शिव गर्जना से विदर्भ में संगठन मजबूत करने पर जोर
ठाकरे गट ने पूर्व और वर्तमान सांसदों, विधायकों को भेजा
* निंबालकर के बाद अंधार,े पाटिल, मडावी की सभाएं
अमरावती / दि. 2- शिवसेना उबाठा ने राज्यस्तर पर संगठन मजबूत करने के लिए शिवगर्जना अभियान छेड दिया है. इसी कडी में पश्चिम विदर्भ पर अधिक बल दिया जा रहा है. इसके कारण यह है कि पश्चिम विदर्भ शिवसेना का गढ रहा है. दूसरा उसके दोनों सांसद प्रतापराव जाधव तथा भावना गवली ने सीएम एकनाथ शिंदे का साथ दिया. जिससे शिवसेना उबाठा ने अपना संगठन सुदृढ करने शिव संवाद के बाद शिव गर्जना अभियान छेड दिया है. जिसकी बुधवार को अमरावती में सांसद ओम राजे निंबालकर की सभा के साथ शुरूआत हो गई. इसी कडी में सुषमा अंधारे, शुभांगी पाटिल, रामकृष्ण मडावी, अनिल गाढवे जैसे नेता अगले कुछ दिनों में सभा-सम्मेलन को संबोधित करेंगे. अंधारे उबाठा शिवसेना के लिए प्रखर वक्ता सिध्द हो रही है. वे 3 मार्च को ही अमरावती जिला दौरे पर आयेंगी. पदाधिकारियों के संग बैठक के साथ उनकी अचलपुर तथा बडनेरा में दो सभाएं रखी गई है.
अमरावती में शिवसेना के अधिकांश कार्यकर्ता आज भी उध्दव ठाकरे के साथ निष्ठा रखे हुए है. किंतु यहां के पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल एवं उनके बेटे पूर्व विधायक कैप्टन अभिजीत अडसूल, शिंदे के साथ हो लिए. उसी प्रकार पूर्व जिला प्रमुख राजेश वानखडे भाजपा में चले गए. इसलिए अमरावती पर उबाठा सेना अधिक ध्यान दे रही है. यहां पार्टी के नेताओं पर कार्यकर्ताओं मेें जोश भरने बाहर से धडाधड नेताओं को भेजा जा रहा है.
यवतमाल और वाशिम जिले का जिम्मा पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे, सहसंपर्क प्रमुख प्रकाश मारावार, युवासेना के हर्षल काकडे, शरद कोली, दुर्गा शिंदे यह जनसभाएं और पार्टी सम्मेलन को संबोधित करेंगे. यहां भी शिवसेना को धक्का लगा है. उसके बडे नेता, पूर्व मंत्री संजय राठोड तथा सांसद भावना गवली ने ठाकरे से दूरी बनाकर शिंदे गट में पद ले लिए. बुलढाणा जिले में भी विधायक और सांसद शिंदे गट में चले गए है. शिवसेना उबाठा को अपने संगठन के बिखरने का भय हो चला है. विशेषकर चुनाव आयोग के शिवसेना नाम तथा धनुष्यबाण, चुनाव निशानी शिंदे को देने के निर्णय पश्चात उध्दव ठाकरे और उनके सहयोगी पश्चिम विदर्भ पर ध्यान दे रहे है. इस कडी में प्रमुख वक्ताओं, नेताओं के दौरों के साथ संगठन में नई नियुक्ति और अन्य विषयों पर चर्चा कर निर्णय होंगे. उसी प्रकार स्थानीय स्तर की समस्याओं पर आंदोलन की भी तैयारी शिवसेना उबाठा कर रही है. देेहातों में पार्टी की पकड अभी कायम है. इसलिए अमरावती में भी शहर की बजाय ग्रामीण क्षेत्र के अचलपुर और बडनेरा में सुषमा अंधारे जैसी लीडर की सभाएं रखी गई है. गांव देहात में आंदोलनों पर भी पार्टी का जोर रहेगा. याद दिला दे कि पिछले चुनाव में अमरावती संभाग की तीनों सीटों पर भाजपा- शिवसेना युति का कब्जा रहा था. अमरावती भी पिछले इलेक्शन तक शिवसेना का मजबूत दुर्ग कहलाता था. यहां से 5 बार शिवसेना लोकसभा का चुनाव जीती है. इसलिए अमरावती सहित पश्चिम विदर्भ पर पार्टी संगठन सुदृढ करने एक्टीव हुई है. अकोला की बात करें तो उबाठा सेना के नितीन देशमुख अकेले संघर्ष कर रहे है.