अमरावती

हर माह होती है 4 लाख नैपकिन व डायपर की विक्री

प्रयोग के बाद घंटागाडी, नाले व खुली जगह में फेंका जाता है

* शास्त्रोक्त पद्धति से निस्सारण किए जाने की सख्त जरुरत
अमरावती/दि.29 – महिलाओं द्बारा प्रयोग में लाए जाने वाले सैनिटरी नैपकिन तथा छोटे बच्चों अथवा बुजुर्गों हेतु प्रयोग मेें लाए जाते डायपर का शास्त्रोक्त पद्धति से निस्सारण किया जाना बेहद जरुरी है. परंतु अमूमन ऐसे सैनिटरी नैपकिन व डायपर को खुले स्थान पर अथवा कचरे या गटर में फेंक दिया जाता है. जो पर्यावरण के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है. उल्लेखनीय है कि, शहर में प्रतिमाह करीब 4 लाख नैपकिन व डायपर की मेडिकल स्टोअर व जनरल स्टोअर से विक्री होती है. जिसका सीधा मतलब है कि, हर महीने शहर में इतने ही डायपर व नैपकिन कचरे के तौर पर लापरवाही के साथ इधर से उधर फेंक दिए जाते है.
ज्ञात रहे कि, स्वच्छ शहर अभियान और माझी वसुंधरा अभियान के माध्यम से स्वच्छता तथा पर्यावरण संवर्धन का प्रयास किया जा रहा है. किंतु अब सैनिटरी नैपकिन व डायपर के कचरे की समस्या सामने मुंह बाये खडी है. ज्ञात रहे कि, मासिक ऋतु चक्र के समय महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद होता है. इसे लेकर सरकार द्बारा भी व्यापक स्तर पर जनजागृति की जाती है. साथ ही कुछ वर्ष पहले ‘पैड मैन’ नामक फिल्म भी प्रदर्शित हुई थी. जिसके चलते शहरी क्षेत्र की महिलाओं में सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग बढ गया है. जिसके साथ ही छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए डायपर का प्रयोग करने का प्रमाण भी दिनोंदिन बढ रहा है. ऐसे नेपकिन व डायपर को प्रयोग के बाद कचरा कंटेनर अथवा कचरे के ढेर के साथ-साथ सर्विस गली या खुले स्थान पर यूं ही फेंक दिया जाता है. जिसके चलते सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है.

– 10 से 12 लाख है शहर की जनसंख्या
– 48 फीसद है महिलाओं की जनसंख्या
– 70 फीसद महिलाएं करती है नैपकिन का प्रयोग
– 80 फीसद छोटे बच्चों के लिए डायपर
– 40 फीसद बुजुर्गों के लिए एडल्ट पैड

* नष्ट करने का शास्त्रोक्त तरीका
सैनिटरी नैपकिन अथवा डायपर को जहां तक संभव हो, इलेक्ट्रीक इन्सिनेरेटर अथवा अन्य इन्सिरेटेर नामक बंद उपकरण में जलाकर नष्ट करना चाहिए.
– रिहाइश नहीं रहने वाले क्षेत्र में जैव रासायनिक कचरे के लिए कंपोस्टेबल प्रक्रिया के तहत उस कचरे के साथ गहरा गड्डा खोदा जाना चाहिए और उस गड्डे में ऐसे कचरे को जलाकर राख को उसी गड्डे में बंद कर देना चाहिए.

* कोई देख नहीं रहा, तो कही भी फेंको
प्रयोग में लाए जा चुके सैनिटरी नैपकिन व डायपर को कहीं भी फेंका जाता है. ऐसा करते समय कोई अपनी ओर देख तो नहीं रहा. इस बात का ध्यान रखते हुए ऐसे कचरे को कचरा कुंडी, खुली जगह, खाली प्लॉट पर फेंक दिया जाता है, जो बारिश के मौसम दौरान पानी में बहकर नालियों में जाकर अटक जाता है. इसके पश्चात जब स्वच्छता विभाग के कर्मचारी जेटींग मशीन के जरिए चौकअप निकालते है, तब नालियों व नालों में अटके सैनिटरी नैपकिन व डायपर बरामद होते है. ऐसे में पर्यावरण की दृष्टि से इस घातक कचरे को तकनीकी रुप से नष्ट करना ही जरुरी है.

