अमरावती

जिले में रेशम खेती के लिए वातावरण पोषक

मनरेगा से 3.42 लाख रुपए का उत्पादकों को अनुदान

* बाजार पेठ भी हुआ उपलब्ध
अमरावती/दि.8– जिले का वातावण रेशम खेती के लिए पोषक हैं. इसके अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना अंतर्गत 3 लाख 42 हजार रुपए का अनुदान भी उत्पादकों को मिल रहा हैं. इस कारण खेती पूरक उद्योग के रुप में भी किसान रेशम खेती की तरफ मुडने लगे हैं. अब विपणन की समस्या मिटने से किसानों को आर्थिक रुप से मजबूत करनेे यह पूरक व्यवसाय साबित होने वाला हैं.
जिले में 15 दिसंबर तक महारेशम अभियान शुुरु हैं. इसके तहत किसानों को आगामी वर्ष के लिए पंजीयन करने का अवसर मिला हैं. रेशम उत्पादन के लिए जिले में काफी अवसर हैं. इसके जरिए कृषि विकास की दर बढ सकती है और किसान आर्थिक रुप से मजबूत हो सकते हैं. लेकिन इसकी पूरी जानकारी न मिलने से किसान इस उद्योग की तरफ मुडे नहीं हैं. लेकिन अब रेशम खेती के लिए बार्टी के सहयोग से यह अभियान चलाया जा रहा हैं. इसे लोकाभिमुख होने में सहायता होगी ऐसा विभाग के वरिष्ठ क्षेत्र सहायक डॉ. एच. नागोलकर ने कहा. खेती के लिए यह महत्वपूर्ण पूरक व्यवसाय हैं. कम समय में फसल रहने से उसका उचित व्यवस्थापन किया तो दूसरे वर्ष से प्रति वर्ष पांच फसल ली जा सकती हैं. इसके अलावा एक दफा तुती की बुआई करने के बाद 10 से 15 साल तक बुआई करने की आवश्यकता नहीं हैं. घर का व्यक्ति, सुशिक्षित बेरोजगारों को करने जैसा यह पर्यावरण उद्योग हैं. इसमें हाल में 50 से 60 प्रतिशत महिलाओं का सहभाग भी बढता रहने की जानकारी इस विभाग ने दी.

* जिले में 220 एकड में रेशम खेती
जिले में 220 एकड में रेशीम खेती की जा रही हैं. इस वर्ष 20 हजार तक रेशमकोष किसानों को वितरित किया गया हैं. इसके अलावा महारेशम अभियान का किसानों में जनजागरण होता रहने से किसानों का रेशम खेती की तरफ पूरक व्यवसाय के रुप में रुख बढता जा रहा हैं. रेशम खेती में विपणन की बडी समस्या हैं. अब बाजार समिति में व्यापारियों व्दारा खरीदी शुरु की गई हैं. विदर्भ में इस तरीके से यह पहला बाजार पेठ साबित हुआ हैं. इसमें 60 से 65 हजार रुपए क्विंटलज मूल्य मिलने से विपणन की समस्या हल हुई हैं.

* ऐसा मिलता है मनरेगा से अनुदान
रेशम खेती के लिए मनरेगा से अकुशल मजदूरी के लिए पहले वर्ष 57246 रुपए, दूसरे और तीसरे वर्ष प्रत्येकी 40600 रुपए मिलते हैं. इसके अलावा कुशल सामग्री के लिए पहले वर्ष 41160 तथा दूसरे व तीसरे वर्ष प्रत्येकी 10285 रुपए मिलते हैं. किटक संगोपनगृह के लिए भी अनुदान मिलता हैं.

* निश्चित आय का स्त्रोत
निश्चित आय के स्त्रोत के रुप में रेशम खेती महत्वपूर्ण हैं. अब 15 दिसंबर तक महारेशम अभियान शुरु हैं. इसमें किसान आगामी वर्ष के लिए पंजीयन कर सकते है इसका प्रस्ताव तैयार किया जाएगा.
– अरविंद मोरे, जिला रेशम विकास अधिकारी

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