अमरावतीमहाराष्ट्र

सभी दु:खों का मूल कारण है अहंकार

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने भक्तों को किया संबोधित

अमरावती/दि.1– आध्यात्मिक विचारधारा को लेकर देशभ्रमण पर निकली सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज तथा राजपिताजी का यहां आगमन हुआ. शहर के रुरल ग्राऊंड पर संत निरंकारी मिशन की विचारधाराओं में आस्था रखने वाले भक्तों को मंगलवार को उन्होंने संबोधित किया. माताजी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि, ईश्वर प्राप्ति के द्वारा ही वैश्विक भाईचारे और शांति की स्थापना संभव है. सारे दु:खों का मूल कारण अहंकार है.
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज महाराष्ट्र के 57 समागम पश्चात नागपुर से वे यहां पहुंची थी. शहर के रूरल मैदान पर उन्होंने भक्तों को संबोधित किया. उनका कहना रहा कि, यह शरीर ईश्वर की अमूल्य देन है. परमात्मा ने हमें एक अच्छी सोच के साथ इस धरती पर भेजा है. मन में सदैव परोपकार की भावना रही तो वह शुद्ध रहता है. सोच तभी ठीक होती है, जब भाव ठीक हो. अच्छी सोच होगी तो हमारे मन में अच्छे भाव आएंगे. अहंकार की नैया से उतर का स्वयं को विनम्र बनाएं. ईगो अर्थात अहम को त्याग कर विनम्रता के साथ अपने सत्कर्मो को करते रहिये. ईश्वर ने हमें इस धरती पर परोपकार के लिए भेजा है. किसी का दोहन करने के बजाय आप अपने मन को अहंकार रहित सतकार्यो में लगाएं. अपने मन में उपज रहे अहंकार को हमें त्यागना है. प्रत्येक मनुष्य में एक परमात्मा का अंश होता है. वह हमें किस रूप में मिलेगा, यह कह नहीं सकते है. अंत में उनका कहना रहा कि, मन को अहंकार से दूर रखें.
उनका कहना रहा कि, ईश्वर का बोध अर्थात ब्रह्मज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है. मानव शरीर पाकर भी परमात्मा से अनभिज्ञ रहना वास्तव में मानव के लिए बहुत बडी क्षति है. परमात्मा के अनगिनत गुण है. इन गुणों के आधार पर इसे सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, शाश्वत, असीम निराकार आदि नामों से पुकारा जाता है. अगर आपके भाव ही दूषित है तो आप सत्कर्म कैसे कर सकते है. मन को अहंकार से बाहर निकालें.
धन निरंकारी जी, हम आपसे मिल कर धन्य हुए. हर भक्त, हर कार्य में जुटे बच्चे, युवा तथा बुजुर्गो में यही भाव देखने को मिला. संत निरंकारी मिशन से जुडे हर भक्त की सेवा, भावना इस वक्त देखने को मिल रही थी. संत निरंकारी मिशन इस ब्रह्मज्ञान को जीवन में ढालने और कायम रखने के लिए सेवा, सुमिरन और सत्संग के प्रति अपने अनुयायियों को प्रेरित करता है. मिशन के लाखो स्वयंसेवक निरंकारी सेवा दल का हिस्सा बनकर इस समय निष्काम भाव से सेवा कर रहे थे.
लगभग 1200 बच्चे तथा 800 बेटियों के अलावा अनुयायियों ने निष्काम भाव से मंगलवार को आयोजित समारोह में हिस्सा लिया. इस अवसर पर मैदान पर लंगर, ब्लड-शुगर कैम्प जैसे विविध जनोपयोगी स्टॉल्स लगाए गए थे. संपूर्ण परिसर को कालीन के बिछाकर तैयार किया गया था. सतगुरु मा सदीक्षाजी महाराज तथा राजपिताजी पधारने से पूर्व सभी धर्मावलंबियों ने अपनी-अपनी भाषा, भक्तिगीत से अपनी श्रद्धा प्रकट की.
मंगलवार को तीन घंटे तक चले समारोह की जिम्मेदारी सन्त निरंकारी मिशन के महेशलाल पिंजानी ने स्वीकारी थी. उनकी अगुवाई में मिशन से जुडे भक्तों ने निष्काम भाव के साथ समारोह का आयोजन किया था.
बुधवार को नागपुर मार्ग स्थित ड्रीमलैंड के सामने निरंकारी भवन पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज तथा राजपिताजी के चरणों में नमन के लिए दोपहर 12 से 2 बजे तक समारोह रखा गया है. यहां का समारोह निपटाने के पश्चात माता अगले मिशन के लिए अकोट की ओर रवाना होंगी. अकोट के पश्चात वे बुरहानपुर, भुसावल, धुलिया, नाशिक, अहमदनगर, बारामती, पुणे तथा मुंबई में मिशन के समारोह में हिस्सा लेंगी. दस महीने देश में तथा दो महीने विदेश में मिशन को लेकर माता सुदीक्षा महाराज साहब तथा राजपिताजी का भ्रमण रहता है. संत निरंकारी मिशन की स्थापना 1929 में पेशावर में हुई थी. जुलाई 2018 में सुदीक्षा जी महाराज को मिशन का उत्तरदायित्व सौंपा गया. सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने गुरु पद पर आसीन होने के पश्चात यही समझाया कि, युवाओं का जोश और बुजुर्गो का होश मिलकर एक सुंदर योगदान दे सकते है. मानवता को मजबूती प्रदान करने के लिए सदगुरु माता जी व उनके जीवन साथी निरंकारी रामपिताजी, व्यावहारिक आध्यात्मिकता अपनाकर जीवन जीने की निरंतर प्रेरणा दे रहे है.

Related Articles

Back to top button