अमरावती/दि.19 – चांदूर बाजार तहसील में स्थानीय स्वराज्य संस्था से लेकर विधानसभा के चुनाव तक एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी रहने वाले पूर्व राज्यमंत्री और विधायक बच्चू कडू तथा पूर्व जिप अध्यक्ष व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बबलू देशमुख के गुट अब चांदूर बाजार कृषि उत्पन्न बाजार समिति के चुनाव में भी आमने-सामने है. जिसके चलते इन्हीं दो नेताओं के ईर्द-गिर्द सहकार क्षेत्र की राजनीति केंद्रीत हो गई है. जिसके चलते चांदूर बाजार मंडी का चुनाव दिनोंदिन काफी अधिक रोमांचक होता जा रहा है.
चांदूर बाजार फसल मंडी के चुनाव हेतु कुल 83 नामांकन मिले थे. जिसमें से पडताल के बाद 4 नामांकन खारिज हो गए और अब 18 संचालक पदों के लिए 79 प्रत्याशी मैदान में है. ऐसे में मत विभाजन को टालने हेतु सहकार नेताओं द्बारा कई उम्मीदवारों को कल 20 अप्रैल तक अपना नामांकन वापिस लेने के संदर्भ में मनाया जा रहा है ज्ञात रहे कि, चांदूर बाजार तहसील को जिले में राजनीतिक दिग्गजों वाली तहसील कहा जाता है. जहां पर अब सहकार क्षेत्र में सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण रहने वाले फसल मंडी के चुनाव आगामी 30 अप्रैल को होने जा रहे है. जिसमें परंपरागत प्रतिस्पर्धी रहने वाले बच्चू भाउ और बबलू भाउ के गुटों के बीच सीधी भिडंत होना तय है. इस बार बबलू देशमुख के गुट ने पूर्व जिप अध्यक्षा सुरेखा ठाकरे सहित भाजपा नेता प्रमोद कोरडे के गुटोंं का समावेश है. वहीं विधायक बच्चू कडू का स्वतंत्र पैनल है. चांदूर बाजार फसल मंडी को किसी समय संतरे की फसल पर लिए जाने वाले कर से सर्वाधिक आय हुआ करती थी. लेकिन सरकार ने संतरे के कर वसूली नाकों को बंद कर दिया. जिसके चलते अब बाजार समिति को अनाज से मिलने वाले सेस और बैल बाजार से होने वाली आय पर ही निर्भर रहना पडता है. जिसके चलते बाजार सिमिति की आय के साधनों को बढाने का दावा दोनों गुटों द्बारा किया जा रहा है.
* चुनाव मंडी के, निगाहे विधानसभा पर
विधानसभा चुनाव में अब केवल 1 वर्ष का समय शेष है ऐसे में अपना वर्चस्व दिखाने हेतु नेताओं ने बाजार समिति के चुनाव को बेहद प्रतिष्ठापूर्ण बना लिया है. साथ ही इस चुनाव में खर्च की कोई अधिकतम सीमा नहीं रहने के चलते प्रत्याशियों तथा नेताओं द्बारा साम, दाम, दंड, भेद की तमाम नीतियां मतदाताओं पर अमल में लायी जा रही है. साथ ही इस चुनाव में पहली बार किसान प्रतिनिधि संचालक का चयन होगा. जिसकी ओर सभी की निगाहे लगी हुई है. इसके अलावा कुछ संचालकों के निर्विरोध निर्वाचित होने की भी संभावना है. जिसे लेकर उत्सुकता देखी जा रही है. सबसे अधिक रोमांच तो इस बात को लेकर है कि, तहसील के दो कद्दावर ‘भाऊ’ में से मंडी चुनाव में किस ‘भाऊ’ को जीत व सफलता मिलती है.