिकांश परिवार संयुक्त रुप से रहते है और घर के सभी सदस्य काम पर जाते है. ताकि सभी के लिए भोजन पानी का बंदोबस्त हो सके. ऐसे सभी कामों में अब पढे-लिखे युवाओं की हाजिरी भी दिखाई दे रही है.

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