अमरावतीमहाराष्ट्र

करोडों के खर्च बाद भी चिखलदरा वासियों को दूषित पानी

फरवरी से एक के अंतराल पर जलापूर्ति

* जीवन प्राधिकरण नहीं दे रहा ध्यान
चिखलदरा/दि.18– विदर्भ के प्रसिद्ध हिलस्टेशन चिखलदरा में करोडों रुपए खर्च कर जलशुद्धीकरण केंद्र स्थापित किया गया, फिरभी यहां के लोगोें को दूषित जलापूर्ति हो रही है. जिससे बीमारियां बढने की आशंका बरकरार है. शहर में मंगलवार को बडी मात्रा में दूषित, मटमैला पानी नलों से लोगों को मिला. दूसरी ओर यह भी संकेत मिले है कि अगले माह से विदर्भ के नंदनवन में एक के अंतराल में जलापूर्ति होगी.

विदर्भ का एकमात्र बडा हिलस्टेशन चिखलदरा है. किंतु गत 15 वर्षों से पेयजल की समस्या बनी हुई है. बागलिंगा प्रकल्प से चिखलदरा को जलापूर्ति होनी है. इस प्रकल्प का काम मंथर गति से शुरु है. एकबार फिर जलसंकट जैसे हालात हिलस्टेशन के हो सकते है. यहां सीमित आबादी रहने के बावजूद जलापूर्ति यंत्रणा पर करोडों रुपए प्रतिवर्ष खर्च होता है. उसके बावजूद चिखलदरा वासी पानी के लिए तरस रहे है.

* कर्मचारी ने दी यह सफाई
जलशुद्धीकरण केंद्र पर कार्यरत कर्मचारी सुनील बुरंगे ने बताया कि, फिल्टर प्लान्ट की साफसफाई के कारण नलों से थोडा मटमैला पानी आया होगा. दूसरे दिन से शुद्ध जल की आपूर्ति का प्रयास है. प्लान्ट की धुलाई के कारण पानी दूषित दिखाई दिया.

* अगले माह से एक दिन आड
चिखलदरा में कालापानी, सक्कर तालाब, और आमझरी से 6 किमी के फासले से जलापूर्ति होती है. इस बार पर्याप्त बारिश नहीं होने से कालापानी तालाब भरा नहीं है. जिसके कारण फरवरी से जलापूर्ति एक दिन रुककर की जाएगी.

* साहब आप पी सकते हैं क्या यह पानी?
मटमैला पानी सप्ताह में एक-दो दिन सप्लाई होतो हैं. नागरिक बारंबार शिकायत कर तंग आ गए है. मंगलवार को मटमैले पानी ने लोगों का गुस्सा चरम पर ला दिया. यह मिट्टी मिला पानी है या चाय, यही समझ में नहीं आ रहा था. लोगों ने मजीप्रा के अधिकारियों से सीधे प्रश्न किया कि, साहब आप पी सकते हैं क्या यह पानी?

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