विदर्भ के पैठण श्री क्षेत्र वरूड बगाजी में ‘एकनाथ षष्ठी’ यात्रा महोत्सव
आज फहराया गया ध्वज, 3 अप्रैल तक विविध कार्यक्रम
धामणगांव रेलवे/दि.24– विदर्भ के पैठण के नाम से पहचाने जाने वाले धामणगांव तहसील के श्री क्षेत्र वरूड बगाजी में शनिवार 30 मार्च से एकनाथ षष्ठी यात्रा महोत्सव की शुरुआत हुई है. सोमवार 1 अप्रैल को संत बगाजी सागर परिसर में सुबह 10 बजे संत बगाजी महाराज का झंडा (ध्वज) फहराया गया. इस अवसर पर मुख्य रूप से चंद्रमोहन राऊत (धनोडीकर), दिनेश दगडकर, भीमराव देशमुख, कार्यक्रम अध्यक्ष एड.प्रदीप देशमुख, नागले, प्रकाश तायवाडे, आनंद पानसे, हभप संदीप महाराज, हभप अनिल महाराज तायवाडे उपस्थित थे. बुधवार 3 अप्रैल तक संत बगाजी महाराज एकनाथ षष्ठी यात्रा महोत्सव समिति ट्रस्ट ओर से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए है.
यात्रा महोत्सव के आरंभ में 30 मार्च को संत एकनाथ महाराज व संत बगाजी महाराज की पादुका का महाअभिषेक जेष्ठ विधि तज्ञ व नागपुर हाईकोर्ट के एड. प्रदीपराव देशमुख के हाथों किया गया. महोत्सव के लिए समय संत बगाजी महाराज की पालकी का लोटांगण, दिंडी, अनेक गांव से आनेे वाली पालकियों का आगमन हुआ. परंपरा के अनुसार कर्मयोग बापूराव उर्फ काका साहेब देशमुख के घराने की तरफ से संत श्रेष्ठ एकनाथ महाराज का ध्वज समिति के अध्यक्ष काका साहेब देशमुख के हाथों फहराया गया. महाआरती कर यात्रा की शुरुआत की गई. तथा परंपरा नुसार अनिरुद्ध पानसे के घराने की तरफ से झंडा पूजन किया किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता यात्रा नियोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष तथा महादेव मारोती देवस्थान वरूड बगाजी के अध्यक्ष भीमराव देशमुख ने की. इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में धीरज महाराज तिजारे, मंगेश महाराज, बालासाहेब राउत, उमेश इंगोले उपस्थित थे. पालकी का स्वागत प्रशांतराव पंचबुधे, दिलीपराव नेवारे, विजयराव देशमुख, दिलीपराव दगडकर, दिलीपराव तायवाडे, दिनेशराव दगडकर ने किया. 31 मार्च को एकनाथ षष्ठी निमित्त मोरेश्वर महाराज वेखंडे का कीर्तन हुआ. कल 2 अप्रैल को अष्टमी निमित्त युवा कीर्तनकार संदीप महाराज तायवाडे काले का कीर्तन प्रस्तुत करेंगे. तथा रात 8 बजे संतोष महाराज भालेराव का एकनाथी भारूड होगा. बुधवार 3 अप्रैल को शाम 7 बजे प्रकाश तायवाडे परिवार की ओर से वारकरियों का स्वागत होगा. यात्रा निमित्त भक्तों ने दर्शन का लाभ लेने का आह्वान यात्रा नियोजन समिति के मुख्य संयोजक पंकज देशमुख, प्रकाशराव तायवाडे, आशीष जगताप, बिपीन दगडकर, मोरेश्वर तिजारे, अमोल देशमुख, महोत्सव समिति ट्रस्ट के प्रथमेश तायवाडे, अतुल जगताप, नीलेश तितरमारे, अनिकेत तिजारे, तेजस देशमुख व ग्रामवासियों ने किया है.
* अमरावती व वर्धा की सीमा पर लगती है यात्रा
यह यात्रा अमरावती जिला और वर्धा जिले की सीमा पर लगती है. तिवसा, अमदुरी, कुर्हा, मांजरखेड, वर्धा परिसर के भक्तों की यात्रा में भारी भीड होती है. संत बगाजी महाराज का मंदिर लोअर वर्धा बांध में गया. तथा संत एकनाथ महाराज का मंदिर जायकवाडी बांध में गया. जलसमाधिष्ट हुआ, यह बडा योगायोग है. पहले पैठण में पैठणी साडियों का मार्केट था तथा वरूड में तंबाकू का मार्केट था. विदर्भ का सबसे बडा 32 गेट का संत बगाजी सागर बांध इसी स्थान पर है. यह सबसे बडा पर्यटन स्थल है. पहले यहा वर्धा नदी के तट पर श्री राम के गुरु वशिष्ट ऋषि ने बडा यज्ञ किया था. इसलिए वर्ध नदी को वषिष्टा कहा जाता है.