25 दिन बाद भी जेल से फरार तीनों कैदियों का कोई अता-पता नहीं
जेल प्रशासन सहित शहर पुलिस की बडी नाकामी
* अब तक किसी भी जेल अधिकारी व कर्मचारी की तय नहीं हुई जवाबदेही
* कार्रवाई के नाम पर केवल विभागीय जांच चल रही
अमरावती/दि.23- पुणे की येरवडा जेल के बाद सुरक्षा के लिहाज से राज्य में दूसरे स्थान पर रहनेवाली अमरावती सेंट्रल जेल की सुरक्षितता पर उस समय सवालिया निशान लग गया था, जब 28 जून की आधी रात डेढ से दो बजे के दौरान इस सेंट्रल जेल की बैरक क्रमांक 12 में रखे गये तीन कैदी ‘जेल ब्रेक’ की घटना को अंजाम देते हुए यहां से फरार हो गये. ‘जेल ब्रेक’ की इस घटना को घटित हुए आज करीब 25 दिन बीत चुके है, लेकिन उन तीनों कैदियों का अब तक कहीं-कोई अता-पता नहीं चल पाया है. ऐसे में उन तीनों कैदियों को ‘जमीन खा गई, आसमान निगल गया’ यह सवाल पूछा जा रहा है. साथ ही इन कैदियों को अब तक खोज पाने में नाकाम रही जेल पुलिस व शहर पुलिस की कार्यक्षमता को लेकर भी सवाल उठ रहे है. सर्वाधिक हैरत इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि, ‘जेल ब्रेक’ की इस घटना को लेकर अब तक अमरावती सेंट्रल जेल के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की जवाबदेही तय नहीं हो पायी है और कार्रवाई के नाम पर केवल कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की विभागीय जांच चल रही है. इस बीच अमरावती ‘जेल ब्रेक’ मामले की जांच करनेवाले चंद्रपुर जिला कारागार के अधिक्षक वैभव आगे ने कारागार प्रशासन की उपमहानिरीक्षक स्वाती साठे के पास अपनी प्राथमिक रिपोर्ट विगत 8 जुलाई को ही प्रस्तुत कर दी.
बता दें कि, हत्या के प्रयास से संबंधित मामले में रत्नागिरी की चिपलूण तहसील अंतर्गत नायसी गांव निवासी साहिल अजमत कालसेकर (33) को रत्नागिरी की अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और उसे आजीवन कारावास की सजा भुगतने हेतु अमरावती सेंट्रल जेल में भेजा गया था. जहां पर उसे बैरक क्रमांक 12 में रखा गया था. इसी बैरक में अमरावती जिले की वरूड तहसील अंतर्गत बालापेठ (शे. घाट) के रहनेवाले सुमीत शिवराम धुर्वे (19) व रोशन गंगाराम उईके (23) को नाबालिग के साथ दुराचार मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद सजा काटने हेतु रखा गया था. इन तीनों कैदियों ने बडे सुनियोजीत तरीके से 28 जून की रात जेल ब्रेक की घटना को अंजाम दिया और रात के समय अपनी बैरक से बाहर निकलने के साथ-साथ जेल की करीब 21 मीटर उंची दीवार फांदकर तीनों कैदी फरार हो गये. हालांकि रात के समय जेल परिसर के भीतर व बाहर काफी कडा पहरा होता है. इसके बावजूद ये तीनों कैदी बडी आसानी के साथ जेल से फरार होने में कामयाब रहे. जिसे लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है. साथ ही यह भी माना जा रहा है कि, इस घटना में जेल के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की भी मिलीभगत हो सकती है और जेल स्टाफ के करीब आठ से दस लोगोें को इसके लिए दोषी मानते हुए उनकी जांच की जा रही है. लेकिन वहीं दूसरी ओर ‘जेल ब्रेक’ की घटना को घटित हुए 25 दिन का समय बीत जाने के बावजूद भी अब तक जेल से फरार तीनों कैदियों का कोई अता-पता नहीं चल पाया है. जिसे आश्चर्य के साथ ही चिंता का विषय भी माना जा रहा है.