अमरावती

कोरोना से शिक्षकों की मौत मात्र शिक्षा विभाग अनभिन्न

बीमे का प्रस्ताव भी प्रलंबित

  • स्पष्ट गाईड लाइन न रहने से विभाग में संभ्रम

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२६ – मार्च महिने से अमरावती विभाग के हर जिले में कोरोना ने कहर ढा दिया है. प्रशासन ने इस स्थिति को हथियाने के लिए अनेक शिक्षकों की सेवा कोरोना के काम के लिए अधिग्रहित की थी. यह सेवा देते समय अनेक शिक्षक व उनके परिजन पॉजिटीव हुए. इस में से कुछ शिक्षकों की मौत भी हुई. सरकार ने शिक्षकों को ही बीमा कवच की सुरक्षा प्रदान की है. उसके लिए शिक्षकों के प्रस्ताव मांगे जा रहे है. मृत हुए शिक्षकों के बीमा कवच के कितने प्रस्ताव अमरावती विभाग से गए, कितने शिक्षकों की मृत्यु हुई इसकी अधिकृत जानकारी शिक्षण उपसंचालक कार्यालय को नहीं है. मूलत: प्रस्ताव के संदर्भ में शिक्षा विभाग में भी कोई भी स्पष्ट गाईड लाइन न रहने की बात दिखाई देती है.
29 मई 2020 को महाराष्ट्र सरकार के वित्त विभाग ने कोरोना से संबंधित कर्तव्य पर रहने वाले और कोरोना की लागन होकर मृत हुए शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को 50 लाख रुपए का सानुग्रह सहायता रकम देने की यह मुदत 30 जून 2021 तक बढाने का निर्णय निर्गमित किया. इस शासन निर्णय के तहत 30 सितंबर 2020 तक मुदत दी गई थी. दूसरी बात यह मुदत 31 दिसंबर 2020 तब बढाई गई. उसे फिर वृध्दि दी गई है. अभी यह मुदत 30 जून 2021 तक बढाने बाबत शासन निर्णय 14 मई 2021 को वित्त विभाग व्दारा निर्गमित किया गया. कोरोना का बीमा कवच बढाने की अवधि अब तक महाराष्ट्र सरकार के वित्त विभाग ने 3 बार बढाई. किंतु उपलब्ध जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के कोरोना काल में कर्तव्य निभाते समय मृत सभी शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों क प्रस्ताव मंत्रालय में बडी मात्रा में प्रलंबित रहने की जानकारी है. घर के मुख्य व्यक्ति की मौत हो जाने से 50 लाख का बीमा कवच की रकम परिजनों को तत्काल देने के निर्देश रहते हुए एक वर्ष बीतने के बाद भी महाराष्ट्र के मृत हुए एक भी शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के परिवार को लाभ नहीं मिला. केवल मुदत वृध्दि देकर लालच दिखाने का काम सरकार की ओर से किया जा रहा है, ऐसा शिक्षकों का कहना है. प्रलंबित प्रस्ताव का तत्काल निपटारा कर मृत कर्मचारियों के परिजनों को लाभ देने की मांग अनेक शिक्षक संगठनों की ओर से हो रही है.

  • प्रस्ताव बाबत स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं है

मृत हुए शिक्षकों का प्रस्ताव वे कार्यरत रहने वाली शाला ने तैयार कर कहा भेजना चाहिए, यह से प्रश्न निर्माण हो रहा है. मिली हुई जानकारी के अनुसार कुछ शालाओं में शिक्षाधिकारी कार्यालय को प्रस्ताव भेजा. शिक्षाधिकारी कार्यालय ने वह प्रस्ताव जिलाधिकारी व परभारे मंत्रालय में भेजा. शिक्षा विभाग की ओर से बताया गया है कि वह प्रस्ताव शिक्षण उपसंचालक के पास भेजने पडते है, लेेकिन शिक्षण उपसंचालक के कार्यालय में एक भी प्रस्ताव नहीं है. मृत शिक्षकों के बीमे की धांधली की स्थिति निर्माण हुई है.

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