अमरावतीमहाराष्ट्र

मेलघाट के जंगल में हर दिन आग का तांडव

शिकार के लिए भी आग का इस्तेमाल

* घटांग से बिहाल के जंगल में भीषण आग, आरोपी अज्ञात
परतवाडा/दि.14- मेलघाट के वनविभाग द्वारा व्याघ्र प्रकल्प के जंगल में पिछले एक माह से हर दिन जगह-जगह आग लग रही है. हरिसाल से बिहाली मार्ग के गांव सहित जंगल में भी गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष भारी मात्रा में आग लगने की घटना घटित हुई है. शनिवार की रात घटांग से बिहाली मार्ग के जंगल में आग दिखाई दी. शिकार के लिए भी आग लगाने के मामले सामने आये है.
मेलघाट के अतिसंरक्षित व्याघ्र प्रकल्प सहित संरक्षित प्रादेशिक वनविभाग के जंगल में आग की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक सूचना फलक जगह-जगह लगाये गये है. जंगल में लगने वाली आग नैसर्गिक नहीं, बल्कि किसी के द्वारा लगाये जाने का संदेह है. फिर भी आग लगाने वाले को अभी तब वनविभाग ने यह विभाग गोपनीय जानकारी निकालने में सफल साबित हुआ है. ग्रामवासियों से समन्वयक रखना, मुलाकात कर चर्चा करने के साथ आग बाबत जनजागरण करना आवश्यक हो गया है.

* अज्ञातों पर मामले दर्ज, जांच शून्य!
मेलघाट में गांव अधिक और कर्मचारी कम, उंची पहाडियों के बीच घना जंगल रहने से इस आग को बुझाने के लिए अभी भी ब्लोअर मशीन को छोडकर वन मजदूरों के पास पर्याप्त साधन नहीं है. जंगल मे ंआग लगने के बाद अज्ञातों के खिलाफ वन कानून के तहत मामले दर्ज होते है. ऐसे प्रकरणों की जांच भी शून्य है. इस कारण आरोपी नहीं मिल रहे है, यह सच्चाई है. मुखबीर रखकर जंगल में आने-जाने वालों की गोपनीय जानकारी रखना आवश्यक है.

* पहले यह थे कारण
पहले मेलघाट के जंगल में सैकडो हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो जाता था. इसका प्रमाण कम हुआ. मोहा फूल जल्द बिक्री किया जा सके, मानसून ने मवेशियों का चारा भारी मात्रा में आ सके, बारासिंगा के सिंग जल्द मिले आदि कारणों आदि कारण पहले आग लगने के लिए थे.

* वृक्ष संवर्धन समय की आवश्यकता
वृक्ष संवर्धन समय की आवश्यकता है, लेकिन आग लगाने वालों को कब्जे में लेकर कडी कार्रवाई करना आवश्यक है. इसके लिए ग्रामवासियों से समन्वय रखना जरुरी है.
– यादव तरटे पाटिल,
पूर्व सदस्य, राज्य वन्यजीव मंडल.

* फिर यह उपाय योजना किस लिए?
– 15 फरवरी के पूर्व जंगल की सफाई का काम किया जाता है. जंगल की आग ज्यादा न फैलने के लिए यह कार्य किया जाता है.
– जंगल की आग बुझाने के लिए ब्लोअर मशीन और कर्मचारी तैनात है.
– मेलघाट के जंगल की आग नैसर्गिक नहीं है. शत-प्रतिशत यह आग किसी के द्वारा लगाई गई है. यह स्पष्ट हुआ है.
– आरोपी पकडने में वनविभाग अब तक विफल रहा है.

* शिकार के उद्देश्य से लगाई जाती है आग
– लकडा पकडे जाने पर बदला लेने के मकसद से भी आग लगाई जाती है.
– चराई से मवेशियों को रोकने पर भी आग लगाई जाती है.
– एक तरह आग बुझाकर वन कर्मचारी और मजदूर जाते ही दूसरी तरफ शिकार करने की दृष्टि से आग लगाई जाती है.
– आग बुझाने के लिए रोजंदारी के लिए कुछ क्षेत्र में आग लगाने की घटनाएं होती रहने की चर्चा है.

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