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अंबा नगरी का रोम-रोम राममय, प्रसन्नता का ओर-छोर नहीं

अमरावती मंडल को राम भक्तों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर भेजी स्वयंस्फूर्त हर्षमयी भावनाएं

अमरावती/दि.20- अवध में भारतवर्ष के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा भव्य-दिव्य उत्सव से अंबानगरी भी हर्षित है, पुलकित है, उत्साहित है. कह सकते हैं कि अंबानगरी की गली-गली अयोध्या में परिवर्तित हो गई है. यहां की कुलस्वामिनी कहलाती अंबामाता और बडी देवी एकवीरा माता संस्थान सहित सभी छोटे-बडे देवालयों में उत्सव आरंभ हो गए हैं. जिससे वातावरण प्रसन्नचित्त हो गया है. प्रसन्नता का ओर-छोर नहीं है, इतनी विस्तृत वह है. हर कोई सोमवार 22 जनवरी की पूर्वान्ह की उस बेला की प्रतीक्षा कर रहा है, जब अवध में मनचाहे मंदिर में रामजी की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्रत्येक व्यक्ति रामभक्ति में सराबोर दिखाई दे रहा है. उत्साह का वातावरण चहुं ओर हैं. ऐसे में अमरावती मंडल को नगर के अनेकानेक और विविध क्षेत्र में कार्यरत रामभक्तों ने स्वयंस्फूर्त हर्षमयी भावनाएं प्रेषित की हैं. प्रस्तुत है कुछ बानगियां-

* प्रसन्नता असीमित
राम जी की प्राण प्रतिष्ठा की बेला पास आने से उत्साह, उमंग सतत बढ रही है. यह भारतवर्ष का सर्वोच्च उत्सव बनने जा रहा है. हर कोई प्रसन्न है. उनके हर्ष की सीमा नहीं है. राम जी भारतवर्ष के मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. पग-पग पर वे जीवन मार्ग की प्रेरणा बनते हैं. हमें किस चीज को हां और किसे ना कहना है, इसकी सीख राम जी के जीवन का प्रत्येक प्रसंग दे रहा है. बच्चा-बच्चा राम जी के लिए खुश है. उत्सव तो अनूठा होना है. यह घडी प्रत्येक व्यक्ति संपूर्ण जीवन स्मरण रखेगा. अपनी आने वाली पीढियों को इस उत्सव के बारे में बतलाएगा. सचमुच हम लोग भाग्यशाली है कि प्राण प्रतिष्ठा उत्सव के साक्षीदार हैं. उसमें सहभागी हैं.
– संजय राठी,
सहसचिव, श्रीमाहेश्वरी पंचायत, अमरावती

* बलिदान से मिली यह बेला
अयोध्या में राम मंदिर साकार होना भारत में रहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए शुभ है. भगवान राम मर्यादा सिखलाते हैं. उनके भव्य-दिव्य मंदिर और उसमें सोमवार को होने जा रही प्राण प्रतिष्ठा निश्चित ही आने वाले दशकों, सदियों तक भारत को समृद्ध राष्ट्र की दिशा में अग्रसर करेगी. एक बात विस्मृत नहीं की जानी चाहिए कि राम मंदिर के लिए हजारों-लाखों लोगों ने संघर्ष किया है. अपने प्राण तक न्यौछावर किए हैं. इसलिए मंदिर की महत्ता बढ जाती है. अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर जैसे मंदिर आंदोलन के प्रणेताओं के साथ ही कोठारी बंधुओं और अनगिनत कारसेवकों के त्याग व बलिदान को हमें सदैव याद रखना होगा. अपनी अपने वाली पीढियों को भी इस बारे में बताना होगा. अभी तो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की सभी को बधाई, शुभकामनाएं. अपने-अपने घर और क्षेत्र में उत्सव मनाएं, यही प्रार्थना सभी को सादर राम-राम.
– बंकटलाल शर्मा,
मच्छीसाथ अमरावती

