खेत के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे, सालाना करार भी गया लाखों पर
दूसरे राज्य से लाना पड़ता है मजदूर
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एक दिन में देना पड़ता है. 500 रूपये मजदूरी
अमरावती/दि.15 – गुढ़ी पाडवा यह त्यौहार बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है. साडेतीन मुहूर्त में से एक मुहूर्त में खेत के काम की शुरूआत की जाती है.
गुढी पाडवा पास में आया कि ग्रामीण क्षेत्र के किसान अपने खेत में काम करने के लिए मजदूरो की खोज करते है. गुढी पाडवा के दिन खेत में काम करनेवाले की तलाश कर काम की शुरूआत की जाती है. इस साल खेत में काम करनेवाले मजदूरों का वेतन एक लाख से ऊपर हो गया है. पिछले साल 85 हजार तक पहुंच गया था. इस बार इसमें वृध्दि होने का दिखाई दे रहा है.
बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखकर हमको पुरता नहीं है, ऐसा काम करनेवाले मजदूरों का कहना है. मजदूरों के वर्षभर का पारिवारिक संसार इस पैशे से चलाया जाता है. लगातार होनेवाली अकाल, अतिवृष्टि, फसलों का नुकसान जिसके कारण किसान संकट में आ गया है. काम करनेवाले का वेतन भी नहीं निकलता. कृषि की आय भी घटती जा रही है. जिसके कारण किसान अपना खेत हिस्सेदारी व कम हिस्से में बाट देता है.
किसानों को खेत में काम करने के लिए मजदूर न मिलने से बैलजोडी, पशुधन की बिक्री करके, ट्रॅक्टर पर यांत्रिकीकरण करके खेती करना पड़ती है.जिसके कारण ट्रॅक्टर की संख्या बढ़ रही है. ट्रॅक्टर खरीदी पर किसानों द्वारा जोर दिया जा रहा है. काम करनेवाले मजदूरों की संख्या कम होने से दूसरे राज्य से मजदूर लाना पड़ता है.
मजदूर नहीं मिलते खेत में काम करने के लिए
काम करनेवालों का खेत में वर्षभर मजदूर के रूप में काम करने की अपेक्षा शहर में काम करने का उनका उत्साह रहता है. छोटे मोटे काम करके अधिक पैसे मिलने से खेतीहर मजदूर बनकर काम करने की मानसिकता ध्ाूमिल हो गई है. जिसके कारण खेत में काम करनेवाले मजदूर मिलना मुश्किल हो गया है. खेत के काम करनेवालों ने दिन की मजदूरी बढा दी है. पुरूष की 500 रूपये तथा महिला खेत मजदूर की दिन में 200 से 250 रूपये मजदूरी हो गई है.