मुगल काल में भी प्रभु राम का प्रभाव शहंशाह अकबर पर देखा गया
अकबर की मां पढा करती थी रामायण
जोधपुर/दि. 15 – मुगलो के काल में भी प्रभु श्रीराम का प्रभाव रहा हैं. यह प्रभाव सम्राट अकबर पर भी देखा जा सकता हैं. उनकी माता हमीदा बानो बेगम के मरियम महल में पिल्लरो पर प्रभु राम का दरबार देखा जा सकता हैं. सम्राट अकबर और उनकी माता रामकथा के प्रति आस्था रखते थे. उन्होंने रामयण का सचित्र अनुवाद करवाया था. जो अलग-अलग पुस्तकालयों में आज भी सुरक्षित हैं. दोहा के इस्लामिक कला संग्रहालय में आज भी वह रामायण हैं. जिसका फारशी में अनुवाद करवाया गया था.
यह काम अकबर के कहने पर हुआ था. उन्हें यह रामायण इतनी पसंद आई थी की, दरबार के अनेको ने भी खुद के लिए प्रतियां बनवाई थी. इस रामायण में 56 बडे चित्र थे इसकी शुरुआत एक शानदार फुल और सोने के चित्रों से सजी हुई हैं. वाल्मिकी ने रामायण की रचना कैसे की, इसकी एक फ्रेमिंग हैं. अकबर के दरबार में विभिन्न धर्मो और क्षेत्र से विद्वान व कलाकार इकठ्ठा होते थे. वर्ष 2000 में कतर के शाही शेख सऊद अल थानी ने इसे खरीदने से पूर्व हमीदा बानो की रामायण अनेक हाथो से गुजरी. उन्होंने इससे अलग किए गए अधिकांश चित्रो को भी प्राप्त किया. ताकि इसे पुरा फिर से बनाया जा सके. अकबर के शासन काल में तूतीनामा के अलावा रामायण और महाभारत का फारशी में अनुवाद किया गया. दोहा रामायण 16 वीं सदी के उत्तर भारत की भाषा, कला और साहित्य की झलक हैं. इससे मालूम पडता हैं कि, मुगलो को रामायण और शासन करने दैवीय अधिकार की धारणाओं में कैसे विशेष रुची थी.