अमरावतीमहाराष्ट्र

सब आता, सुनता चले जाता… हम धरा का धरा

मेलघाट निर्वाचन विभाग के आदिवासियों में सुनाई व्यथा

अमरावती /दि.19– मजूरी का पैसा नहीं, बिजली आता-जाता, टॉवर है लेकिन नेटवर्क नहीं, मजूरी का हजिरी नहीं लगता, पानी की समस्या है, ऐसी बहुत समस्या है, क्या-क्या बताना, सब आता-सुनता और चले जाता, हम धरा का धरा. कुछ इस आशय की प्रतिक्रिया आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र की चिखलदरा तहसील अंतर्गत अतिदुर्गम रहने वाले हतरु गांव के ग्रामीणों द्वारा व्यक्त की गई.
हतरु गांव की सरपंच सुमित्रा बेठेकर तथा उनके पति व ग्राप सदस्य राजू बेठेकर द्वारा व्यक्त की गई संतप्त प्रतिक्रिया अपने आप में काफी उल्लेखनीय कही जा सकती है. बेठेकर दम्पति ने इस बात को लेकर रुख जाताया कि, वेतन के अभाव में 3 हजार मजदूरों को होली जैसा पर्व आर्थिक दिक्कतों के साथ मनाना पडा. लोकसभा चुनाव में आश्वासनों की जमकर खैरात बांटी जा रही है. लेकिन अतिदुर्गम मेलघाट के हतरु क्षेत्र में रहने वाले हजारों आदिवासियों को विगत 4 माह से रोगायो का वेतन भी नहीं दिया गया.

बता दें कि, हतरु ग्रामपंचायत अंतर्गत सिमोरी, चिलाटी, सरोवर, कारंजखेड व मारीता ऐसे कुल 6 गांवों का समावेश है. जिनकी संख्या करीब साढे 4 हजार के आसपास है. इसमें से 2700 मजदूरों को होली के पर्व से पहले उनकी मजदूरी नहीं मिली तथा उन्हें आर्थिक दिक्कतों के साथ होली जैसा पर्व मनाना पडा. लगभग यहीं स्थिति चिखलदरा तहसील के कई ग्रामपंचायत क्षेत्रों में भी जिसे लेकर सरपंच सुमित्रा बेठेकर व सदस्य राजू बेठेकर ने कई अधिकारियों व नेताओं से मुलाकात की और उन्हें अपनी समस्याएं बताई. परंतु इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

मजदूरों के वेतन को लेकर पंचायत समिति स्तर से सभी एफटीओ भेज दिये गये है और निधि भी ट्रान्सफर हो चुकी है. परंतु वरिष्ठस्तर पर कुछ तकनीकी दिक्कत रहने के चलते यह निधि अब संबंधितों के अकाउंट में जमा नहीं हो पायी है.
– जीवनलाल भिलावेकर,
गटविकास अधिकारी,
पंस चिखलदरा.

विगत 4 माह से ग्रामपंचायत अंतर्गत मजदूरों का वेतन नहीं हुआ है. विद्युत आपूर्ति खंडित रहने के चलते मजदूरों को ऑनलाइन हाजिरी के लिए करना पडता है. साथ ही गांव में लंबे समय से पीने के पानी की भी समस्या बनी हुई है.
सुमित्रा बेठेकर,
सरपंच, हतरु ग्रापं.

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