* आए मिलकर उत्सव मनाएं
राम जन्मभूमि के लिए बडा संघर्ष हुआ. हम किस्मत वाले हैं कि संपूर्ण र्राम मंदिर आंदोलन के हम साक्षी रहे हैं और हमें जीवन में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह देखने का भी अवसर मिला है. इसलिए सभी को मिलकर उत्सव में सहभागी होना चाहिए. कहते भी हैं कि जीवन में राम नहीं तो कुछ नहीं. राम जी हमें आज के संघर्षपूर्ण और स्पर्धात्मक दौर में भी सीख देते हैं, सही राह दिखलाते हैं. इसीलिए राम-राम का उच्चारण सभी के लिए हैं. जिसका अर्थ यही माना जाता है कि आप भी राम, मैं भी राम. सोमवार का उत्सव मनाना हम सभी का धर्म भी है, कर्म भी. अब तो शासन-प्रशासन ने छुट्टी की घोषणा कर दी है. इसलिए जिस प्रकार दिवाली पर श्रद्धापूर्वक लक्ष्मीजी की पूजा, आराधना हम सब करते हैं. उसी प्रकार सोमवार 22 जनवरी को सभी भाई, बंधु, रिश्तेदार, पडोसी, संगी साथी, सभी को साथ लेकर उत्सव मनाएं.
– मनीष महाजन,
बियाणी विज्ञान महाविद्यालय, अमरावती

* उत्सव मनाना हमारा धर्म
राम मंदिर नहीं बनने का दावा किया जाता था. बचपन से यही सुनने मिलता था कि राम मंदिर नहीं बनने वाला. मंदिर आंदोलन का संघर्ष देखा है. 1990 में कारसेवकों पर अत्याचार के भी किस्से देखे-सुने हैं. जिससे मन खिन्न हो जाता था. इसलिए जब 22 जनवरी की घोषणा हुई. राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त की भी घोषणा हुई. उस समय से मन प्रसन्नचित्त है. उस घडी का इंतजार हम कर रहे हैं. स्वयंमेव उत्सव में सहभागी होने को आतुर हैं. राम नाम में वह आकर्षण है, चमत्कार है. इसलिए उत्सव मनाना हमारा धर्म है. हर कोई उत्सव में सहभागी हो. जहां है वहां राम का जाप करें, भजन गाए, कीर्तन गाए, हो सके तो देवालय में जाकर पर्व में सहभागी हो. घर और परिसर में उत्सव मनाए. अपने पास पडोस के लोगों को भी इसमें शामिल होने उद्यत करें. हम तो रघुवंशी कहलाते हैं. इस उत्सव में सहपरिवार सहभागी होंगे. आनेवाली पीढियों को भी 22 जनवरी 2024 की कथा सुनाएंगे. आज वीडियो आदि हम खुद ही बना सकते हैं, उसका भी प्रयास होगा. एक प्रण यह करें कि हलो, हॉय की बजाए राम-राम से एक दूसरे का अभिवादन आज से ही प्रारंभ कर दें.
– राजेश रघुवंशी,
बियाणी महाविद्यालय, अमरावती


* राम ने कर दिया सभी को प्रसन्न
प्रभु राम का जीवन सबसे बडा आदर्श है. उन्होंने सदैव धैर्य की सलाह अपने प्रत्येक कृति, प्रसंग से दी है. यही सीख राम मंदिर के भव्य-दिव्य निर्माण से भी प्राप्त होती है. प्रभु ने हमारी सतत परीक्षा ली. किंतु जब शुभ घडी आई तो मंदिर न केवल भव्य-दिव्य बना बल्कि आज भारत के सबसे लोकप्रिय बल्कि कह लीजिए दुनिया की लोकप्रिय हस्ती हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्ते प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. जिससे कह सकते हैं कि राम ने सभी को प्रसन्न कर दिया है. यह उत्सव मनाने का अवसर है. उत्सव मनाना भी चाहिए. मेरा तो आहवान रहेगा कि घर में संभव न हो तो पास पडोस में जाकर उत्सव में सहभागी होना हमारा धर्म है. सनातन धर्म के लिए भी यह बडी उपलब्धि है. सनातन धर्म ने सदैव विश्व कल्याण की कामना की है. इसीलिए यह चिरंतन है. आइए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में पूरे मनोयोग से सहभागी हो, अपने प्रत्येक साथी, बंधु, पडोसी, रिश्तेदारों को भी इस उत्सव में सहभागी करें.
– हरि पुरवार,
बर्तन बाजार अमरावती


* राम है तो जीवनपथ आलोकित
राम भारत के न केवल आराध्य है अपितु आदर्श भी. इसलिए उनके उत्सव में किसी को सहभागी होने के लिए कहना नहीं पडता. फिर भी विश्व हिंदू परिषद और राम जन्मभूमि न्यास ने देशभर में राममय वातावरण बना दिया है. जन-जन को उत्सव में सहभागी किया है. यह विश्व का अनूठा उत्सव होने जा रहा है. राम है तो जीवन पथ आलोकित है. भारत का बच्चा-बच्चा बचपन से ही राम जी के आदर्शो की कथाएं, गाथाएं सुनकर बडा होता है. जिससे उसमें संस्कार स्वयंमेव आ जाते हैं.
– निशांत मनोज गुप्ता,
गवर्नमेंट कांटेक्टेटर मनपा


