अमरावती

कोविड काल के बाद एम्बुलन्स चालक हुए बेरोजगार

आठ दिनों से ट्रीप मिलना भी हुआ मुश्किल

  • कोविड काल में काम की थी भरमार

अमरावती/प्रतिनिधि दि.30 – जिस समय अमरावती जिले में कोविड की संक्रामक महामारी की रफ्तार काफी तेज थी और बडी संख्या में कोविड संक्रमित मरीज पाये जा रहे थे, तब मरीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने हेतु बडे पैमाने पर एम्बुलन्स वाहनों की जरूरत पड रही थी और गहमागहमीवाले उस दौर में जमकर ट्रिप मिलने के साथ-साथ एम्बुलन्स वाहन चालकों को अच्छाखासा किराया भी मिला करता था. कई बार तो मरीजोें को घर से अस्पताल अथवा एक शहर से दूसरे शहर ले जाने हेतु दोगुने-तीनगुने दाम भी वसूले गये. ऐसे में कोविड संक्रमण काल में करीब डेढ से दो वर्ष तक एम्बुलन्स वाहन चालकों को अच्छा-खासा रोजगार उपलब्ध करवाया. किंतु अब अमरावती जिले में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर का असर लगभग खत्म हो गया है और रोजाना इक्का-दुक्का कोविड संक्रमित पाये जा रहे है. ऐसे में विगत आठ दिनों से एम्बुलन्स वाहन चालकों के पास कोई काम ही नहीं है और सभी एम्बुलन्स वाहन लगभग अपनी-अपनी जगह पर ही खडे है. जिसके चलते अब एम्बुलन्स वाहन चालकों को एक तरह से बेरोजगारी का सामना करना पड रहा है.
उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान मरीजों को उनके घरों से कोविड अस्पतालों तक लाने के साथ-साथ कोविड अस्पतालों से मृतदेहों को श्मशान घाट पहुंचाने के लिए बडे पैमाने पर एम्बुलन्स वाहनों की जरूरत पडा करती थी और कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान लगभग हर एक एम्बुलन्स वाहन चालक को रोजाना पांच से छह ट्रीप मिला करती थी. कई बार तो एम्बुलन्स वाहन उपलब्ध नहीं रहने पर स्कूल बस के जरिये कोविड संक्रमित मरीजों को कोविड अस्पतालों में पहुंचाना पडा. किंतु अब स्थिति बदल गई है और संक्रमण की लहर का असर कम हो गया है. ऐसे में अब एम्बुलन्स वाहन चालकों के पास पहले की तरह कोई कामकाज नहीं है और वे पूरी तरह से खाली बैठे है.

  •  कोविड काल में मिल दोगुने दाम

जानकारी के मुताबिक अमरावती शहर में करीब 85 एम्बुलन्स वाहन है. वहीं तहसील स्तर पर 80 से 90 निजी एम्बुलन्स वाहन कार्यरत है. कोविड संक्रमण काल के दौरान मरीजोें को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने हेतु लोकल ट्रीप के लिए 500 से 1000 रूपये तक किराया मिलता था. वहीं नागपुर की ट्रीप के लिए 3000 रूपये का सामान्य किराया तथा ऑक्सिजन सिलेंडर लगाने पर साढे 3 से 5 हजार रूपये का किराया मिला करता था. लेकिन अब कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या पूरी तरह से घट जाने के चलते ट्रीप मिलना ही मुश्किल हो गया है.

  • शव ले जाने पर मिलते थे डेढ हजार रूपये

उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान कई मरीजों की मौत भी हुई है. ऐसे में सुपर स्पेशालीटी अस्पताल सहित निजी कोविड अस्पतालों में किसी मरीज की मौत होने पर शव को श्मशान भूमि तक पहुंचाने के लिए भी एम्बुलन्स वाहनों की सेवा ली जाती थी. जिसके लिए एम्बुलन्स वाहन चालकों को 1500 से 3000 रूपये तक किराया मिलता था. इस जरिये भी कई एम्बुलन्स वाहन चालकों को अच्छी-खासी आय हुई. लेकिन अब कोविड संक्रमण की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रित हो गई है. साथ ही रोजाना इक्का-दुक्का नये मरीज पाये जा रहे है और संक्रमण की वजह से होनेवाली मौतों की रफ्तार भी थम गई है. ऐसे में अब एम्बुलन्स वाहन चालकों के पास फिलहाल कोई खास कामकाज नहीं है.

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