अमरावती

सम्मतीपत्र लिखवाने के बाद भी पार्थिव नहीं दिया परिजनों को

कोरोना का संदेह रहने के चलते दो दिन शवागार में रखा गया शव

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१३ – शव को अंतिम संस्कार हेतु उसके परिजनों के सुपुर्द किया जा रहा है और परिजनों को शव प्राप्त हो गया है. इस आशय के सहमति पत्र पर मृतक के दोनों बेटों के हस्ताक्षर तो लिये गये, किन्तु उन्हें उनके पिता का शव न सौंपते हुए उसे जिला सामान्य अस्पताल के शवागार में भिजवा दिया गया. यह घटना स्थानीय पीडीएमसी अस्पताल में ८ अक्तूबर की रात घटित हुई. इस समय संबंधित परिजनों को बताया गया कि, मृतक की कोरोना रिपोर्ट आने तक शव के सुपुर्दनामे की कार्रवाई नहीं की जा सकती. पश्चात मृतक की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद १० अक्तूबर को मृतक व्यक्ति का शव उसके परिजनों को सुपुर्द किया गया. लेकिन इन ६५ घंटों के दौरान मृतक व्यक्ति के चारों बेटों सहित उसके पूरे परिवार को जबर्दस्त मानसिक तकलीफों का सामना करना पडा. मिली जानकारी के मुताबिक भातकुली तहसील अंतर्गत आनेवाले एक गांव के ८३ वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति की विगत ८ अक्तूबर की शाम ७.२५ बजे पीडीएमसी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी. जिसके तुरंत बाद मृतक के दो बेटों से लिखवाकर लिया गया कि, उन्हें उनके पिता का शव अंतिम संस्कार हेतु मिल गया है. लेकिन इसके बाद रात ८.३० बजे इन दोनों बेटों को बताया गया कि, कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आने तक उन्हें उनके पिता का शव नहीं दिया जायेगा. साथ ही अगर रिपोर्ट पॉजीटिव आती है, तो उस शव का अंतिम संस्कार अमरावती की स्मशानभुमि में ही करना होगा. इसके साथ ही रात करीब ९.३० बजे के आसपास उस बुजुर्ग व्यक्ति के शव को इर्विन के शवागार में भिजवाया गया. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह उठता है कि, शव को अंतिम संस्कार हेतु परिजनों के सुपुर्द किये जाने को लेकर लिखवाये गये सहमति पत्र का ्नया अर्थ रह जाता है.

  • नेत्रदान का भी सहमति पत्र!

इस मरीज के मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ में उसकी मृत्यु सारी व कार्डियो रेस्पीरेटरी अरेस्ट से होने की बात कही गयी है. साथ ही पीडीएमसी की ओर से दिये गये इस सर्टिफिकेट में मृतक के नेत्रदान को लेकर भी सहमति पत्र लिखवाया गया है. किन्तु मृत्यु के तुरंत बाद उसके शव को इर्विन के शवागार में रखवा दिया गया. ऐसे में मृतक व्यक्ति का मरणोपरांत नेत्रदान कब किया गया और इस बारे में मृतक व्यक्ति के परिवार को पहले जानकारी क्यों नहीं दी गई. यह भी अपने आप में एक बडा सवाल है.

  • भावातिरेकवाली दौडभाग और दु:ख में भी आनंद

मृतक व्यक्ति के चारों बेटे अपने पिता का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार हेतु प्राप्त करने के लिए लगातार दौडभाग कर रहे थे. पहले उन्हें बताया गया कि, शुक्रवार की दोपहर तक कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आ जायेगी, लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतने लगा, वैसे-वैसे वे अपने पिता के पार्थिव को गांव ले जाकर उस पर अंतिम संस्कार कर पायेंगे, यह अपेक्षा क्षीण होने लगी. पश्चात ९ अक्तूबर की रात करीब ७.३० बजे के आसपास उनके पिता की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आयी और दु:ख के इस क्षण में भी उन्हें इस बात का आनंद हुआ कि, कम से कम उन्हें अपने पिता का शव अंतिम संस्कार के लिए मिल जायेगा और वे अपने पिता के पार्थिव को अपने गांव ले जाकर उस पर परंपरा एवं विधि-विधान के नुसार अंतिम संस्कार कर पायेंगे. जिसके बाद शनिवार की सुबह १० बजे के आसपास उस मृतक व्यक्ति का पार्थिव शरीर जिला शवागार से बाहर निकाला गया और उसे उसके पैतृक गांव अंतिम संस्कार हेतु भिजवाया गया.

  • तीसरे दिन हुआ अंतिम संस्कार, नेत्रदान नहीं किया गया

सारी संक्रमित मरीज की मौत होने पर उसकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आने से पहले शव को अंतिम संस्कार हेतु परिजनों के सुपुर्द न किया जाये, ऐसा नियम है. उसी नियम का इस मामले में भी पालन किया गया. – डॉ. श्यामसुंदर निकम जिला शल्य चिकित्सक

 

किसी भी कोरोना संक्रमित मरीज का मरणोपरांत नेत्रदान नहीं किया जाता. संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के समय उनका कोरोना स्टेटस् पता नहीं था. ऐसे में कोविड टेस्ट रिपोर्ट आने तक शव को अंतिम संस्कार के लिए इर्विन के शवागार में भिजवाया गया और रिपोर्ट आने में करीब ४८ घंटे का समय लग गया. ऐसे में संबंधित व्यक्ति के नेत्रदान की प्रक्रिया करना भी संभव नहीं था. – डॉ. पद्माकर सोमवंशी डीन, पीडीएमसी

  • पत्नी, बहुओं व परिजनों की हालत खराब

जहां एक ओर अमरावती में उस मृतक व्यक्ति के चारों बेटे अपने पिता का पार्थिव शरीर प्राप्त करने हेतु दौडभाग कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर गांव में रहनेवाली मृतक की पत्नी सहित बहुओं व अन्य परिजनों की इस लंबे इंतजार की वजह से हालत खराब हो रही थी. अंतत: १० अक्तूबर को अपरान्ह १२ बजे के आसपास उस मृतक व्यक्ति का पार्थिव शरीर अपने गांव पहुंचा. इस दौरान दो दिनों तक संबंधित परिवार के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका था.

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