अमरावती

सत्संग का एक कण भी हमारे जीवन में आ गया तो जीवन धन्य हो जाता है

हरेशभाई राज्यगुरू ने शिवमहिमा का किया बखान

अमरावती- / दि. 23 बडनेरा रोड पर स्थित भक्तिधाम मंदिर में सोमवार को शिवकथा के दूसरे दिन हरेशभाई राज्यगुरू ने शिवमहिमा का बखान करते हुए बताया कि, शिव कथा सुनने से अधोगति में भटकने वाला जीव, पिशाच योनी में भटकनेवाले जीव पर महादेवजी की कृपा होती है और वह ब्राम्हण योनी में आ जाता है, उसकी सदगति हो जाती है. उसे भगवान का कैलाश धाम प्राप्त होता है. कथा गतार्थ को कृतार्थ करनेवाली होती है. जीव के उध्दार और सदगति के लिए एक ही श्रेष्ठ साधन है, जिसे परमात्मा कहते है. केवल कथा की शक्ति और महिमा के कारण ही जीवात्मा शिवात्मा में तब्दील हो जाती है. सत्संग का कोई कण हमारे जीवन में आ गया तो जीवन धन्य हो जाता है.
राज्यगुरू जी ने कहा, सोने की चूडी, कुंडल, पैजन, हार या कुछ भी हो, आकार अनुसार सबका नाम परिवर्तित होता है. लेकिन इन सभी का मूल तो एक सोना ही है. उसी प्रकार कोई राम का है, कोई कृष्ण का है, कोई गौड या अल्लाह का है. इन सभी के नाम अलग-अलग है पर तत्व समान है. तत्व केन्द्र में रहता है और उसकी परिधि पर पूरा विश्व स्थापित है. ब्राह्मण इस बिंदु को भूल गया है. इस तत्व को भूल जाने से विपत्ति पैदा हो जाती है.
पार्वती मां ने तुमगुरू (भगवान का भक्त) से निवेदन किया जो प्रतिदिन हरिनाम में और महादेव के नाम में मस्त हो और उन्हीं की काया से स्वस्थ हो. उनकी काया के कारण ही तो हम स्वस्थ रहते है. भगवान के नाम की मस्ती जिसके जीवन में हो उसका जीवन मस्त रहता है. जब आप हसंते हुए कहीं जाते हो तो आपके मुस्कान में कौन होता है. वह महादेवजी ही तो है. डोंगरे महाराज कहा करते थे कि संसार का पदार्थ हमें क्षणिक आनंद देगा लेकिन प्रभु का अलौकिक नाम वह आनंद देता है जो क्षणिक नहीं कायम है. वह 24 घंटे चलनेवाली मस्ती है जो जीवन भर आपके साथ रहती है.
महाराजजी ने कहा, कथा के सात दिन श्रोता के नियम, वक्ता, पंडाल की व्यवस्था कैसी होनी चाहिए, ऐसी सभी छोटी छोटी बातें शिवपुराण के महातम्य में सूतजी ने बताई है. जहां शिवपुराण की कथा करो वह आंगन पवित्र हो जाता है. देवताओं का पूजन करना जरूरी है.
क्योंकि हमारे ऋषियों ने बताया है कि, कोई भी सत्कर्म करने से पहले पंचायतन देवताओं का पूजन होना चाहिए. हम सब की रक्षा करनेवाले पंचायतन देव है. शास्त्र का नियम प्रत्येक गृहस्थी को यह पंचायतन देवताओं का पंच यज्ञ करना चाहिए. हम सभी गृहस्थ है. इसलिए कई सारी गलतियां हमसे होती रहती है. इनके निराकरण हेतु पांच देवताओं का पूजन और पंच देवताओं का यज्ञ अवश्य होना ही चाहिए. पंचायत देवताओं में गणेश, सूर्य, विष्णु, कुलदेवी, रूद्र होने ही चाहिए. गणेश यज्ञ का अर्थ है कि किसी यज्ञ में स्वाहा स्वाहा करके आहूति दो. एक अर्थ यह भी है कि जब भी गणेश चतुर्थी आए तो 11, 108,501 मोदक, थोडे दुर्वा या थोडे फूल गणपति को अर्पित करें. दूसरा यज्ञ सूर्य का है. सूर्य नारायण के 12 नाम बोलकर हमें सूर्य को जल देना चाहिए. इससे कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से भी छूटकारा मिल सकता है. इसके पीछे पूरा विज्ञान है. तीसरा विष्णु यज्ञ का अर्थ होता है कि, साल में नारायण से संबंधित कोई पूजा होनी चाहिए. सिर्फ सत्यनारायण करने से बात नहीं बनती. कथा के साथ विष्णु जी की पूजा करने से जीवन में व्यापकता आनी चाहिए. कुलदेवी का जहा स्थान हो मैं उनकी पूजा करके नवचंड यज्ञ करके यदि में अमरावती में आ जाउ तो देवी यज्ञ हो गया. 5 वां यज्ञ महादेव जी का है. रूद्र यज्ञ, शिव यज्ञ, श्रावण मास में शिवालय में जाकर , एक बेल पत्र, थोडे से काले तिल, एक दूध का लोटा और ओम नम: शिवाय बोलकर महादेव के शिवलिंग पर समर्पित करे तो यह शिवयज्ञ हो गया. महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है. इसलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है.
शिवकथा सुनने हेतु भक्तिधाम में भक्तों का बडा जत्था उमडा. शहर से करीब 350 से 400 लोग शिवलिंग महात्म्य की कथा सुनने के लिए आए. भक्तों में उर्जा संचार करने के लिए पूज्य श्री नरेश राजगुरू थोडे समय के अंतराल में ओम नम: शिवाय, हरे राम हरे राम, बोलो हरे हरे ऐसे जयकारे लगा रहे थे. कथा के साथ भजन में भी भक्तों को वे कई बातें समझाते गये. कथा प्रारंभ से पहले पूजय नरेश भाई के बडे भाई हरेशभाई राज्यगुरू ने अपने कीर्तनों से कथा का माहौल तैयार किया. कीर्तन आधे पौन घंटे तक चले, कथा समाप्ति पश्चात महाआरती हुई और प्रसाद वितरण किया गया.

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