चांदुर रेल्वे-दि. 6 भानामती नदी के किनारे बसे मालखेड गांव में प्राकृतिक वातावरण में रहनेवाले अंबा माता के और शंकर के मंदिर में भक्तों की हमेशा भीड देखने को मिलती है. अंबामाता मालखेड वासियों का ग्रामदैवत के रूप में पहचाना जाता है. इस मंदिर का इतिहास जानने से ऐसी जानकारी मिलती है कि पुराने समय में विदर्भ प्रदेश का राजा वृषभदेव को 10 पुत्र थे. इन 10 लडको को राजधानी के चारों ओर निवासस्थान पर वितरण करके उस नाम पर से उसका निवासस्थान पहचाना जाता था. उसमें से एक कैतुमाल नाम का लडका था. उसके ही निवासस्थान पर पडोसी बस्ती बसी गई है. उसे मालकेतू के नाम से पहचाना जाने लगा. इसे मालकेतू नाम का अपभ्रंश होकर आगे मालखेड नाम प्रचलित हुआ. इस मालकेतु बस्ती का उपयोग श्रीमद भागवत देवी भागवत में दिखाई देता है.
इसमें सभी भक्त बडी संख्या में मंदिर में दर्शन के लिए आते है. विशेष यह कि शिवालय तथा अंबामाता इसका एक ही जगह पर मंदिर है. मंदिर से लगकर भानामती नदी यह दक्षिणवाहिनी नदी है. इस नदी के किनारे की गई पूजाविधि जल्द ही सफल होती है. ऐसी मान्यता है. चारों ओर हराभरा प्राकृतिक परिसर है. सभी दृश्य आकर्षित करनेवाले है. इस देवी के दर्शन से आत्मिक संतोष मिलता है. ऐसी भक्तों की श्रध्दा है.
भक्तों के लिए श्रध्दास्थान है. नवरात्रि दौरान 9 दिन यह उत्सव उत्साह से मनाया जाता है. 1997 से इस अखंड ज्योतस्थापना की शुरूआत हुई. तब से हर साल निरंतरता से यह परंपरा शुरू है. इस वर्ष मात्र 560 घट की स्थापना की गई. हर साल यह संख्या बढती जाती है. रोज सुबह और शाम होनेवाली महाआरती को सैकडों भक्त उपस्थित होते है. गांव के पंडित संजय पंत जोशी महाराज ये आरती की तैयारी करते है. हर साल इस समय भव्य महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है. आसपास के गांव में हजारों की संख्या में नागरिक लाभ लेते है. इस साल भव्य महाप्रसाद का आयोजन 7 अक्तूबर को किया है. इसका लाभ लेने का आवाहन मंदिर के ग्रामस्थ आयोजक कार्यकर्ताओं ने किया है.
मंदिर परिसर यह तपोभूमि है. गांव के व्यवहार से दूर शांत, पवित्र , मंगलमय ऐसी जगह है. पृथ्वी, पानी, पवन÷प्रकाश भरपूर है. आसपास खुली जगह होने से आकाश दर्शन अच्छा होता है. पंच महाभूत अनुकूल स्थान है. पूर्व दरवाजे के सामने बडा इमली का पेड है. उसके सामने खुले गायरान, भानामती नदी के छोटे पात्र, खेत के साईड से जानेवाला रास्ता आकर्षक है. मंदिर के गर्भगृह के द्बरवाजा छोटा है. दरवाजे से माता के दर्शन होते है.
प्रीती सचिन हिवराले,
* मंदिर के महंत शिवानंद महाराज
विगत 27 वर्षो से तपस्वी महाराज ये सेवा में कार्यरत है तथा वे श्री पंचदशनाम पुराना अखाडा सचिव पद पर है. वे आए तब से मंदिर का जीर्णोद्बार होता गया. ऐसा मत गाववासी व्यक्त कर रहे है. इसके अलावा अंबादेवी संस्थान के विश्वस्त अशोकराव देशमुख ये मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए परिश्रम कर रहे