अमरावती संसदीय सीट पर सबके अपने-अपने दावे
‘एक अनार सौ बीमार’ वाली कहावत हो रही साकार
* राजनीतिक समीकरण बदल जाने से गुत्थमगुत्था वाली स्थिति
* सभी दलों के सामने बना हुआ है राजनीतिक पेंच
अमरावती /दि.20- राजनीतिक के क्षेत्र में कई बडे चेहरे देने वाले अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारी को लेकर महाविकास आघाडी व महायुती में पेंच प्रसंग निर्माण होने की पूरी संभावना है. पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अमरावती दौरे के समय कांग्रेस ने भी इस निर्वाचन क्षेत्र पर दावा किया है. उल्लेखनीय है कि, अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के अनंत गुढे तीन बार और आनंदराव अडसूल दो बार सांसद निर्वाचित हुए. ऐसे में अमरावती को शिवसेना का बालेकिल्ला यानि मजबूत गढ माना जाता है. जिसके चलते आगामी संसदीय चुनाव में भी अमरावती संसदीय सीट से शिवसेना का प्रत्याशी ही चुनाव लडेगा, ऐसा शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्बारा घोषित किया गया है. लेकिन इसके बावजूद अमरावती संसदीय क्षेत्र इस बार कांग्रेस के हिस्से में आनी चाहिए, ऐसी आग्रहपूर्ण मांग विधायक यशोमति ठाकुर सहित कांग्रेस के अन्य नेताओं द्बारा की गई है. यदि कांगे्रस अपनी इस मांग पर लगातार अडी रहती है, तो निश्चित तौर पर ठाकरे गुट के सामने काफी दिक्कत पैदा हो सकती है.
अमरावती संसदीय सीट पर कांग्रेस का दावा ठोंकते हुए विधायक यशोमति ठाकुर ने अपनी भूमिका बेहद साफ तौर पर रखी है. विधायक ठाकुर के मुताबिक अमरावती जिले की मौजूदा सांसद नवनीत राणा ने कांग्रेस व राकांपा के समर्थन से ही पिछला चुनाव जीता था और उन्हें कांग्रेस समर्थक मतदाता से ही सर्वाधिक वोट मिले थे. ऐसे में इस सीट पर अब कांग्रेस का ही दावा बनता है. यद्यपि अभी चुनाव होने में काफी समय है, लेकिन इसके बावजूद अभी से संसदीय सीट को लेकर दावे-प्रतिदावे शुरु हो गए है. जिसके तहत शिवसेना के पूर्व सांसद तथा इस समय शिंदे गुट में रहने वाले आनंदराव अडसूल भी एक बार फिर अमरावती जिले के शिवसैनिकों के संपर्क में है. जिसके तहत पूर्व सांसद अडसूल के बेटे एवं पूर्व विधायक अभिजीत अडसूल ने भी विगत दिनों अमरावती जिले का दौरा किया है और अमरावती संसदीय सीट पर शिंदे गुट वाली शिवसेना का दावा ठोंकते हुए कहा कि, आगामी चुनाव में शिंदे गुट की ओर से वे स्वयं अथवा उनके पिता आनंदराव अडसूल प्रत्याशी हो सकते है. चूंकि इस समय शिंदे गुट व भाजपा के बीच महायुती है और अडसूल के धूर प्रतिद्बंदी रहने वाले राणा दम्पति पहले से ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व भाजपा के पक्ष में है. ऐसे में अब अडसूल पिता-पूत्र व राणा दम्पति लगभग एक ही खेमेे में है और दोनों ही परिवारों द्बारा अमरावती संसदीय सीट पर दावा ठोंका जा रहा है. विगत दो संसदीय चुनाव में पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल व मौजूदा सांसद नवनीत राणा आमने सामने थे. जिसमें से पहला चुनाव तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल ने जीता था और वर्ष 2019 मेें का चुनाव अडसूल को पराजीत कर नवनीत राणा ने जीता था. इन दोनों चुनावों के दौरान राणा और अडसूल के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हुए थे और दोनों के बीच अच्छी खासी कटूता भी चली आ रही है. वहीं अब दोनों ही एक ही खेमे में रहकर अमरावती संसदीय सीट पर दावा कर रहे है. उधर शिवसेना यानि उद्धव ठाकरे पिछले चुनाव भाजपा के साथ थे तथा भाजपा सेना युती ने हमेशा ही कांगे्रस व राकांपा के खिलाफ चुनाव लडा. लेकिन विगत विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे ने भाजपा का साथ छोडकर कांग्रेस व राकांपा का दामन थाम लिया था और वे महाविकास आघाडी में शामिल हो गए थे तथा अब तक कांग्रेस व राकांपा के साथ ही बने हुए है. हालांकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का एक बडा धडा ठाकरे से अलग होकर भाजपा के साथ आ गया है और शिंदे गुट ने शिवसेना पार्टी का नाम व चुनावी चिन्ह निर्वाचन आयोग के जरिए हासिल कर लिया है. ऐसे में अब शिंदे गुट ही कानूनी तौर पर असली शिवसेना है और शिंदे गुट की ओर से पूर्व सांसद अडसूल द्बारा अपनी परंपरागत सीट पर दावा किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर ठाकरे गुट वाली शिवसेना द्बारा अमरावती संसदीय सीट को अपने अधिकारवाली सीट बताया जा रहा है. साथ ही विगत चुनाव में इस सीट कोे भाजपा सेना की युती और तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल से छीनने में कामयाब रहने वाली नवनीत राणा अबकी बार भाजपा-शिंदे गुट महायुती की ओर से प्रत्याशी रहने का दावा ठोंक रही है. इन सबके अलावा विगत दिनों अमरावती के दौरे पर आए शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के समक्ष जिले की तेज तर्रार कांग्रेस नेत्री यशोमति ठाकुर ने इस सीट पर कांग्रेस की दावेदारी रहने का दावा ठोंक दिया है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, आखिर अमरावती संसदीय सीट पर किसका दावा चलता है और इस दावेदारी के बाद मतदाताओं की अदालत में किसके दावे पर जीत की मुहर लगती है.