नागपुर/दि.13– निलंबन की कार्रवाई व निलंबित रहते समय वेतन संदर्भ में 29 वर्ष पुराने मामले में मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने पीड़ित कर्मचारी को दिलासा दिया. कर्मचारी को सेवा में वापस लेने का कामगार न्यायालय का आदेश उच्च न्यायालय ने कायम रखा, वहीं कर्मचारी को निलंबन के समय के 100 प्रतिशत वेतन अदा किया जाये, ऐसा आदेश नियोक्ता को दिये.
गजानन बिटपल्लीवार यह कर्मचारी का नाम है. इस प्रकरण पर न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने फैसला सुनाया. गडचिरोली जिले के चामोर्शी तहसील स्थित मार्कंडा के आदिवासी विविध कार्यकारी सहकारी संस्था ने 31 मार्च 1991 को बिटपल्लीवार की केंद्र प्रभारी पद नियुक्ति की थी. पश्चात आर्थिक अफरातफरी के आरोप में उन्हें 27 मार्च 1993 को निलंबित किया गया था. आगे 22 अक्तूबर 2012 को कामगार न्यायालय ने बिटपल्लीवार को नौकरी पर वापस लिया जाये व निलंबित काल का 25 प्रतिशत वेतन अदा किया जाये, ऐसा आदेश संस्था को दिया. जिसके खिलाफ बिटपल्लीवार व उच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखल की थी. बिटपल्लीवार को निलंबन के समय का 100 प्रतिशत वेतन चाहिए था. संस्था को बिटपल्लीवार का निलंबन कायम रखना था.