* राम हमारे आदर्श
भारत का अर्थ ही रामकथा कहने वाले बताते हैं कि भा यानी भक्ति और रत यानी भक्ति में लीन. भारत तो राम जैसे आदर्श व्यक्तित्व की सदैव पूजा करता आया है. अनुसरण करता आया है. भारत के इन्हीं संस्कारों के कारण उसने शक्ति रहने पर भी कभी बल का पहले प्रयोग अथवा दुरुपयोग नहीं किया. एशिया क्षेत्र में शांति स्थापित रखने में भारत की प्रभु राम भक्ति का भी योगदान मैं मानता हूं. भारत के आदर्श राम हैं. इसलिए यहां के प्रत्येक व्यक्ति में राम का कुछ न कुछ अंश अवश्य है. प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को मनाना हर किसी का कर्तव्य है.
– राहुल आर अग्रवाल,
गणेश कॉलोनी अमरावती


* राम पर सबकुछ सौंप देना श्रेयस्कर
प्रभु राम हमारे जीवन को बडा प्रभावित करते हैं. उनके प्रभाव में रहने से व्यक्ति सदैव प्रभामय अर्थात सफल, सुघड रहता है. मेरे विचार से तो राम पर सबकुछ सौंप देना बेहतर रहता है. मेरे जीवन में कई कठिन प्रसंग आए. मैंने राम पर निर्णय छोड दिए, जिससे वह प्रसंग स्वयंमेव हल हो गए. जहां तक अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की बात है. प्रत्येक भारतीय प्रसन्न है. उत्सव मुद्रा में है. देश में सोमवार को एक और दिवाली मनाई जा रही है. निश्चित ही इससे बाजार में भी प्रभाव पडा है. लोगों ने झंडे, दुपट्टे और पूजन सामग्री आदि की खरीदारी की है. दीपोत्सव भी मनाया जाना है. अग्रवाल समाज भी इस प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में सहभागी है. उसके सभी बंधु-भगिनी उत्सव मना रहे हैं. सभी को बधाई और शुभकामनाएं.
– संतोष अग्रवाल,
पीआरओ अग्रवाल समाज, अमरावती


* हमारी आस्था के सर्वोत्तम प्रतीक
राम‘ सिर्फ एक नाम नहीं। राम मात्र दो अक्षर नहीं। राम हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक विरासत है। राम हमारी एकता और अखंडता हैं। राम हमारी आस्था और अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं। राम सनातन धर्म की पहचान है। राम तो प्रत्येक प्राणी में रमा हुआ है, राम चेतना और सजीवता का प्रमाण है। अगर राम नहीं तो जीवन मरा है। इस नाम में वो ताकत है कि मरा-मरा करने वाला भी राम-राम करने लगता है। इस नाम में वो शक्ति है जो हजारों-लाखों मंत्रों के जाप में भी नहीं है
राम वो है जिनके मन में सदैव दूसरे का हित करने की अभिलाषा रहती है। अथवा जो सदा दूसरों की सहायता करने में लगे रहते हैं, उनके लिए संपूर्ण जगत में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।
राम सब कुछ है.
– मनीष चौबे,
भाजपा अंबा मंडल अध्यक्ष


* बलिदान को भूलें नहीं
राम मंदिर भव्य-दिव्य रुप में साकार हो रहा है. गर्भगृह तैयार हो गया है. देश की आस्था और अस्मिता का प्रतीक बना है तो देशभर में कश्मीर से लेकर केरल तक उत्सव मनाना स्वाभाविक है. किंतु यह मंदिर बहुत सहजता से नहीं बना है. इसके लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान किए हैं. हम तो 90 और 92 दोनों समय की घटनाओं के भी साक्षी है. हमें भलीभांति उस सर्वोच्च बलिदान का पता है. कोठारी बंधुओं ने गोली खाई. अनगिनत कारसेवक के प्राणों का उत्सर्ग हुआ. आज सहज लग रही घटना तीन दशक पहले असंभव लगती थी. लोग राम मंदिर समर्थकों का मखौल भी उडाते थे. देश की प्रमुख पार्टी के नेता-कार्यकर्ता इस बात में आगे थे. वे हमें चिढाते थे. हमारे नारे का अपने अंदाज में उपयोग कर ताना मारते थे. मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे. उन्हें मंदिर उसी जगह बनाए जाने के बाद जब सादर निमंत्रण भेजा गया तो वे उसे ठुकरा रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जा रहे हैं. मंदिर अधूरा होने की बातें कर रहे हैं. गर्भगृह बन गया है. रामलला विराजमान हो गए हैं. प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आरंभ हो गया है. जन-जन प्रफुल्लित हैं. भारत वर्ष में न भूतो न भविष्यति जैसा उत्सवमय वातावरण है. यही बेला है कि आइए हम सभी राम भक्ति में तल्लीन हो जाए. अंत: राम हमारे आदर्श है. उन्हीं का अनुसरण हमें जीवन की सभी कठिनाईयों से सहजता से पार करता है.
– वीरेंद्र शर्मा,
कृषि सामग्री विक्रेता


