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चुस्त-दुरूस्त होकर लक्ष्मी, सुंदरमाला, चंपाकली व जयश्री पुन: काम पर तैनात
परतवाडा/दि.17 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में चार मादा हाथियों को वन विभाग सहित पर्यटकों की सेवा में तैनात किया गया है. जो बुधवार 16 दिसंबर को एक बार फिर अपनी ड्यूटी पर तैनात हो गयी है. बता दें कि, सरकारी सेवा में रहनेवाली ये चारों मादा हाथी विगत 1 दिसंबर से 15 दिसंबर तक पंद्रह दिनों के सरकारी अवकाश पर थी और इस दौरान इन चारों के पैरों पर आयुर्वेदिक उपचार पध्दति से चॉपिंग की गई.
बता दें कि, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के सिपना वन्यजीव विभाग अंतर्गत सेमाडोह परिक्षेत्र में लक्ष्मी, सुंदरमाला, चंपाकली व जयश्री नामक चार मादा हाथी है. विगत कुछ वर्षों से जंगल की सुरक्षा तथा वनविभाग के विविध कामों सहित जंगल में गश्त करने और भारी सामान ढोने आदि कामों के लिए इन्हें उपयोग में लाया जाता है. साथ ही दो वर्ष पूर्व मेलघाट का स्वर्ग कहे जाते कोलकास में पर्यटकों के लिए हाथी पर जंगल सफारी शुरू की गई है तथा मेलघाट में पर्यटन हेतु आनेवाले पर्यटक बडे शौक के साथ हाथी की सफारी करते हुए यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते है. वन विभाग की सेवा में रहनेवाले इन हाथियों की भी किसी आम व्यक्ति की तरह दिनचर्या है. जिसके तहत सुंदरमाला, चंपाकली, लक्ष्मी व जयश्री के भोजन, नदी में स्नान व विश्राम का समय तय है. इस हेतु महावत पंडोले, वनरक्षक परमानंद अलोकार, अमित गोफणे व जायभाये सहित यहां पर नियुक्त वन कर्मचारी इन हाथियों की देखभाल करते है. साल में एक बार इन चारों मादा हाथियों की चॉपिंग की जाती है. जिसके तहत पैरों में पडी दरात की विशेष देखभाल हेतु उन्हें पंद्रह दिन का अवकाश दिया जाता है. इस दौरान उनके पैरों पर हिरडा, बीबा, बरडा, सोंठ, बेहडा, त्रिफला, फल्ली तेल, बिकामाली, ओवाफुल, असमंतरा, निलमोंग, साबुन, ईलायची, पिठकरी, कथ्था, हींग, जायफल, सागरगोटी व मांजूफल आदि विविध आयुर्वेदिक साहित्यों का लेप तैयार कर उसे हाथियों के पैरों पर लगाया जाता है. यह उपचार लगातार पंद्रह दिनों तक किया जाता है, ताकि हाथियोें के पैरों की दरार भर जाये. साथ ही इन पंद्रह दिनों के अवकाश में हाथियों के विश्राम को लेकर भी विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है और 15 दिन का विश्राम पूरा करने के बाद अब ये चारों मादा हाथी नये दम-खम के साथ अपने काम पर लौट आयी है.