तीन महीने बाद भी विद्यार्थियों को नहीं मिले गणवेश
भातकुली तहसील के पूर्णा नगर की जिप उर्दू शाला की दस्तां
* शाला व्यवस्थापन समिती ने कि शिक्षणाधिकारी से शिकायत
अमरावती/दि.1- शासन की तरफ से स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन , अच्छी शिक्षा के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन योजनाओं का इस्तेमाल तथा प्रचार-प्रसार सही ढंग से नजर नहीं आ रहा हैं. शासन में बैठे अधिकारी-कर्मचारी कि लापरवाही सरेआम देखने को मिल रही हैें. वर्ष 2024-25 शिक्षा सत्र के तीन महीने बीत चुके हैं. इसके बावजूद भी भातकुली तहसील अंतर्गत आने वाली जिप उर्दू माध्यमिक पूर्णानगर के विद्यार्थी शाला गणवेश से वंचित हैं. इस लिए उन्हें जल्द ही गणवेश वितरीत करने की मांग जिप शिक्षाधिकारी से जिप पूर्व माध्यमिक उर्दू शाला पूर्णानगर की शाला व्यवस्थापन समिती व्दारा समिती अध्यक्ष अब्दुल अलीम अब्दुल तमीज के नेतृत्व में किया गया.
आज दोपहर जिप शिक्षणाधिकारी को सौंपे गए निवेदन में शाला समिती अध्यक्ष अब्दुल अलीम ने बताया कि शिक्षण विभाग की ओर से बच्चों को दो सेट निशुल्क गणवेश दिए जाते है. शिक्षा सत्र के तीन माह बीत जाने के बावजूद भी अभी तक भातकुली तहसील में विद्यार्थियों को गणवेश वितरण नहीं किया गया. इससे विभाग के सक्रियता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. निजी स्कूलों के बच्चों को ड्रेस में जाते देखकर बच्चों में हीन भावना पैदा हो रही हैं.यही वजह हैं कि अभिभावक सरकारी स्कूल से दूरी बना रहे हैं. सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग पिछले साल तक दो गणवेश की राशी सीधे स्कूल के खाते में भेजता था. जहां स्कूल कमेटी नियोजन कर स्कूल शुरू होने से पहले गणवेश की खरीदी कर पहले ही दिन विद्यार्थियों को गणवेश का वितरण कर देती थी. लेकिन इस वर्ष से नये आदेश के तहत गणवेश की राशी स्कूल को न देते हुए सीधे गणवेश स्वयहत समूह के माध्यम से सप्लाई किए जा रहे हैं. जिसके कारण अपनी मनमर्जी के अनुसार संबंधीत विभाग कार्य कर रहा हैं. इसके कारण ही विद्यार्थी गणवेश से वंचित रहे हैं. और व्यवस्थापन समिती को पालक वर्ग हर दिन विद्यार्थियों को गणवेश कब मिलेगा ऐसा जबाब पूछ रहे हैं. इस लिए जल्द से जल्द जिपा की स्कूलों में गणवेश वितरण कर विद्यार्थियों की समस्या दूर करने की मांग अब्दुल अलीम के नेतृत्व में रेश्मा परवीन अ. सलीम, छोटू शाह, समिना इम्रानोद्दीन, अ. मतीन, अ. नाजीम, मो. फैय्याज, रशिदा बानो शरफोद्दीन तथा शाला व्यवस्थापन समिति ने की हैं.