समूचा शहर ‘अनलॉक’ लेकिन मंदिरों के पट अभी तक ‘लॉक’
मंदिरोें पर निर्भर व्यवसाय भी ठप्प हो चुके है
अमरावती/दि.21 – कोरोना की दूसरी लहर के चलते दूसरी बार मंदिर बंद रखे गए. अब कोरोना संक्रमण घटने से लगभग सभी गतिविधियां अनलॉक कर दी गई है. फिर भी भक्ति लॉक है. अभी भी मंदिर के पट नहीं खुले है. अमरावती तथा विदर्भ की कुलस्वामिनी अंबादेवी व एकविरा देवी मंदिर सहित सभी प्रमुख मंदिर बंद है. मंदिर पर निर्भर व्यवसाय भी ठप्प हो चुके है. भक्त मंदिर के गेट या दूर से कलश का दर्शन लेकर संतोष कर रहे है.
राज्य में जहां कोरोना पॉजिटीविटी रेट 5 प्रतिशत से कम हुआ है. वहां पूरी गतिविधियां अनलॉक की गई है. बार, होटल, रेस्टॉरेंट को रात 9 बजे तक सुविधा दी गई है. सिनेमाघर भी 25 प्रतिशत दर्शक क्षमता के खोले गए है. खेल मैदानों पर भी अब खेल गतिविधियां नजर आ रही है. समय का बंधन भी हट गया है. पूरा मार्केट शाम 7 बजे तक खुला रहता है. सभी व्यवहार सामान्य तरीके से हो रहे है. फिर भी भक्तों का श्रद्धास्थान मंदिर के कपाट बंद रखे गए है. मंदिर की भीड टालने के लिए प्रशासन ने कोई स्वतंत्र आदेश जारी नहीं किये है. इसलिए अपने आराध्य दैवत का दर्शन नहीं हो पा रहा हेै. मंदिर परिसर में हार, फूल, प्रसाद, राल-लोहबांध, अगरबत्ती और भक्ति से संबंधित व्यवसाय करने वाले सभी हाथ पर हाथ धरे बैठे है. कोरोना से होने वाली भीड टालने के लिए सभी मंदिर बंद है. सभी निर्बंध शिथिल करने के बाद भी मंदिर बंद रहने से भक्तों को अपने आराध्य के दर्शन की आस है. मंदिर बंद रहने से विशेष रुप से महिलाओं को बंद गेट से ही मायूस होकर लौटना पड रहा है. मंदिर के दरवाजे कब खुलेंगे, इस तरह का सवाल भक्तों व्दारा पूछा जा रहा है. भक्तों को ओर कितने दिन दूर से दर्शन करने पडेंगे. भक्तों की श्रद्धा को देखते हुए मंदिर भी खुले करने चाहिए. कोई भी व्यक्ति मंदिर में जाने के बाद उसे सुकून ओर आत्मबल प्राप्त्ा होता है. कुछ दिन पूर्व कोरोना के चलते जब पहली लहर के दौरान सभी गतिविधियां खुल गई थी और मंदिर बंद थे तब भाजपा व्दारा थालियां बजाकर आंदोलन किया गया था. मंदिर के व्दार खोलने को लेकर ठाकरे सरकार पर निशाना साधा था. कोरोना की दूसरी लहर लगभग खत्म हो चुकी है. मगर मंदिर के व्दार खोलने को लेेकर किसी भी राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन ने दखल नहीं ली. कम से कम मंदिर परिसर में व्यवसाय करने वाले हजारों व्यवसायियों की रोजी रोटी का ध्यान कर मंदिर खोलने के लिए प्रशासन को बाध्य करना चाहिए.