अमरावती/ दि.28 – कई बार अनैतिक संबंधों के चलते गर्भधारणा हो जाती है. ऐसे मामलों में पैदा होने वाले बच्चें किसी को भी वांचित नहीं होते. जिसके चलते ऐसे बच्चों को जन्म देकर कुडे कचरे के ढेर पर निर्दयतापूर्वक लावारिस फेंक दिया जाता है और ऐसी घटनाओं में ज्यादातर बच्चों की मौत हो चुकी होती है. जारी वर्ष में विगत 11 माह के दौरान ऐसे ही आठ नवजात बच्चे या अर्भक सार्वजनिक स्थानों पर लावारिस एवं मृत पाये गए. वहीं अनैतिक संबंधों के चलते सात बच्चों को बालकल्याण समिति व्दारा पालनपोषण हेतु शिशु गृह में रखा गया.
उल्लेखनीय है कि, बालकल्याण समिति व्दारा लावारिस पाये गए बच्चों की देखभाल व संगोपन का काम किया जाता है. जिसके जरिये जारी वर्ष में अल्पवयीन कुमारी माताओं व्दारा जन्म दिये गए सात बच्चों को शिशु गृह में भेजा गया. वहीं दूसरी ओर अनैतिक संबंधों के चलते गर्भवती होकर बच्चों को जन्म देने वाली कई माताएं कार्रवाई होने के डर से सामने नहीं आती. जिसकी वजह से बेवजह ही गर्भस्थ शिशु या नवजात बच्चे की जान जाती है. ऐसे मामलों में कई बार असुरक्षित स्थानों पर प्रसूति कराई जाती है. जिसकी वजह से गर्भवती महिला या युवती की जान के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है.
इन लावारिस बच्चों को आगे क्या होता है
यदि लावारिस पाये गए बच्चे जीवित अवस्था में बरामद होते है, तो उनका योग्य उपचार करते हुए उन्हें संगोपन के लिए महिला बालकल्याण समिति व्दारा शिशु गृह में भेजा जाता है. जहां से निसंतान दम्पतियों व्दारा उन्हें गोद लिया जा सकता है. जारी वर्ष के दौरान नवंबर माह के अंत तक बालकल्याण समिति व्दारा ऐसे सात बच्चों को संगोपन हेतु शिशु गृह में भेजा गया. वहीं इस दौरान करीब आठ बच्चें मृतावस्था में लावारिस बरामद हुए थे. जिनका तमाम कानूनी प्रकियाओं को पूरा करने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया.
अल्पवयीन कुमारी माताओं व्दारा जन्म दिये गए बच्चों को संगोपन के लिए बालकल्याण समिति स्वीकार करती है, ऐसे बच्चों को कही पर भी लावारिस नहीं छोडना चाहिए, अन्यथा संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.