* यह तो जन-जन का उत्सव बन गया
लाखों कारसेवकों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया. सैकडों वर्षो तक संघर्ष किया गया. राम के प्रति भक्ति तनिक भी नहीं डिगी. जिसके कारण आज हमारी पीढी को इन सुनहरे क्षणों का साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. अब तो यह जन-जन का उत्सव बन गया है. मुझे तो जिधर देखूं उधर उत्साह दिखाई पड रहा है. हमारे अमरावती में भक्तों की उमंग का ओर-छोर नहीं है. हमारे यहां से भी सैकडों कारसेवक दोनों बार की कारसेवा में बडे संघर्ष के बाद अयोध्या पहुंचे थे. उनके बारे में पढकर और सुनकर पता चला. हमारे परिवार के सदस्य भी इनमें थे. हमें इस बात पर गर्व है. अमरावती जनहित के प्रत्येक आंदोलन में अग्रणी रही है. राम प्राण प्रतिष्ठा उत्सव समारोह के लिए अनेकानेक लोगों ने योगदान किया है. मातृशक्ति भी पीछे नहीं रही. इसलिए यह उत्सव प्रत्येक के जीवन की धरोहर बनने जा रहा है. इसलिए भाजपा महिला आघाडी अध्यक्ष होने के नाते मेरा सभी से अनुरोध है कि न केवल उत्सव में सम्मिलित हो, बल्कि राम के जीवन के आदर्शो को भी अपनाए. इस बेला पर यह प्रण, संकल्प करें. जय श्री राम.
– गंगा खारकर,
अध्यक्ष, भाजपा महिला आघाडी, अमरावती


* मंदिर बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे वाले चिडीचुप
राम मंदिर धूमधाम से साकार हुआ है. विश्व को आलोकित करने वाला भव्य-दिव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह आरंभ हो गया है. भारत ही नहीं विश्व में कई देशों में इस समारोह को मनाने के लिए उत्सव का प्रारंभ हो गया है. ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक रामभक्त और समस्त भारतवर्षीय उत्साहित है, उल्लास और उमंग से सराबोर है. ऐसे में मुझे उन लोगों की याद आती है, जो चिल्लाते थे मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे. यह नारा लगाकर हमें चिढाने वाले आज खामोश हैं. चिडीचुप है. मेरी तो उनसे भी विनती रहेगी कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सहभागी हो. आखिर हैं तो वे भी भारतीय. उनका समारोह में आना उन्हें राम से जोडेगा. राम ने सदैव अपने कार्यो से आदर्श प्रस्तुत किए हैं. राम से यह लोग प्रेरणा ले सकते हैं, आदर्श ले सकते हैं, अनुकरण कर सकते हैं. मैं तो भारत के जन-जन को इस घडी की बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं देना चाहता हूं. अपने परिसर को सोमवार को गगनभेदी श्रीराम नाम नारों से गूंजायमान कर दें.
– कन्हैयालाल गोयल,
ट्रांसपोर्ट व्यवसायी, चौधरी चौक अमरावती

