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महावितरण की सौर उर्जा नीति का उद्योजकों नेे किया विरोध

एमआईडीसी इंडस्ट्रीयल असो. के अध्यक्ष किरण पातुरकर ने दी जानकारी

अमरावती/दि. 8 – महावितरण द्वारा हमेशा की तरह महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग के पास विद्युत दर वृद्धि का प्रस्ताव पेश किया गया है. जिसमें सौर उर्जा के खिलाफ नई नीति रखी गई है. इसे लेकर विगत दिनों अमरावती में हुई नियामक आयोग की संभागीय स्तर वाली सुनवाई में उपस्थित रहकर एमआईडीसी इंडस्ट्रीयल असो. के अध्यक्ष किरण पातुरकर ने महावितरण की प्रस्तावित दर वृद्धि तथा सौर उर्जा को लेकर रखी गई नीति का जोरदार विरोध किया है.
इस सुनवाई के दौरान उद्योजक किरण पातुरकर का कहना रहा कि, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय उर्जा नीति के अनुसार ग्रीन उर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए नई-नई नीतियां बनाते हुए सौर उर्जा का प्रयोग करनेवाले ग्राहकों को सबसिडी दी जा रही है. ताकि वर्ष 2075 तक भारत को पूरी तरह से प्रदूषणमुक्त किया जाए, इस हेतु कोयले पर आधारित बिजली का प्रयोग कम करने के लिए भारत सरकार प्रयास कर रही है और राज्य सरकार भी ग्रीन उर्जा को प्रोत्साहित कर रही है. परंतु महावितरण द्वारा इससे बिलकुल विपरित काम करते हुए सौर उर्जा का प्रयोग करनेवाले ग्राहकों को प्रोत्साहित करने की बजाए हतोत्साहित किया जा रहा है. यह पूरी तरह से राष्ट्रीय नीति सहित प्रकृति एवं मानवता के खिलाफ है. इस सुनवाई में किरण पातुरकर का यह भी कहना रहा कि, विद्युत नियामक आयोग की स्थापना भारत सरकार की विद्युत नीति के अनुसार हुई है. ऐसे में आयोग ने भारत सरकार की राष्ट्रीय नीतियों के अनुकुल निर्णय लेना चाहिए. साथ ही पातुरकर ने यह आरोप भी लगाया कि, महावितरण द्वारा अपनी कोयले से निर्मित महंगी बिजली को बेचने हेतु सौर उर्जा का विरोध किया जा रहा है. अत: नियामक आयोग ने महावितरण की भूमिका का विरोध करते हुए सौर उर्जा के संदर्भ में पुरानी नीति को कायम रखना चाहिए.

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