शिक्षा सेवक पद्धति हमेशा के लिए होगी खत्म
नये राष्ट्रीय शैक्षणिक नियोजन में शिक्षक नियुक्ति के कड़े निकष
अमरावती/दि.27 – डीएड, बीएड धारकों को अत्यल्प मानधन में तीन वर्ष काम करने वाले शिक्षण सेवक पद्धति अब हमेशा के लिये बंद होने वाली है. नये राष्ट्रीय शैक्षणिक नियोजन में शिक्षकों की पारदर्शक रुप से नियुक्ति करने बाबद नियोजन करती सेवक पध्दति हमेशा के लिये बंद करने की सिफारिश की गई है. इसके लिए 2022 डेडलाईन निश्चित हुई है. केंद्रीय मंत्रिमंडल व्दारा मंजूर किये गये नये नियोजन में शिक्षकों को परिवर्तन का प्रणेता कहा गया है. शिक्षा क्षेत्र के किसी भी परिवर्तन के लिए शिक्षक निरव्यसनी व उच्चशिक्षित होने का उद्देश्य रखा गया है. मात्र फिलहाल की शिक्षक नियुक्ति की पद्धति को देखते हुए इसमें आर्थिक लेन-देन को काफी महत्व है. इस कारण नये नियोजन में टीईटी उत्तीर्ण होना, पश्चात मुलाकात और प्रत्यक्ष अध्यापन का डेमो ऐसे तीन सीढ़ियों पर सफल हुए उम्मीदवार को ही नियुक्ति मिलेगी. लेकिन फिलहाल जिस तरीके से शुरुआत के तीन वर्ष शिक्षण सेवक के रुप में नियोजित मानधन पर काम करने के बाद सहायक शिक्षक के रुप में नियुक्ति दी जाती है, वह पद्धति अब बंद होने वाली है. 2022 तक देशभर से शिक्षक सेवक या पॅरा टीचर्स नियुक्ति की प्रक्रिया बंद की जाएगी.
प्रमोशन के भरपूर अवसर
अब शिक्षकों की नियुक्ति जिलास्तरीय समिति की ओर से करने की भी सिफारिश नये नियोजन में पंजीकृत है. इस कारण फिलहाल की पवित्र प्रणाली मार्फत शुरु की गई भर्ती प्रक्रिया संकट में आने की संभावना है. शिक्षक सिर्फ अध्यापन पर ध्यान केंद्रित कर प्रमोशन के अवसर प्राप्त कर सकेंगे. सभी शैक्षणिक प्रशासकीय पद सिर्फ उत्तम शिक्षकों व प्रशासन में रुचि लेने वाले उम्मीदवारों के लिये ही आरक्षित रखे जायेंगे. इस कारण विस्तार अधिकारी, गट शिक्षणाधिकारी पद पर जाने का मार्ग खुला है.
केंद्र शाला खत्म होगी?
केंद्र शाला खत्म की जाएगी. इस कारण महाराष्ट्र में 1995 से अस्तित्व में आयी केंद्रीय शाला और उसके अंतर्गत आने वाली 10-10 शालाओं के गट संपुष्ट में आने की संभावना है. साथ ही केंद्र प्रमुख के पद भी लुप्त होने की संभावना है. 2023 तक शालेय संकुल यह संकल्पना अमल में लायी जाएगी. इसमें एक ही परिसर के 10 से 20 शासकीय शालाओं का गुट किया जाएगा. इस कारण महाराष्ट्र में 1995 से अस्तित्व में आयी केंद्रीय शाला और उसके अंतर्गत आने वाली 10-10 शालाओं के गुट संपुष्ट में आने की संभावना है. साथ ही केंद्र प्रमुख का पद भी लुप्त होने की संभावना है.