निर्वाचन आयोग के परिपत्रक से फैला संभ्रम
पहले सितंबर-अक्तूबर में मनपा व जिप के चुनाव होने का हुआ अंदेशा
* फिर आयोग ने दूसरा पत्र जारी कर वोटींग लिस्ट की ‘कट ऑफ डेट’ घोषित करने का किया खुलासा
मुंबई/दि.7 – राज्य निर्वाचन आयोग द्बारा जारी किए गए एक परिपत्रक की वजह से आज सुबह मनपा, जिला परिषद, नगर पालिका व नगर पंचायत के संभावित चुनाव घोषित होने की प्रतीक्षा कर रहे इच्छूकों में आगामी सितंबर या अक्तूबर माह के दौरान स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव होने की उम्मीद जाग गई. परंतु इसके कुछ ही देर बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने एक दूसरा परिपत्रक जारी करते हुए बताया कि, उसके द्बारा जारी किया गया पहला परिपत्रक किसी चुनाव से संबंधित अधिसूचना नहीं है. बल्कि नियमित प्रक्रिया के तहत आगामी समय में चुनाव का सामना करने वाले स्थानीय स्वायत्त निकायों में विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची को प्रभाग निहाय तरीके से प्रयोग में लाने हेतु अहर्ता दिनांक यानि ‘कट ऑफ डेट’ तय करने के लिए जारी किया गया निर्देश है. इस दूसरे परिपत्रक के सामने आते ही सितंबर व अक्तूबर माह में चुनाव होने की उम्मीद के चलते पूरी तरह से खिलकर उत्साह से भर उठे चुनाव लडने के इच्छूक एक बार फिर मायूस हो गए.
बता दें कि, विगत मार्च 2022 में अमरावती महानगरपालिका व जिला परिषद सहित राज्य की अनेकों महानगरपालिकाओं व जिला परिषदों के साथ-साथ नगरपालिकाओं व नगर पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है तथा ऐसे सभी स्थानों पर विगत करीब डेढ वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है. वहीं ओबीसी आरक्षा और प्रभाग रचना को लेकर दायर याचिकाओं की वजह से चुनाव करवाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हेतु प्रलंबित और सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव करवाने पर स्थगनादेश दे रखा है. ऐसे में चुनाव लडकर और जीतकर स्थानीय स्वायत्त निकायों में सदस्य के तौर पर पहुंचने के इच्छूक चातक पक्षी की तरह चुनाव की घोषणा होने की ओर निगाहे लगाए बैठे है. ऐसे में आज सुबह जैसे ही राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से एक परिपत्रक जारी करते हुए कहा गया कि, आगामी सितंबर व अक्तूबर माह में होने वाले स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव हेतु विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची को प्रयोग में लाया जाएगा और 1 जुलाई 2023 की ‘कट ऑफ डेट’ पर अस्तित्व में रहने वाली मतदाता सूची को ही अपडेट करते हुए उसका प्रभाग निहाय विभाजन किया जाएगा, तो आम सोच व समझ के अनुसार इसका मतलब निकाला गया कि, शायद आगामी सितंबर व अक्तूबर माह में मनपा व जिप सहित स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव होने जा रहे है तथा निर्वाचन आयोग ने अपने स्तर पर काम शुरु कर दिया है.
अपने परिपत्रक की वजह से फैली इस गलतफहमी का अंदेशा होते ही राज्य निर्वाचन आयोग ने आज तुरंत एक दूसरा परिपत्रक जारी करते हुए स्थिति को साफ किया और बताया कि, उसके द्बारा जारी पहला परिपत्रक चुनाव से संबंधित कोई अधिसूचना नहीं है, बल्कि नियमित प्रक्रिया के तहत आगामी समय में होने वाले संभावित व प्रस्तावित चुनाव के लिए मतदाता सूची को अपडेट करने हेतु ‘कट ऑफ डेट’ तय करने के संदर्भ में जारी दिशा-निर्देश है. यह प्रक्रिया निर्वाचन आयोग द्बारा हमेशा ही की जाती है और यदि निर्धारित कालावधि के दौरान स्थानीय स्वायत्त निकायों में चुनाव नहीं होते है, तो उसके बाद की कालावधि में होने वाले संभावित चुनाव को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग द्बारा नये सिरे से ‘कट ऑफ डेट’ तय की जाती है, ताकि मतदाता सूची को अपडेट रखा जा सके. ऐसे में ‘कट ऑफ डेट’ को लेकर जारी परिपत्रक को चुनावी अधिसूचना नहीं माना जाना चाहिए. निर्वाचन आयोग के इस दूसरे परिपत्रक में चुनाव होने की उम्मीद से खिल चुके लोगों की खुशियों पर एक तरह से तुषारापात कर दिया. क्योंकि निर्वाचन आयोग ने इस दुसरे परिपत्रक में साफ तौर पर उल्लेखित किया है कि, फिलहाल स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ‘जैसे थे’ का आदेश जारी कर रखा है. ऐसे में जब तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से चुनाव करवाने को लेकर कोई नया आदेश प्राप्त नहीं होता, तब तक निर्वाचन आयोग द्बारा चुनाव करवाने को लेकर कोई अधिसूचना जारी करने का कोई औचित्य ही नहीं है.