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स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त करने की जरूरत
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१० – माताओं के स्वास्थ्य तथा मातृत्व के दौरान महिलाओें की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है, यह अधोरेखित करने के लिए प्रतिवर्ष 10 जुलाई को मातृ सुरक्षा दिवस मनाया जाता है. लेकिन इसके बावजूद आज के इस आधूनिक दौर में भी जीवन प्रदान करनेवाली जन्मदात्री का स्वास्थ्य और जीवन खतरे में रहने की बात बार-बार सामने आती है. चिकित्सा जगत में हुई प्रगति के कई उदाहरण सामने रहने के बावजूद आज के अत्याधूनिक तकनीकी दौर में भी प्रसूति के दौरान महिलाओं की जान खतरे में पडने की अनेकों घटनाएं घटित होती है. ऐसे में प्रसूति पूर्व काल के दौरान बरती जानेवाली सतर्कता तथा आहार व व्यायाम को लेकर महिलाओं को जागरूक करने और इस हेतु कार्यान्वित रहनेवाली सरकारी योजनाओं का प्रसार करने का काम स्वास्थ्य महकमे द्वारा किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद हकीकत यह है कि, ग्रामीण क्षेत्र में अंतिम घटक तक यह योजनाएं और इन योजनाओं के लाभ पहुंच नहीं पाते.
बता दें कि, माता मृत्यु व बालमृत्यु का प्रमाण कम करने हेतु विगत आठ वर्षों से जननी सुरक्षा योजना शुरू है. जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर घटक से वास्ता रखनेवाली गर्भवति महिलाओं का पंजीयन करने से लेकर स्वास्थ्य जांच, औषधोपचार व प्रसूति की सेवाएं नि:शुल्क दी जाती है, लेकिन इन योजनाओं को लेकर जानकारी व जागरूकता का अभाव रहने के चलते प्रत्यक्ष प्रसूति के समय महिलाओं की जान खतरे में पडने की समस्या पैदा होती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान उपक्रम के साथ ही सुरक्षित मातृत्व हेतु सरकारी की ओर से घोषित विभिन्न योजनाओं की जानकारी आम नागरिकों तक नहीं पहुंच पाने की वजह से जन्मदात्री की जान अब भी खतरे में है.
हालांकि प्रसूति के दौरान महिलाओं की मौत होने का प्रमाण विगत कुछ वर्षों के दौरान आधे से भी अधिक घट गया है. लेकिन जिले के आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में अब भी यह समस्या बरकरार है. जहां पर माता मृत्यु का प्रमाण रोकने में असफलता ही हाथ लगी है. माता मृत्यु होने का प्रमाण मेलघाट सहित जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में भी है. किंतु हर क्षेत्र में इसके पीछे वजहें बिल्कुल अलग-अलग है.
वर्षनिहाय मातामृत्यु
2017-18 – 22
2018-19 – 30
2019-20 – 30
2020-21 – 53
2014-21 – 392
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कम आयु में विवाह भी मुख्य वजह
जिले आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र सहित ग्रामीण इलाकों में लडकियों का विवाह बेहर कम आयु में कर दिया जाता है. साथ ही विवाह के बाद दो बच्चों के बीच समय का अंतर भी बेहद कम रहता है. यह भी प्रसूति के दौरान होनेवाली माता मृत्यु की एक सबसे प्रमुख वजह है.