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शहर में चल रही छोटे ठेकेदारों को खत्म करने की कोशिश

22 करोड के डीपीसी के काम ‘गब्बर’ ठेकेदारों को

मनपा के केवल 5 ठेकेदारों को डेढ साल में मिले 150 करोड के काम
* बडे ठेकेदार देते हैं 25 से 30 प्रतिशत का कमिशन
* क्वॉलिटी व क्वॉन्टीटी पर किसी का कोई ध्यान नहीं
* उपर से नीचे तक होता है सबकुछ मैनेज
अमरावती /दि.16- इन दिनों अमरावती शहर में निजी ठेके पर लिये जाने वाले कामों की निविदा प्रक्रिया को देखते हुए कहा जा सकता है कि, शायद शहर में छोटे ठेकेदारों को पूरी तरह से खत्म कर देने का काम हो रहा है. क्योंकि कई छोटे-छोटे कामों को आपस में क्लब करते हुए बडे काम का स्वरुप प्रदान किया जा रहा है और फिर इन कामों के ठेके बडे-बडे ठेकेदारों को दिये जा रहे है. इसी नीति के तहत विगत डेढ वर्ष के दौरान अमरावती मनपा द्वारा करीब 150 करोड रुपयों के काम केवल 5 बडे ठेकेदारों को दिये गये है. जिससे अब तक मनपा के साथ काम करने वाले छोटे-छोटे ठेकेदार खाली बैठे हुए है. वहीं अब जिला नियोजन समिति की निधि अंतर्गत किये जाने वाले 22 करोड के काम भी मनपा द्वारा शहर के गब्बर ठेकेदारों को देने का काम किया गया है. मनपा में चल रहे इस कामकाज को देखते हुए दबे स्वर में आरोप लगाये जा रहे है कि, मनपा में बडे ठेकेदारों द्वारा नीचे से उपर तक सबकुछ मैनेज कर लिया गया है. साथ ही 25 से 30 प्रतिशत के कमिशन की खैरात भी बांटी जा रही है. जिसके चलते क्वॉलिटी व क्वॉन्टीटी से किसी का कोई लेना-देना नहीं है.
उल्लेखनीय है कि, मनपा में करीब 150 पंजीकृत ठेकेदार है. जिसमें से केवल 6 बडे ठेकेदारों के नाम पर ही अलग-अलग काम आवंटीत हो रहे है. वहीं बचे हुए ठेकेदारों के पास विगत दो वर्षों से कोई काम नहीं है. चूंकि 3 लाख से लेकर 90 लाख रुपए तक के कामों हेतु पंजीकृत इन ठेकेदारों ने विगत दो वर्षों के दौरान एक भी काम नहीं किया है. जिसके चलते उनके पंजीयन का नुतनीकरण करने में भी समस्या आ सकती है. वहीं वार्ड निहाय व प्रभाग निहाय सफाई ठेके को झोन निहाय ठेके का बडा स्वरुप प्रदान कर चुके मनपा प्रशासन द्वारा अब जिला नियोजन समिति की निधि के तहत किये जाने वाले अलग-अलग विकास कामों को एकसाथ जोडकर क्लब करते हुए बडा काम बनाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन ऐसा करने में खुद मनपा प्रशासन का ही नुकसान है. क्योंकि जब एकसाथ कई कामों को क्लब करते हुए मनपा द्वारा किसी एक बडे काम के नाम पर निविदा जारी की जाती है, तो इसमें संबंधित ठेकेदार को एक ही बार ईएमडी भरनी पडती है. वहीं यदि अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग निविदाएं जारी की जाये, तो संबंधित ठोकेदारों को अलग-अलग निविदाओं हेतु ईएमडी भरनी पडेगी. जिससे स्वाभाविक तौर पर मनपा की तिजोरी में अच्छी खासी आय होगी. लेकिन इसके बावजूद भी मनपा की आय से जुडे इस महत्वपूर्ण विषय की ओर मनपा प्रशासन द्वारा अनदेखी की जा रही है. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि, अपनी मर्जी वाले कुछ खास ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने हेतु चलाये जा रहे विकास कामों के क्लबिंग वाले इस खेल की आड लेकर मनपा में जमकर कमिशनखोरी का खेल खेला जा रहा है. जिसमें नीचे से लेकर उपर तक सबकुछ मैनेज है और हर कोई बहती गंगा में हाथ धोते हुए जमकर चांदी कांट रहा है. इसे लेकर छोटे ठेकेदारों में जमकर असंतोष व्याप्त है. साथ ही पता चला है कि, आगामी 19 फरवरी को डीपीसी के कामों का जायजा लेने हेतु आ रही समिति के सामने मनपा क्वॉन्टेक्टर एसोसिएशन से जुडे छोटे ठेकेदारों द्वारा मुद्दा उपस्थित किया जाएगा. साथ ही अलग-अलग विकास कामों की क्लबिंग को बंद करने की मांग उठाई जाएगी.

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