* सोचा न था ऐसा उत्सव होगा
राम मंदिर अभियान निश्चित ही बडा रहा है. सदियों से चले आ रहे आंदोलन को माध्यमों के दौर में बल मिला. आज राम जन्मभूमि पर भव्य-दिव्य मंदिर साकार है. प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहा है. अत्यंत मनमोहक व दिव्य रामलला विराजमान हो गए हैं. पूज्य पुरोहितों के मंत्रोच्चार और शास्त्रोक्त विधिविधान से प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. मैंने तो सोचा न था इतना बडा उत्सव होगा. यह भी जन-जन की भावना का ही प्रतीक है, जो इतना बडा उत्सव हो रहा है. भारत ही नहीं विदेशों में लोग इस उत्सव को मनाने आतुर हैं. विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर जन्मभूमि न्यास इसके लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने खास से लेकर आम राम भक्तों को उत्सव से जोड लिया. राम के उत्सव को हर कोई अपना उत्सव, त्यौहार मान रहा है. वरिष्ठ जन से लेकर युवा और बालक भी उत्सव की तैयारी में जुटे हैं. कोई परिसर की स्वच्छता का भार लिए हैं तो किसे ने प्रसादी का दायित्व ले रखा हैं. मंदिर सज गए हैं. उन पर लाइटिंग लगाई गई है. लोगों ने घरों में भी उत्सव का वातावरण बनाया है. निश्चित ही जन-जन का उत्सव यह बना है. आखिर प्रत्येक में राम बसते हैं. यह बात साबित हुई है.
– संजय गुप्ता,
गुप्ता इलेक्ट्रानिक्स, प्रभात चौक अमरावती

* भाजपा ने इवेंट बनाया
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा कि अपनी आदत की तरह इवेंट बना दिया है. जबकि यह लोगों की आस्था और अस्मिता से जुडा विषय है. बहरहाल हम सभी राम भक्त हैं. उत्सव में तो हम सहभागी हैं ही. हम नित्य मंदिर जाते हैं. हमें राम भक्ति की सीख किसी दूसरे से लेने की आवश्यकता नहीं है. सोमवार को समूचा भारत यह उत्सव मनाएगा. राम भक्तों के लिए यह बहुत शुभ बेला है.
– श्रीकिसन व्यास,
बर्तन व्यवसायी, जवाहर गेट अमरावती


* जय श्रीराम की सर्वत्र गूंज
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह हमारे पूर्वजों की पुण्याई का सुफल है. बहुत अच्छा लग रहा है कि सर्वत्र श्रीराम का जयघोष हो रहा है. बच्चा-बच्चा राम का, यह वाक्य सिद्ध हो गया है. सर्वत्र इसी बात की चर्चा हो रही है. लोग घर पुन: सजा रहे हैं, जैसे दिवाली पर सजाते हैं. घरों पर केसरिया ध्वज लहरा रहे हैं. यह सब देखकर सुखद अनुभूति हो रही है. हमारा रामदेव बाबा का प्राचीन मंदिर भी साकार हो जाए, यही विनती मेरी बाबा और प्रभु श्रीराम के चरणों में रहेगी.
– पूनम पंचारिया,
साइकिल जातरु, अमरावती

* घर-घर लहरा रहा भगवा
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव ने सभी में स्फूर्ति का संचार कर दिया है. घर-घर भगवा लहरा रहा है. अभूतपूर्व उत्साह जन-जन में है. यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है कि बच्चे-बूढे सभी हर्षित हैं. उत्सव में जुटे हैं. सोमवार को देश पुन: दिवाली मनाएगा. राम तो जन-जन के हैं. सदियों से भारतवर्ष को प्रेरणा, उर्जा, स्फूर्ति, दिशा देते आए हैं.
– उमाशंकर उर्फ राजू रायकवार,
अध्यक्ष, जय बाबारी मित्र परिवार

* राम आएंगे की सर्वत्र गूंज
राम आएंगे तो अंगना सजाउंगी, यह गीत लाखों बार बज चुका है. इससे सकारात्मक अनुभूति बढी है. प्राण प्रतिष्ठा उत्सव ने बाजार को भी प्रसन्न कर दिया है. बाजार में चमकदमक दिखाई पड रही है. घरों में नए सिरे से सजावट हो रही है. बच्चों को राम नाम का आकर्षण रहा है. राम के संस्कार उनमें रोपित करने की यही बेला है. उत्सव में सहभागी कर बच्चों को राम के संस्कारों से परिपूर्ण किया जा सकता है. मैं तो चाहूंगा कि माताएं अपने बालगोपालों को मंदिरों में ले जाए. राम प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में सहभागी करें. वे बडे होकर इन क्षणों को अस्मरण करेंगे. पुन: उन क्षणों को याद करेंगे. अपने आगे की पीढी को बताएंगे. ऐतिहासिक क्षणों के हम साक्षीदार है, यह हमारे लिए अत्यंत उत्साह की बात हैं.
– विक्की गुप्ता,
राधाकृष्ण डेकोरेशन, अमरावती

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