* क्या कहता है घनकचरा व्यवस्थापन नियम
नेपकिन व डायपर के निस्सारण हेतु पैकेट आवश्यक है. घनकचरा व्यवस्थापन नियम 2016 की धारा 17 के अनुसार सैनिटरी नैपकिन के प्रत्येक पैकेट के साथ उसका प्रयोग के उपरान्त निस्सारण करने हेतु स्वतंत्र पैकेट ग्राहकों को देना अनिवार्य होता है. लेकिन शहर के किसी भी मेडिकल स्टोअर या जनरल स्टोअर में ऐसा कोई पैकेट नहीं दिया जाता है.

* ऐसी ही विकृति?
महिलाओं द्बारा खुली जगह में फेंके गए सैनिटरी पैड का प्रयोग कुछ विकृत मानसिकता वाले लोगोें द्बारा नशा करने के लिए किया जाता है. विशेषज्ञों द्बारा किए गए एक अध्ययन के जरिए यह विकृति सामने आयी है. विदेशों में यह प्रमाण काफी अधिक है. वहीं देश में फिलहाल ऐसी विकृति का प्रमाण थोडा कम है. परंतु ऐसी विकृति को ध्यान में रखते हुए महिलाओं ने इस बात को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए कि, वे अपने द्बारा प्रयोग में लाए गए सैनिटरी नैपकिन को यूं ही खुले में न फेंके क्योंकि ऐसा करने से जहां एक ओर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे में पड सकता है. वहीं दूसरी ओर अलग ही तरह का नशा करने की चाहत रखने वाले विकृत मानसिकता वाले लोगों को बढावा मिल सकता है.

* क्या है जमीनी हकीकत
सैनिटरी नैपकिन व डायपर की विक्री करने वाले कई मेडिकल स्टोअर व जनरल स्टोअर से प्राप्त की गई. जानकारी के मुताबिक अमरावती शहर में प्रतिमाह करीब 4 लाख डायपर व सैनिटरी नैपकिन की विक्री होती है. मनपा क्षेत्र में सैनिटरी नैपकिन का शास्त्रोक्त पद्धति से निस्सारण करने हेतु महिलाओं के 5 सार्वजनिक स्वच्छता गृह में इन्सिनेरेटर की व्यवस्था है. वहीं अन्य स्वच्छता गृह में सैनिटरी नैपकिन के लिए स्वतंत्र डस्टबीन भी है. परंतु ज्यादातर महिलाओं द्बारा इनका प्रयोग ही नहीं किया जाता.

* मासिक ऋतुचक्र के दौरान महिलाओं द्बारा सैनिटरी पैड का प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. इसे लेकर स्कूल व कॉलेज में भी जनजागृति की जाती है. साथ ही छोटे बच्चों व बुजुर्गों के लिए इन दिनों डायपर का प्रयोग भी बढ गया है. जिसके चलते लगभग हर महीने शहर में 4 लाख सैनिटरी नैपकिन व डायपर की विक्री होती है.
– प्रमोद भरतीया,
सचिव, केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट एसो.

* सैनिटरी पैड का निस्सारण करने हेतु मनपा क्षेत्र अंतर्गत 5 महिला स्वच्छता गृह में इलेक्ट्रीक इन्सिनेरेटर की व्यवस्था की गई है. वहीं अन्य स्वच्छता गृह में बायोमेडिकल वेस्ट के लिए स्वतंत्र डस्टबीन की व्यवस्था है. सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करने वाली महिलाओं ने इस व्यवस्था का उपयोग करना चाहिए.
– डॉ. सीमा नैताम,
विशेष कार्य अधिकारी, मनपा.

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