अमरावती

मुदत खत्म होने के बाद भी बालक दो वर्ष तक बालगृह में रह सकते है

अनाथ बालको को बालविकास मंत्री यशोमती ठाकुर ने दी राहत

अमरावती/प्रतिनिधि दि.३ – बाल न्याय अधिनियम में ‘बालक’ इस संज्ञा के लिए दर्ज उम्र की शर्त पूरी होने के कारण बालको का ध्यान रखने के लिए कार्यरत संस्था से बाहर जाना पड़ता है. फिलहाल कोरोना की स्थिति को देखकर राज्य के बालगृह में पात्र बच्चों को बालगृह सेवा की पूर्ति के लिए उम्र की शर्त दो वर्ष से शिथिल करने का निर्णय शासन ने लिया है. राज्य की महिला व बालविकास मंत्री यशोमती ठाकुर के निर्देश से इन बालको को बड़ी राहत मिली है.
बालगृह से बाहर निकलकर भी जिस अनाथ, निराधार बच्चों को संस्थात्मक सावधानी की आवश्यकता है, ऐसे बच्चों के लिए बालगृह योजना १८ से २१ वर्ष उम्रगुट के बालको के लिए चलाई जा रही है. उस अंतर्गत निरीक्षण, बालगृह में मुदत खत्म होने को एक वर्ष का समय है उन निराधार बालको को अन्न, वस्त्र, निवारा आदि मुलभूत सुविधा सहित उनके पुनर्वसन की दृष्टि से शालेय व व्यावसायिक प्रशिक्षण ये बालगृह सुविधा दी जाती है.
तथापि बालको की सावधानी के लिए कार्यरत संस्था से बाहर जाने के बाद शासन की व स्वयंसेवा संस्था की मदद से रोजगार प्राप्त कर समाज में स्वयं के पैर पर खड़े रहनेवाले अनेक बच्चों के रोजगार कोरोना के संकट में समय चले गये है. जिसका पालकत्व जल्द ही शासन ने स्वीकार करके उन्हें सक्षम बनाया था. उन बच्चों पर मात्र इस आपत्ति के कारण रास्ते पर आने की नौबत आ गई है. जिसके कारण ऐसे बालको को अपने बालगृह में भर्ती करने का निर्णय शासन ने लिया है, ऐसा ठाकुर ने बताया.

  • पुनवर्सन के लिए प्रयास

बाल न्याय (बच्चों की सावधानी व सुरक्षा) अधिनियम २०१५ में प्रावधाननुसार सावधानी व सुरक्षा की आवश्यकता रहनेवाले अनाथ, निराधार, संकटग्रस्त व अत्याचारित बालको को पुलिस स्वयंसेवी संस्था, पालक की ओर से बालकल्याण समिति द्वारा बालगृह में प्रवेश दिया जाता है. इसमें शून्य से १८ वर्ष उम्रगुट के बालको को सभी सुविधा की पूर्ति की जाती है उसी प्रकार पुनर्वसन के लिए प्रयत्न किए जाते है.

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