अमरावती

गाडगे बाबा गौेरक्षण में पर्यावरणपुरक संशोधन

गाय का गोबर व कडू निम के पत्तों के मिश्रण से कंडों का निर्माण

परिसर के सभी धार्मिक स्थलों को मांग के अनुसार मुफ्त आपूर्ति
दर्यापुर- दि.8  पृथ्वी के पर्यावरण को समतोल रखने के लिए प्रदूषण नियंत्रण यह वक्त की महत्वपूर्ण जरुरत है. इस कार्य में योगदान रखने वाले दृष्टिकोन से दर्यापुर तहसील के माहुली धांडे स्थित गाडगे बाबा गोरक्षण स्थल पर प्रदूषण मुक्त धुआं देने वाले कंडे (गोबरी) का निर्माण पिछले चार वर्षों से किया जा रहा है. गौरक्षण से धार्मिक स्थलों पर मांग के अनुसार मुफ्त में आपूर्ति की जा रही है.
गौेरक्षण के संचालक प्रा. गजानन भारसाकले ने मानव जीवन के लिए उपयोगी संशोधन किया. यह काफी सफल साबित हुआ. गाय के गोमुत्र मिश्रित गोबर व कडू निम के हरे पत्ते मिश्रित यह कंडे जलाने के बाद निकलने वाले धुएं से हवा प्रदूषण पर नियंत्रण पाने की बात सिध्द हुई है. लगातार चार वर्षों से कपूर, राल, नारियल का बाहरी कवच जैेसे सामग्री मिलाकर यह संशोधन आगे शुरु है, इसके लिए उन्हें पहले भारतीय कम्प्यूटर के जनक पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर का मार्गदर्शन तथा प्रदूषण जांच के लिए श्री शिवाजी शिक्षा संस्था बाभुलगांव अकोला के अभियांत्रिकी व तांत्रिकी महाविद्यालय के महाराष्ट्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अकोला सेंटर का अच्छा सहयोग मिल रहा है. इसी महाविद्यालय में गजानन भारसाकले प्राध्यापक के रुप में कार्यरत है. उन्हें फ्लॉयऑश काँक्रिट संशोधन के लिए विभिन्न सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाओं व्दारा पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इस गौरक्षण स्थल पर गोबर से विभिन्न प्रकार के खेतीपुरक खाद्य निर्माण का कार्य भी वे लगातार कर रहे हेै. यह खेती प्रिय उपक्रम अभिनंदन का पात्र साबित हो रहा है. प्रदूषण मुक्त कंडे (गोबरी) के लिए धार्मिक स्थल से मांग की जाती है तो, विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम के लिए यह कंडों की आपूर्ति मुफ्त में की जाएगी, ऐसा प्रा. भारसाकले ने जाहीर किया.

 

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