अमरावती

हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भी तुकडा बंदी जैसे थे

30 प्रतिशत से घटे मालमत्ता व्यवहार

* अल्पभूधारकों के व्यवहार प्रभावित
अमरावती/दि.21– महाराष्ट्र तुकडा बंदी कानून के प्रावधानों के तहत टोकन विभाग को छोडकर शेष महाराष्ट्र में बागायती खेती जमीन के लिए 20 गुंठे से कम व जिरायती जमीन के लिए 2 एकड से कम क्षेत्र का खरीदी खत (सेल डिड) नहीं करने का परिपत्रक राज्य के पंजीयन व मुद्रांक महानिरिक्षक ने 12 जुलाई को जारी किया था. लेकिन पंजीयन व मुद्रांक महानिरिक्षक का संबंधित परिपत्रक रद्द करने का फैसला मुंबई हाईकोर्ट के औरंगाबाद खंडपीठ ने 5 मई को दिया. इस फैसले को 15 दिनों से अधिक का समय हो गया है. लेकिन अभी तक महानिरिक्षक स्तर पर संबंधित परिपत्रक पीछे नहीं लिया गया है. जिससे राज्य में मालमत्ता खरीदी-बिक्री के व्यवहार 30 प्रतिशत से घट गये है.
इस मामले के याचिकाकर्ता प्रकाश गुडगुल व गोविंद सोलापुरे ने बताया कि, 5 मई को हाईकोर्ट से निर्णय आने के बाद कोर्ट के आदेश का कापी महानिरिक्षक को भेजी गई. जिसके बाद औरंगाबाद के सभी दुय्यम निंबधक कार्यालय में जाकर तुकडों का खरीदी खत कराने की मांग की. लेकिन एक भी निबंधक ने खरीदी खत नहीं किया. वहीं खरीदी खत नहीं करने को लेकर लिखित में जवाब तक नहीं दिया. तुकडा बंदी का परिपत्रक रद्द होने को लेकर हमे वरिष्ठ कार्यालय से किसी भी प्रकार की सुचना नहीं रहने का जवाब निबंधक द्बारा दिया जा रहा है, यह कोर्ट का अपमान है, जिस पर कोर्ट में अवमान याचिका दाखिल करने की जानकारी भी याचिकाकर्ताओं ने दी.

* खरीदी-बिक्री पर असर
तुकडा बंदी के कारण जमीनों के खरीदी-बिक्री पर असर हुआ है. विशेषत: मराठवाडा में जिरायती क्षेत्र का प्रमाण अधिक है. जिससे वर्तमान में यदि किसी किसान के पास 2 एकड से कम जमीन है, तो उसे वह जमीन खरीदी खत के आधार पर बेचते नहीं आती. औरंगाबाद के साथ ही बीड, उस्मानाबाद, परभणी, हिंगोली जिले में भी जिरायती खेत जमीनों की संख्या अधिक है.

* पंजीयन व मुद्रांक विभाग की अनदेखी
पंजीयन महानिरिक्षक के 12 जुलाई 2021 के परिपत्रक के खिलाफ औरंगाबाद के निर्माण व्यवसायी गोविंद सोलपुरे, प्रकाश गडगुल व कृष्णा पवार ने औरंगाबाद खंडपीठ में याचिका दायर करायी थी. 5 मई 2022 को कोर्ट ने पंजीयन महानिरिक्षक के पत्र को रद्द करार देकर तुकडा बंदी कानून पर अमल करने की जिम्मेदारी पंजीयन व मुद्रांक विभाग की नहीं रहने की बात कहीं. यह फैसला आकर 15 दिन बीत गये है, लेकिन अब तक भी सरकार या पंजीयन व मुद्रांक विभाग ने अपना परिपत्रक पीछे लिया नहीं है.

* शासन से सूचना मिलने की प्रतिक्षा
औरंगाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने किसी भी तरह की सूचनाएं जारी नहीं की. इस फैसले के खिलाफ अपील करनी है, या रिव्ह्यू करना है इस पर शासन द्बारा विचार किया जा रहा है. शासनस्तर पर जो निर्णय लिया जाएगा, उसके आधार पर नया परिपत्रक जारी होगा.
– श्रावण हर्डीकर, पंजीयन महानिरिक्षक व मुद्रांक नियंत्रक

* ऐसे दिक्कतों से हो रहा सामना
– गेवराई तहसील के एक किसान को 3 बेटे है, उसके पास 5 एकड जिरायती जमीन थी. उसे उसने तीनों बेटों में बांट दिया. जिससे प्रत्येक बेटे के हिस्से पर 1 एकड 26 आर जमीन आयी. इन तीन बेटों में से एक बेटा शहर में रहता है, उसे अपने हिस्सें पर आयी जमीन बेचकर शहर में घर लेना है. लेकिन तुकडा बंदी के परिपत्रक के चलते खरीदी-बिक्री नहीं हो सकती. जिससे जमीन खरीदने वाला भी कम भाव में जमीन मांग रहा है. ऐसे में वह जमीन कम दाम पर बेचे या साहुकार के पास गिरवी रखे, यह सवाल उपस्थित हुआ.
– औरंगाबाद के सातारा परिसर निवासी एक व्यक्ति ने 4 वर्ष पहले एनए 45 अंतर्गत लेआउट में घर खरीदा था. उस समय अधिकृत मुद्रांक शुल्क भरकर खरीदी खत किया गया था. जब यह घर बांधा गया था, तब वहां ग्रामपंचायत थी. ग्रामपंचायत में अधिकृत शुल्क लेकर लेआउट मंजूर कर निर्माण की अनुमति दी थी. उसी आधार पर उसने संबंधित घर खरीदी किया. लेकिन अब उसे यह घर बेचने में दिक्कतें जा रही है. दुय्यम निबंधक द्बारा एनए 44 व मनपा की निर्माण अनुमति रहने वाले घरों की ही खरीदी-बिक्री होने का कारण बताया है.

* 2 एकड से कम जगह की बिक्री में परेशानी
संबंधित परिपत्रक महाराष्ट्र धारण जमीन के तुकडे करने पर प्रतिबंध व एकत्रिकरण अधिनियम 2015 के तहत है. राज्य में जमीन के तुकडे कर बेचने का प्रमाण बढ गया है. अधिनियम के प्रावधानों के तहत तुकडा बंदी लागू रहने के बाद भी ऐसे तुकडों के खरीदी खत हुए है. अब आगे धारा 8 ब अंतर्गत मंजूर उपविभाग या रेखांकन के साथ नहीं जुडे जमीनों के खरीदी खत नहीं होंगे. धारण क्षेत्र से कम तुकडे के मामले में जमीन महसूल अधिनियम 44 अनुसार अ कृषक की सनन रहने पर ही खरीदी-बिक्री करें, ऐसा परिपत्रक का अर्थ है. कोंकण को छोडकर महाराष्ट्र में बागायती क्षेत्र के लिए 20 गुंठे व जिरायती के लिए 2 एकड क्षेत्र निर्धारित किया गया है. जिससे बागायती जमीन यदि 20 गुंठे से कम है और जिरायती जमीन 2 एकड से कम है, तो उसकी खरीदी-बिक्री नहीं होती.

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