अमरावती

18 वर्ष की आयु के बाद भी अनाथ दिव्यांगों को बालगृह में रहने देने बनायेंगे कानून

गोवा के मुख्यमंत्री ने दिया शंकरबाबा पापलकर को आश्वासन

* पापलकर ने पर्पल फेस्ट में उठाई थी दिव्यांगों की समस्याएं
परतवाडा/ दि.10 – वझ्झर स्थित स्व. अंबादास पंथ वैद्य अनाथ, दिव्यांग व मूक-बधीर बालगृह के संचालक तथा अनाथों के नाथ कहे जाते शंकरबाबा पापलकर ने विगत 5 से 7 जनवरी के दौरान गोवा सरकार के विशेष निमंत्रण पर पणजी में आयोजित पर्पल फेस्ट में हिस्सा लिया था. गोवा की दिव्यांग कल्याण विभाग, पर्यटन विभाग तथा मनोरंजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में दिव्यांगों के उत्थान पर विचार-मंथन करने हेतु पर्पल फेस्ट का आयोजन किया गया था. जिसमें देश के लाखों मूक-बधीर, अंध, मतिमंद व बहुविकलांग लोगों के कल्याण व उत्थान हेतु काम करने वाले 100 से अधिक विशेषज्ञों व समर्पित कार्यकर्ता उपस्थित थे. इस पर्पल फेस्ट में शंकरबाबा पापलकर ने विगत 7 जनवरी को सभी विशेषज्ञों व हजारों लोगों की उपस्थिति के बीच वझ्झर मॉडल की जानकारी दी और इस संकल्पना को समूचे देशभर में चलाते हुए दिव्यांगों का पुनर्वसन करने का आह्वान किया. जिसे सकारात्मक प्रतिसाद देते हुए गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने शंकरबाबा पापलकर को आश्वासन दिया कि, 18 वर्ष से अधिक आयुवाले अनाथ दिव्यांगों को आजीवन बालगृह में रहने देने से संबंधित कानून गोवा राज्य में बनाया जाएगा और इससे संबंधित प्रस्ताव विधानसभा के आगामी अधिवेशन में प्रस्तुत करते हुए उसे केंद्र सरकार के पास भी भेजा जाएगा.
उल्लेखनीय है कि, 127 अनाथ, दिव्यांग व मतिमंद बच्चों का पालकत्व स्वीकार करने के साथ ही ऐसे बच्चे-बच्चियों का विगत करीब 30 वर्षों से पालन-पोषण कर रहे शंकरबाबा पापलकर विगत लंबे समय से इस बात को लेकर भी प्रयास कर रहे है कि, ऐसे बच्चों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद बालगृह से बाहर न निकाला जाए. क्योंकि 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बावजूद भी दिव्यांग व मतिमंद बच्चे खुद अपनी देखभाल करने में सक्षम नहीं रहते. अत: सामान्य बालगृहों के लिए रहने वाले नियम को दिव्यांग व मतिमंद बालगृह पर लागू न किया जाए. अपने इसी संघर्ष और दर्द को पणजी में आयोजित पर्पल फेस्ट में सबके सामने केवल दो पंक्तियों में उपस्थित करते हुए शंकरबाबा पापलकर ने कहा कि, ‘ए सूरज तुझे क्या पता रात का गम, तु किसी दिन खुद रात में उतरकर देख.’ पर्पल फेस्ट में शंकरबाबा पापलकर व्दारा पेश किये गए तथ्यों से गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत काफी प्रभावित हुए और उन्होंने गोवा राज्य में जल्द ही ऐसा कानून बनाए जाने को लेकर घोषणा की. जिसके चलते दिव्यांग व मतिमंद अनाथ बच्चे 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी बालगृह में रह सकेेंगे.

बाबा ने व्यक्त की व्यथा
विगत करीब साढे तीन दशकों से दिव्यांग व मतिमंद अनाथ बच्चों के कल्याण व उत्थान हेतु काम कर रहे शंकरबाबा पापलकर ने पर्पल फेस्ट में कहा कि, देश के प्रति वर्ष 18 साल की आयु पूर्ण करने वाले करीब 1 लाख दिव्यांग व मतिमंद लडके-लडकियों को सरकारी नियम व कानून की वजह से बालगृह छोडना पडता है. इसके बाद ऐसे बच्चे कहां जाते है और क्या करते है, इसकी कोई जानकारी सरकार व प्रशासन के पास नहीं होती. ऐसे में इन बच्चों के साथ कुछ भी गलत व अघटित होने की संभावना होती है. अत: 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले दिव्यांग व मतिमंद अनाथों के आजीवन पुनर्वास हेतु बालगृह में ही रहने देने का कानून बनाने की पहल सर्वप्रथम गोवा सरकार करें. शंकरबाबा व्दारा की गई इसी भावनात्मक अपील से गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. सावंत प्रभावित हुए.

वझ्झर मॉडल का होगा अध्ययन
पर्पल फेस्ट में शंकरबाबा पापलकर ने जिस प्रभावी अंदाज में वझ्झर मॉडल से संबंधित जानकारी प्रस्तुत की. उससे वहां उपस्थित सभी लोग काफी प्रभावित हुए और अब वझ्झर मॉडल का अध्ययन करने हेतु गोवा के दिव्यांग विभाग के आयुक्त गुरु पावस्कर के साथ कुछ विशेषज्ञों का प्रतिनिधि मंडल वझ्झर आश्रम भेजा जाएगा. जो इस आश्रम में रहने वाले सभी बच्चों की स्थिति का आकलन करने के साथ आश्रम के कामकाज के तरीके को भी देखेगा. पर्पल फेस्ट में शंकरबाबा पापलकर के साथ गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, माय होम इंडिया के अभय सिट गोवा के सूचना आयुक्त संजय डबलीकर, दिव्यांग विभाग आयुक्त गुरु पावस्कर तथा अनाम प्रेम संस्था के प्रशांत भट आदि उपस्थित थे.

 

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