अमरावती प्रतिनिधि/दि.१८ – अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के निर्णय के अनुसार मैथ्स, फिजिक्स व रसायन शास्त्र यह सबजेक्ट कक्षा 12 वीं में न लेते हुए भी छात्र अब इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के पहले वर्ष के लिए प्रवेश ले पाएगें. लेकिन यह निर्णय रिक्त सीटें भरने के लिए लिया गया है. फिर भी यह निर्णय इंजीनियरिंग को कमजोर करने का प्रयास होने का विशेषज्ञों का मत है.
यहां बता दें कि मैथ्स व फिजिक्स यह दो सबजेक्ट सिविल,मैकनिकल व इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग की मुख्य शाखाओ की नींव माना जाता है. इसलिए 11 व 12 वीं में इन विषयों का अभ्यास नहीं करने पर इंजीनियरिंग की शिक्षा लेने पर छात्रों में कुशलता आत्मसात नहीं होगी. वहीं दूसरी ओर नई शिक्षा निती में वैश्विक स्तर पर समान शिक्षा उपलब्ध करायी जाए इसका विचार किया जा रहा है. इसलिए एआयसीटीइ ने नया फंडा अपनाया है. विशेषज्ञों की माने तो कक्षा 12 वीं में मैथ्स व फिजिक्स सबजेक्ट की पढाई न कराते हुए इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने वाले छात्रो के लिए महाविद्यालय अथवा विद्यापीठ में स्वतंत्र ब्रिज कोर्स तैयार करने चाहिए. जिले में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय सहित बगैर अनुदानित 10 अभियांत्रिकी महाविद्यालय है. जिनकी प्रवेश क्षमता 20 हजार तक है.
-
मैथ्स व फिजिक्स है महत्वपूर्ण कडी
इंजीनियरिंग में मैथ्स व फिजिक्स यह महत्वपूर्ण कडी है. 11 व 12 वीं में यह सब्जेक्ट नहीं होने पर भी आगे इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में इसका सामवेश होना जरुरी है. मैथ्स व फिजिक्स के बगैर छात्रों को ढाला नहीं जा सकता. इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम डिग्री सभी ले सके इसके लिए यह निर्णय सर्वसामवेशक है. इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम का अभ्यास करते समय दोनो सबजेक्ट जरुरी है.
– रामकृष्ण धायगुढे, गणित विभाग प्रमुख वीएमवी
-
नई कल्पानाओं पर नकारात्मक भाव निर्णय करने वाला
फिजिक्स यह वैज्ञानिक आधार है. गणित के प्रयोग फिजिक्स में है इंजीनियरिंग के लिए मैथ्स व फिजिक्स काफी महत्वपूर्ण है. इन दोनो विषयों के बगैर इंजीनियरिंग में छात्रों को प्रवेश देना यानि नई कल्पनाओं पर नकारात्मक परिणाम करना है.
-संदीप वाघुले,
सहायक प्राध्यापक भौतिक शास्त विभाग
अमरावती विद्यापीठ