अमरावती

जिले में विद्युत उद्योग के कर्मचारी कर रहे काम बंद आंदोलन

डेढ हजार से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों का समावेश

  • कोरोना काल में आपूर्ति खंडित होने पर गडबडा सकता है काम

अमरावती/दि.25 – विद्युत उद्योग के अधिकारियों व कर्मचारियों को फ्रंट लाईन कर्मचारियों का दर्जा दिया जाये तथा मेडिक्लेम पॉलीसी के टीपीए में बदलाव किया जाये. इन प्रमुख मांगों को लेकर सोमवार से विद्युत उद्योग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा काम बंद आंदोलन शुरू किया गया है. 1 हजार से अधिक कर्मचारियों और 500 से अधिक अधिकारियों द्वारा इस आंदोलन में सहभाग लिया गया है, यानी शहर के करीब 80 फीसदी अधिकारी व कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल है. ऐसा दावा एमएसई वर्कर्स फेडरेशन नामक संगठन द्वारा किया गया है. ऐसी स्थिति में यदि अमरावती शहर सहित जिले में विद्युत आपूर्ति खंडित होती है, तो विद्युत के अभाव में कई तरह के कामकाज का नियोजन गडबडा सकता है.
उल्लेखनीय है कि, इस समय लॉकडाउन व संचारबंदी जारी रहने के चलते अनेकों लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे है, जिन्हें अपना कामकाज जारी रखने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है. साथ ही इस समय अस्पतालों में भी मरीजोें के इलाज हेतु बडे पैमाने पर बिजली की आवश्यकता है. ऐसे हालात के बीच विद्युत अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा काम बंद आंदोलन किया जा रहा है. यदि इस बीच विद्युत आपूर्ति में किसी तरह की दिक्कत पैदा होती है, तो उसकी दुरूस्ती कैसे होगी, यह इस समय सबसे बडा सवाल है. ऐसे में सरकार ने आंदोलनकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को भरोसे में लेते हुए उनकी मांगों को मंजूर करना चाहिए. ऐसी मांग सर्वसामान्य नागरिकोें द्वारा की जा रही है.
बता दें कि, चौबीसों घंटे अबाधित सेवा देनेवाले विद्युत उद्योग की तीनों कंपनियों के अधिकारियों व कर्मचारियों को फ्रंटलाईन वर्कर्स का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (एमएसईडब्ल्यूएफ) द्वारा काफी पहले से आवाज उठायी जा रही है. जिसे सरकार द्वारा अनसुना किया जा रहा है. ऐसे में विगत सोमवार को विद्युत अधिकारियों व कर्मचारियों ने काले फीते लगाकर काम करते हुए अपना निषेध जताया था. वहीं गत रोज महानिर्मिती, महापारेषण व महावितरण के अधिकारियों व कर्मचारियों ने समूचे राज्य में काम बंद आंदोलन किया.

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