अमरावती

व्यक्ति निर्माण के लिए शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है

विशेष व्याख्यान में डॉ.वेदप्रकाश मिश्रा का कथन, बियाणी कॉलेज में मनाया जा रहा स्वर्ण महोत्सव

अमरावती /दि. १६– ब्रजलाल बियाणी विज्ञान महाविद्यालय के स्वर्ण महोत्सव पर मंगलवार को महाविद्यालयीन परिसर में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम के प्रमुख भाषण में ‘शिक्षा का राष्ट्र निर्माण में योगदान’ विषय पर दत्ता मेघे विश्वविद्यालय के प्र-कुलपति डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि, व्यक्ति निर्माण ही राष्ट्र निर्माण की आद्यशिला है और व्यक्ति निर्माण के लिए शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है. संविधान ने शिक्षा की परिभाषा इस प्रकार की है कि, शिक्षा का लक्ष्य रोजगार नहीं होना चाहिए. शिक्षा का लक्ष्य कमजोर से कमजोर और गरीब से गरीब को सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त करा कर देना है. इस समय मंच पर श्री ब्रजलाल बियाणी शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष एड. अशोक राठी और कॉलेज प्राचार्य दीपक धोटे उपस्थित रहे. उन्होंने आगे बताया कि, सामान्य आदमी की जिंदगी में उसका अस्तित्व, अस्मिता, उसकी पहचान, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के साथ उसकी मान मर्यादा और निश्चितता का प्रतीक शिक्षा के माध्यम से अनुगमित होना चाहिए. शिक्षा क्यों जरुरी है, शिक्षा किसको मिलनी चाहिए? इसका उत्तर भी संविधान में मिलता है कि, जाति, धर्म, समुदाय जैसे सभी भेदभावों से रहित शिक्षा सभी को मिलनी चाहिए. उसी प्रकार शिक्षा का हेतु व्यक्तिगत न होते हुए, सामूहिक और सामाजिक रूप से राष्ट्र निर्माण के लिए होना चाहिए. संविधान में बताया गया है कि, देश में शिक्षा सामाजिक और राष्ट्र निर्मिती के लिए दी जाएगी.डॉ. मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, जब स्वामी विवेकानंद से पूछा गया था कि आपकी नजरों में शिक्षा का उपयोग और औचित्य क्या होगा. तो वे उत्तर देते हैं कि, शिक्षा मानव निर्माण, चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण के लिए होनी चाहिए . स्वामी विवेकानंद के इसी वाक्य से राष्ट्र निर्माण, चरित्र निर्माण और व्यक्ति निर्माण को संविधान परिषद ने समाज निर्माण के अंतर्गत अंतर्भूत कर दिया. शिक्षा की जो अवधारणा विवेकानंद जी ने कही थी, उसी को ध्वनित करने का काम संविधान परिषद ने संविधान पृष्ठभूमि के अंतर्गत किया है. उन्होंने कहा, नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि, प्राइमरी स्कूल में दाखिला लेने वाले ४ बच्चों में १ बच्चा ८ वीं तक एक पहुंचते-पहुंचते ही गायब हो जाता है. ८ वीं कक्षा तक का ड्रॉप आऊट का रेट २५ प्रतिशत है. इंटरमीडिएट शिक्षा का ड्रॉप आऊट रेट ३६ प्रतिशत है. स्नातक शिक्षा का ड्रॉफआऊट रेट ६४ प्रतिशत है और स्नातकोत्तर शिक्षा क्षेत्र में ड्रॉपआऊट रेट सबसे अधिक ८२ प्रतिशत है. उन्होंने कहा देश का दुर्भाग्य है कि, कुल छात्रों में से केवल एक चौथाई बच्चे ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं. देश के तीन चौथाई बच्चे आजादी के ७५ वर्षों बाद भी उच्च शिक्षा से दूर हैं. ड्रॉप आऊट रेट इस देश के लिए अभिश्राप है. समाज अज्ञानी ना हो, अशिक्षित और अकार्यकौशलता यह समाज के तीन अभिश्राप हैं. इनसे बचने के लिए शिक्षा ही एकमात्र पर्याय है जो उस समाज को ज्वलंत, गतिशील, प्रगतिशील बनाने की ताकत रखता है. भारतीय शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत उपस्थित ६ यक्ष समस्याओं पर प्रश्न किए और कहा कि इन ६ प्रश्नों को हल करने के लिए देश के प्रत्येक व्यक्ति को कदम उठाने होंगे.

विविध कार्यक्रमों का आयोजन
स्वर्ण महोत्सव पर दिन भर विविध कार्यक्रम आयोजित हुए. सबसे पहले सुबह १०.३० बजे ‘हां, मेरा भी बॉयफ्रेंड है’ इस विषय पर टॉक शो, दोपहर २ बजे सोशल मीडिया पर व्यक्त होते हैं? थोडा संभलकर रहें! इस विषय पर परिसंवाद और शाम को व्याख्यान का कार्यक्रम आयोजित हुआ. बुधवार को दोपहर २ बजे युवा पीढ़ी क्या पढ़ रही है? क्या पढना चाहिए? इस विषय पर परिसंवाद और प्रेम में काव्य इस विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में संगाबा अमरावती विवि से डॉ. किशोर फुले, संस्था के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश लढ्ढा समेत ब्रजलाल बियाणी शिक्षा संस्था अंतर्गत ब्रजलाल बियाणी महाविद्यालय, नारायणदास लढ्ढा विद्यालय तथा मोहनदास सामरा व भंवरीलाल सामरा विद्यालय के प्राचार्य, उप प्राचार्य, शिक्षक व शिक्षकेत्तर वर्ग व विद्यार्थीगण उपस्थित थे. व्यक्ति निर्माण के लिए शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है

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