विदर्भ के पैठण वरूड बगाजी में मनाया जाएगा एकनाथ षष्टी महोत्सव
19 से 23 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रम

वरूड/दि.15-विदर्भ का पैठण माने जाने वाले तीर्थ क्षेत्र वरुड (बगाजी) में ‘संत एकनाथ षष्टी’ निमित्त संत बगाजी महाराज यात्रा का आयोजन हर साल की तरह इस साल भी किया है. बुधवार 19 मार्च को एकनाथ षष्टी’ निमित्त संत एकनाथ महाराज व संत बगाजी महाराज की पादुका महाभिषेक जेष्ठ विधितज्ञ, हाईकोर्ट नागपुर के एड. प्रदीपराव देशमुख के हाथों किया जाएगा. यात्रा महोत्सव का आयोजन 19 से आगामी 23 मार्च तक किया है. महोत्सव दौरान विभिन्न धार्मिक संपन्न होंगे.
संत बगाजी महाराज की पालकी, मंगरूल दस्तगीर से लोटांगण, दिंडी, का आगमन होगा. इसके साथ ही विविध गांव से दिंडियां सहभागी होंगी. तथा परंपरा के अनुसार कर्मयोग बापूरावजी उर्फ काका साहेब देशमुख के घराणे की ओर से संत श्रेष्ठ एकनाथ महाराज का ध्वज संत बगाजी महाराज एकनाथ षष्टी यात्रा महोत्सव समिती ट्रस्ट के अध्यक्ष काका साहेब देशमुख के हाथों फहराया जाएगाव तथा महाआरती कर यात्रा की शुरुआत की जाएगी. परंपरा के अनुसार अनिरुद्ध पानसे परिवार की ओर से ध्वज पूजन किया जाएगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता यात्रा नियोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष तथा महादेव मारोती देवस्थान वरुड (बगाजी) के अध्यक्ष भीमराव देशमुख करेंगे. प्रमुख अतिथि के रूप में धीरज महाराज तिजारे, गौरव महाराज नारिंगे, बालासाहेब राऊत, उमेश इंगोले उपस्थित रहेंगे.
पालकी की स्वागत प्रशांतराव पंचबुधे, दिलीपराव नेवारे, मंगेश वानखेडे, गजानन बोरगे, विजयराव देशमुख, दिलीपराव दगडकर, दिलीपराव तायवाडे, दिनेशराव दगडकर करेंगे. गुरुवार 20 मार्च को एकनाथ षष्टी निमित्त ह.भ.प मोरेश्वर महाराज वेखंडे – अमदोरी का कीर्तन होगा. तथा 21 मार्च को संत बगाजी सागर’ परिसर में बगाजी महाराज का ध्वज ह.भ.प अनिल महाराज तायवाडे की उपस्थिति में फहराया जाएगा. कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष एड. प्रदीप देशमुख उपस्थित रहेंगे. विभिन्न कार्यक्रमों के तहत शनिवार 22 मार्च को अष्टमी निमित्त काले का कीर्तन युवा कीर्तनकार संदीप महाराज तायवाडे अमदुरीकर प्रस्तुत करेंगे. 23 मार्च की शाम 7 बजे प्रकाश तायवाडे परिवार की ओर से वारकरियों का स्वागत किया जाएगा. इसी दिन रात 8 बजे सप्तखंजेरी वादक दीपक महाराज भांडेकर वर्धा द्वारा मनोरंजनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा.
यात्रा निमित्त भाविकों ने दर्शन का लाभ लेने का आह्वान यात्रा नियोजन समिति के मुख्य संयोजक पंकज देशमुख, प्रकाशराव तायवाडे, आशीष जगताप, बिपिन दगडकर, मोरेश्वर तिजारे, अमोल देशमुख, महोत्सव समिति ट्रस्ट के प्रथमेश तायवाडे, अतुल जगताप, नीलेश तितरमारे, अनिकेत तिजारे, तेजस देशमुख, व ग्रामवासियों ने किया है. यात्रा महोत्सव के लिए मंगरूल दस्तगीर के थानेदार ने कडा बंदोबस्त रखा है.
अमरावती-वर्धा सीमा पर लगती है यात्रा
यह यात्रा अमरावती जिला व वर्धा जिले की सीमा पर लगती है. तथा आर्वी, पुलगांव, घनोडी, तिवसा, अमदुरी, कुर्हा, मांजरखेड, वर्धा परिसर से भक्तों की भीड यात्रा में उमडती है.
* वारकरी संप्रदाय प्रमुख केंद्र
संत बगाजी महाराज का मंदिर लोअर वर्धा बांध में गया, उसी प्रकार संत एकनाथ महाराज का मंदिर जायकवाडी बांध में गया और वे जलसमाधिष्ट हुए, यह बडा संयोग है. पहले पैठण में पैठणी साडियों का मार्केट था, तो वरूड में तंबाकू का मार्केट था. विदर्भ का सबसे बडा बांध ‘संत बगाजी सागर’ 32 गेट का इसी स्थान पर है. वरुड बगाजी यह वारकरी संप्रदाय का विदर्भ का प्रमुख केंद्र है.
प्राचीन इतिहास
पहले यहां वर्धा नदी पर पर श्री राम के गुरु वशीष्ट ऋषि ने बडा यज्ञ किया था, इसलिए यहां की वर्धा नदी को वषीष्टा कहा जाता है, ऐसी पौराणिक कथा है. इस स्थान को वशिष्ट ऋषि घाट के नदी का प्रवाह उत्तर वाहिनी रहने से मृतक की दशक्रिया का कार्यक्रम व अस्थि विसर्जन करने पर काशी व प्रयाग की तरह मृतक को मोक्ष प्राप्ती होती है. दशहरे के दिन यहां की नदी में स्नान करने को महत्व है, ऐसी मान्यता है.