बिजली नियामक आयोग सचिव नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती
राज्य सरकार को नोटीस, ४ जनवरी तक जवाब देने के निर्देश
अमरावती / दि.२४- अभिजीत देशपांडे की महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग के सचिव पद पर नियुक्ति करने के निर्णय को मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी गई है. न्यायालय ने ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव, आयोग के अध्यक्ष, महावितरण कंपनी के व्यवस्थापकीय संचालक व अभिजीत देशपांडे को नोटीस देकर इस पर ४ जनवरी तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए है. मामले पर न्यायमूर्तिद्वय अतुल चांदुरकर व अनिल पानसरे के समक्ष सुनवाई हुई है. इस संदर्भ में महाराष्ट्र बिजली ग्राहक संगठन द्वारा याचिका दायर की गई है. देशपांडे १० जुलाई २०१८ से आयोग में कार्यरत है. इसके पूर्व वे महावितरण कंपनी में संचालक थे. उनकी आयोग के सचिव पद नियुक्ति करते समय महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग नियम और बिजली कानून के प्रावधान का उल्लंघन किया गया है. ग्राहकों का हित यह बिजली कानून का मुख्य उद्देश्य है. किंतु देशपांडे के कारण यह उद्देश्य नष्ट हो रहा है.वे कोई भी आदेश जारी करते समय केवल महावितरण कंपनी के हित के बारे में सोच रहे है. जिसके कारण ग्राहक त्रस्त हो रहे है. महावितरण के अधिकारी नियुक्त करने के बाद आयोग की पारदर्शिता नष्ट होती है और ग्राहकों को न्याय नहीं मिलता, ऐसा अब तक दिखाई दिया है. परिणामस्वरूप महावितरण अधिकारियों की आयोग के अध्यक्ष, सदस्य अथवा सचिव पद पर नियुक्ति न की जाए, यह मांग हमेशा से ही की जाती है. इसके लिए देशपांडे को आयोग के सचिव पद से दूर किया जाए, ऐसा याचिकाकर्ता का कहना है. याचिकाकर्ता की ओर से एड.हरनीश गढ़िया ने कामकाज देखा.