अमरावती

मानव-वन्यजीव संघर्ष टालने के लिए कृति दल की स्थापना

वरिष्ठ वन अधिकारियों की राज्यस्तरीय परिषद में मंथन

अमरावती/दि.7- राज्य के विविध वन विभागों में 32 शीघ्र बचाव दल की स्थापना किए जाने के साथ ही शीघ्र ही कृतिदल को मजबूत बनाने पर जोर दिया जाएगा. वहीं बढ़ती मानव- वन्यजीव संघर्ष को टालने के लिए वन विभाग में सुक्ष्म नियोजन किया जाएगा. ऐसा विश्वास प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) सुनील लिमये ने गुरुवार को यहां व्यक्त किया.
अमरावती में तीसरे राज्यस्तरीय कृति दल अतिशीघ्र कृति दल मजबूतीकरण व मानव-वन्यजीव संघर्ष विषय पर आयोजित दो दिवसीय परिषद के उद्घाटन अवसर पर प्रमुख अतिथि के रुप में लिमये मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे. इस परिषद का उद्घाटन प्रधान मुख्य वनसंरक्षक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी (कॅम्पा) एस.जी.टेबुर्णीकर के हाथों किया गया. प्रमुख अतिथि के रुप में अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, न्यजीव (पूर्व) नागपुर वी.एस. हुडा, अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, वन्यजीव (पश्चिम) मुंबई डॉ. वी.क्लेमेट बेन आदि उपस्थित थे.
इस समय लिमये ने कहा कि गत कुछ वर्षों से विविध प्रकार के वन्य प्राणी मनुष्यों की बस्ती में दिखाई देने की घटनाओं में वृद्धि हुई है. वन्य प्राणियों के संवर्धन के कारण संख्या बढ़ रही है. वहीं बढ़ते शहरीकरण के कारण वन्यप्राणी मनुष्य के परिसर में अधिक पैमाने पर संपर्क में आ रहे हैं. जिसके चलते कुछ क्षेत्रों में मानव-वन्य प्राणी संघर्ष बढ़ा है. ऐसे समय वन विभाग द्वारा तुरंत कुशलता से व तज्ञों की तरह कार्यवाही करनी चाहिए,ऐसी उम्मीद सामान्यों को रहती है. इस दृष्टि से वन विभाग ने हलचल शुरु की है.
हाल ही में शीघ्र बचाव दल में अत्यावश्यक साहित्य, वाहन एवं आवश्यक कुश्ल मनुष्य बल आवश्यक है. उनके मजबूतीकरण के लिए आधुनिक साहित्य, सामग्री दी जाएगी. जंगल के संरक्षण पर भी जोर दिये जाने की बात लिमये ने कही.
इस परिषद में वनवृत्त के राज्यभर से 65 अधिकारी उपस्थित थे. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प क्षेत्र संचालक तथा मुख्य वनसंरक्षक ज्योती बेनर्जी ने मान्यवरों का स्वागत कर टीम के कार्यों का लेखाजोखा प्रस्तुत किया. वी.एस. हुडा ने वन्यजीव व्यवस्थापना का महत्व बताया. डॉ. वी.क्लेमेट बेन ने वन्य प्राणियों के जलद गति से रेस्क्यू बाबत मार्गदर्शन किया. एस.जी. टेबुर्णीकर ने आधुनिक तकनीकी ज्ञान का इस्तेमाल कर वन्यप्राणियों को रेस्क्यू करने के टिप्स दिये.

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