अमरावती प्रतिनिधि/दि.१७ – कोरोना की संक्रामक बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही सभी प्रकार की सतर्कता बरतना आवश्यक है. जिसके लिए इलाज की प्रक्रिया को गतिमान करना जरूरी है, ताकि कोरोना की वजह से होनेवाली मौतों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके. इसके लिए हरसंभव प्रयास किये जाने चाहिए. इस आशय के दिशानिर्देश जिला आपत्ति व्यवस्थापन प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा जिलाधीश शैलेश नवाल (Collector Shailesh Naval) ने जारी किये. कोरोना प्रतिबंधात्मक उपायों की समीक्षा करने हेतु जिलाधीय कार्यालय में एक बैठक आयोजीत की गई थी. इस बैठक में जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम सहित स्वास्थ्य महकमे के वरिष्ठ अधिकारी व चिकित्सक उपस्थित थे. जिन्हें संबोधित करते हुए उपरोक्त दिशानिर्देश देने के साथ ही जिलाधीश शैलेश नवाल ने कहा कि, यदि किसी मरीज का सिटी स्कैन निकाले जाने पर उसमें कोरोना सदृश्य लक्षण पाये जाते है, तो उसकी आरटी-पीसीआर टेस्ट के जरिये जांच करना आवश्यक है और लक्षण पाये जाते ही तुरंत जांच करते हुए संबंधित व्यक्ति को इलाज हेतु भरती कराये जाने की प्रक्रिया तेज गति से होनी चाहिए, ताकि संक्रमण का स्तर जानलेवा न हो पाये. अत: इस काम में किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए. इसी तरह होम आयसोलेशन में रहनेवाले मरीजों को टेलीमेडिसीन के जरिये सेवा उपलब्ध कराने हेतु निजी चिकित्सकों का योगदान मिलना आवश्यक है. होम आयसोलेशनवाले मरीजों के साथ हमेशा संपर्क बना रहना चाहिए और कोई भी लक्षण पाये जाने पर तुरंत ही इलाज और भरती करने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए.