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90 फीसद घटनाएं विदर्भ क्षेत्र में घटित
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१८ – वन क्षेत्र का दायरा लगातार सिकुडने की वजह से वन्यजीव जंगलों से निकलकर इंसानी बस्तियों का रूख कर रहे है और विगत साढे छह वर्षों के दौरान वन्यजीवों द्वारा किये गये हमलों में 385 लोगों की जाने गई और ढाई हजार से अधिक लोग घायल हुए. इसमें से सर्वाधिक 88 मौतें विगत वर्ष कोविड संक्रमण काल के दौरान हुई और 90 फीसद मामले अकेले विदर्भ क्षेत्र में घटित हुए है.
कृषि भुमि के विस्तार तथा नागरी जीवन व मुलभूत विकास के साथ बाघों व वन्यजीवों के संरक्षण के मसले को ध्यान में नहीं रखे जाने की वजह से आनेवाले वक्त में इंसानों व वन्यजीवों के बीच संघर्ष लगातार बढने का खतरा व्यक्त किया जा रहा है. इस समय इंसानों व वन्यजीवों का संघर्ष प्रमुख रूप से बाघों का अस्तित्व रहनेवाले क्षेत्रों में है. विगत कुछ वर्षों से बाघों सहित अन्य वन्यजीवों के रिहायशी क्षेत्रों का दायरा संकुचित हुआ है. ऐसे में वन्यजीव अब इंसानी बस्ती रहनेवाले गांवों की ओर आने लगे है और बाघों द्वारा मवेशियों एवं उनके बछडों का शिकार किया जाने लगा है. साथ ही साथ कई बार खेतों में काम करनेवाले लोगोें पर भी बाघों द्वारा हमला किया जाता है. इसमें कई लोगों की जान चली जाती है और कई लोग बुरी तरह से घायल हो जाते है.
राज्य में जंगलों के आसपास बसे कई गांवों में गांववासियों ने बाघों व तेंदुओं सहित हिंसक वन्यजीवों को अपने गांवों से दूर रखने हेतु कई तरह के टोटके भी आजमाये. किंतु इनका कोई विशेष फायदा नहीं हुआ. वहीं अब तक इंसानों व जंगली जानवरों के बीच संघर्ष कम करने हेतु आवश्यक उपाययोजनाओं पर राज्य सरकार की ओर से भी कोई स्वतंत्र नीति तय नहीं की गई है.
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ब्रह्मपुरी क्षेत्र के 51 गांवों में बाघों के हमले
चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी वनविभाग अंतर्गत कुल 85 बाघ रहने की जानकारी है और इन बाघों द्वारा अब तक 51 गांवों पर हमला किया गया है. इन हमलों में अब तक 19 लोगों की मौत हुई है. साथ ही 69 लोग घायल हुए है. ऐसे में इन सभी गांवों के आसपास स्थित वनक्षेत्र को जालीदार बाढ लगाने के लिए डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन वन विकास योजना अंतर्गत 50 करोड रूपये का प्रावधान रहनेवाले प्रस्ताव पर जल्द निर्णय लिया जाये और मृतकों के परिजनों सहित घायलों को मुआवजा देने के साथ ही किसानों को सौर उर्जा सुरक्षा जाली उपलब्ध कराने का निर्देश क्षेत्र के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार ने मुंबई में आयोजीत बैठक में संबंधित अधिकारियों को दिये थे. किंतु अब तक इस पर अमल नहीं हुआ है.
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‘गजराज’ ने भी ली दो जाने
16 नवंबर 2019 को महावत की सहायता हेतु नियुक्त वन कर्मचारी को मोहरली के हाथी कैम्प में रहनेवाले गजराज नामक नर हाथी द्वारा कुचल दिये जाने की घटना ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में घटित हुई थी. इसके बाद ताडोबा के ही बोटेझरी क्षेत्र में 6 मई को अचानक एक हाथी ने आक्रामक होकर प्रकल्प के मुख्य लेखापाल प्रमोद गौरकार की जान ली थी. इसी तरह कोल्हापुर स्थित सावंतवाडी में भी हाथी द्वारा हमला किये जाने की दो घटनाएं घटित हो चुकी है.
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वर्षनिहाय मौतों की संख्या
वर्ष मौतें
2014 41
2015 42
2016 57
2017 54
2018 33
2019 39
2020 88
2021 (अब तक) 31