अमरावती

हर कलाकार अपनी कला के जरिये समाज में जीवित रहता है

विवि के व्यवस्थापन परिषद सदस्य डॉ. प्रफुल गवई का कथन

* विद्यापीठ के प्रादेशिक कला विभाग द्वारा गानकोकिला का अभिवादन
अमरावती/दि.5– हर कलाकार अपनी कला के जरिये समाज में हमेशा जीवित रहता है. इस बात का सबसे बेहतरीन उदाहरण है भारत की गानकोकिला व भारतरत्न लता मंगेशकर. जिन्होंने अपनी कला के जरिये समूचे विश्व के कलारसिकों के दिलों पर राज्य किया. आज यद्यपि लतादीदी भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं है. किंतु अपने अजरामर गीतों के जरिये वे सदैव हमारी यादों में जीवित रहेगी. साथ ही आनेवाली पीढी के कलाकारों को प्रेरित करती रहेंगी. इस आशय का प्रतिपादन विद्यापीठ की व्यवस्थापन परिषद के सदस्य डॉ. प्रफुल गवई ने किया.
हाल ही में संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के प्रादेशिक कला विभाग द्वारा भारतरत्न स्व. लता मंगेशकर को संगीतमय श्रध्दांजलि अर्पित की गई. इस अवसर पर बतौर प्रमुख वक्ता डॉ. प्रफुल गवई अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख की अध्यक्षता में आयोजीत इस श्रध्दांजलि कार्यक्रम में प्रमुख अतिथी के तौर पर विद्यापीठ व्यवस्थापन परिषद के सदस्य डॉ. प्रफुल गवई सहित परीक्षा व मूल्यांकन मंडल के संचालक डॉ. हेमंत देशमुख तथा प्रादेशिक कला विभाग के समन्वयक रमेश जाधव उपस्थित थे. इस समय डॉ. गवई ने आशा जतायी कि, विद्यापीठ के प्रादेशिक कला विभाग के बेहतरीन कलाकार निकलकर सामने आयेंगे.
इस अवसर पर अनुपमा कलसकर, पल्लवी सपकाले, नरेंद्र खैरे, डॉ. पाखरे, रमेश जाधव, प्रतिभा पराले, मोहन इंगले, आंतरविद्या शाखा की अधिष्ठाता डॉ. वैशाली गुडधे, रिया भूयार, विजय शेंडे, डॉ. चंदू पाखरे, पूनम जाधव व उमेश गजभिये ने अपने गीत गायन व डॉ. मोहन बोडे ने अपनी नृत्यशैली से लतादीदी को श्रध्दांजलि अर्पित की. इस आयोजन में सर्वप्रथम भारतरत्न स्व. लता मंगेशकर की प्रतिमा का माल्यार्पण करते हुए पूजन किया गया. साथ ही सभी गणमान्यों का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया. कार्यक्रम में प्रास्ताविक प्रादेशिक कला विभाग के समन्वयक रमेश जाधव ने की. साथ ही उपस्थित गणमान्यों ने अपने समयोचित विचार व्यक्त किये. इस कार्यक्रम में विद्यापीठ के अधिकारी, प्राध्यापक, कर्मचारी, विद्यार्थी तथा प्रादेशिक कला विभाग के शिक्षक व छात्र-छात्राएं बडी संख्या में उपस्थित थे.

* समाज कभी भी लतादीदी को नहीं भूलेगा
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में कूलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने कहा कि, अपने विनम्र व्यवहार तथा मधुर आवाज की वजह से लतादीदी ने समाज में सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त किया. उनके निधन पश्चात दुनियाभर से शोक संवेदनाएं आयी. उनके द्वारा गाया गया प्रत्येक गीत हृदयस्पर्शी रहा और वे अपने गीतों के जरिये हमेशा हमारे बीच ही मौजूद रहेगी. साथ ही देश व समाज उन्हें कभी नहीं भूलेगा.

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