‘असर’ की आड में शैक्षणिक साहित्य सरकारी शाला के मत्थे
प्राथमिक शिक्षक समिति का आरोप
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अमरावती /दि. 6– जिला परिषद की प्राथमिक शाला बाबत गलतफहमी निर्माण कर ग्रामीण क्षेत्र की प्राथमिक शाला सहित शिक्षकों की अवहेलना हो, ऐसी ‘असर’ रिपोर्ट से की जाती रहने की आपत्ति राज्य के प्राथमिक शिक्षकों ने महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के माध्यम से ली है.
‘असर’ की आड में शैक्षणिक साहित्य सरकारी शालाओं को थोपने का प्रयास किया जाता रहने की गंभीर आपत्ति शिक्षकों ने ली है. इतना ही नहीं बल्कि विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता संपादन का सर्वेक्षण प्रभावी होना रहा तो आगामी वर्ष के प्रथम कार्यकर्ताओं के साथ संबंधित जिले के शिक्षकों को भी साथ में लिया जाए और गुणवत्ता की जांच शालेय कामकाज के समय में संबंधित शाला में होने की मांग शिक्षकों ने की है. प्रथम यह गैरसरकारी संस्था शहरी क्षेत्र की शालाओं का कोई भी सर्वेक्षण नहीं करता. केवल ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं का ही करते है. इसके लिए प्रथम के कार्यकर्ता किसी भी शाला में नहीं जाते. वे गांव में, मैदान और सडकों पर फिरनेवाले विद्यार्थियों से सवाल पूछकर शैक्षणिक गुणवत्ता की जांच करते है. इस कारण यह तथाकथित सर्वेक्षण सच्चाई का और पारदर्शक न रहने का आरोप समिति के राज्य महासचिव राजन कोरगांवकर ने किया है. संगठना की तरफ से इस रिपोर्ट का निषेध करते हुए अनेक सवाल खडे किए है. संगठना की तरफ से इस रिपोर्ट का निषेध करते हुए अनेक स्थानों पर उसकी होली की गई है. सरकार का सहयोग न रहते हुए भी गुणवत्ता का आलेख उंचा उठानेवाली सरकारी प्राथमिक शाला में एक शिक्षक, मुख्याध्यापक पर शिक्षा के साथ बढते प्रशासकीय तनाव, भौतिक सुविधा का अभाव, ऑनलाइन-ऑफलाइन काम के कारण प्रभावित होनेवाले दैनंदिन अध्यापन आदि विपरित परिस्थिति में सरकारी शाला की गुणवत्ता का आलेख उंचा उठा है. इस ओर समिति के राज्याध्यक्ष विजय कांबे ने ध्यान केंद्रीत किया है.