अबीर और गुलाल लगाने अभी से आतुर हर कोई, बाजार सजे
खरीददारी में टूटेगा हाल के वर्षो का रिकॉर्ड
* शहरी इलाको में गुलाल की मांग अधिक
* आदिवासी अंचल व एमी में अभी भी रंगो का इस्तेमाल
* पिछले वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत दाम बढे
* एके-47, बाहुबली, डोरेमॉन की पिचकारियां बाजार में
* मैझिक बलून समेत गुलाल के फॉग व विविध मुखौटे भी उपलब्ध
अमरावती/दि.25- कोरोनाकाल के दौरान होली व दिवाली जैसे सभी पर्व पर जबर्दस्त सन्नाटा पसरा हुआ था. यद्यपि वर्ष 2021 के बीतते-बीतते कोरोना संक्रमण का असर काफी हद तक कम हो गया था. लेकिन संक्रमण को लेकर कुछ हद तक भय बना हुआ था. यहीं वजह है कि, वर्ष 2022 में भी होली का पर्व पहले की तरह हुडदंग से भरा दिखाई नहीं दिया. लेकिन अब सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो गया है और आम जनजीवन भी पूर्ववत होकर पटरी पर लौट आया है. इसके चलते इस बार होली के पर्व को लेकर लोगो में अच्छा खासा उत्साह दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि, अभी होली का पर्व आने में करीब 1 सप्ताह का समय शेष है. लेकिन शहर में अभी से हर ओर रंग, अबीर, गुलाल व पिचकारी सहित विभिन्न आकारों-प्रकारों के मुखौटों व भोंगों की दुकानें सजनी शुरु हो गई है. विशेष उल्लेखनीय है कि, होली का पर्व आते ही रंग खेलने के शौकीन लोगों के कदम अपने आप ही जवाहर गेट परिसर स्थित जयपुरवाला नामक दुकान की ओर बढने लगते है. क्योंकि जयपुरवाला द्बारा विगत 100 वर्षों से अधिक समय से बेहतरीन गुणवत्ता वाले रंग व गुलाल विक्री हेतु उपलब्ध कराए जाते है. जयपुरवाला के मुताबिक विगत कुछ वर्षों से शहरी क्षेत्र मेें अबीर व गुलाल के प्रयोग का चलन बढ गया है. वहीं ग्रामीण इलाकों विशेष कर मेलघाट के आदिवासी अंचल व मध्यप्रदेश में आज भी रंगों का ही होली पर जमकर प्रयोग होता है.
होली का त्यौहार आते ही बच्चों से लेकर बूढों तक सभी में उत्साह नजर आता है. महाशिवरात्रि का पर्व समाप्त होते ही होली की तैयारियां शुरु हो जाती है. फागुन का महिना शुरु होते ही होली की धूमधाम सभी तरफ श्ाुरु हो जाती है. इस कारण बाजार भी सजने लगते है. शहर के एक शतक से अधिक पुरानी जवाहर गेट स्थित जयपुरवाला रंग व गुलाल की दुकान इसके लिए विख्यात है. 125 वर्ष पुराने इस प्रतिष्ठान में विविध रंग व गुलाल समेत पिचकारी, मुखौटें, बलून आदि सभी वस्तुओं की बिक्री होती है. यहां से अमरावती जिले की हर तहसील सहित विदर्भ के अन्य जिलों व मध्यप्रदेश में माल जाता है.
दुकान के संचालक वसीम अहमद जयपुरवाला से अमरावती मंडल व्दारा लिए गए साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि हर वर्ष की तुलना में इस वर्ष रंग, गुलाल, पिचकारी समेत सभी वस्तुओं के दाम में 10 फीसदी बढोतरी हुई है. फागुन मास लगते ही होली का त्यौहार 15 दिनों का रहता है. इस दौरान विभिन्न जिलो सहित अमरावती जिले की हर तहसीलों से लोग बडे उत्साह से आकर रंग, गुलाल, मुखौटे और पिचाकारी की खरीददारी करते है. कोरोनाकाल के बाद इस वर्ष नागरिकों में भारी उत्साह दिखाई दे रहा है. वसीम अहमद ने बताया कि, होली के हर वस्तुओं के प्रोडक्ट उनके व्दारा ही तैयार किए जाते है. वर्षो से नागरिकों को भरोसा रहने के कारण वह निश्चिंत होकर यहां से विविध रंगों के गुलाल, रंग समेत सभी वस्तुओं की खरीदी कर जाते है.
वसीम अहमद ने यह बताया कि, शहरी इलाकों सहित जिले की बडी तहसीलों में पिछले कुछ वर्षो में रंग की बजाए गुलाल की बिक्री अधिक हो रही है. लेकिन मेलघाट के आदिवासी अंचल समेत मध्यप्रेदश में रंगो से ही होली का त्यौहार मनाया जाता है. शहरी इलकों में गुलाल का होली के त्यौहार पर अधिक इस्तेमाल होता रहने से जयपुरवाला प्रतिष्ठान में गुलाल के 14 रंगो के प्रकार है. इसमें हर्बल गुलाल के फॉग भी उपलब्ध है. इसके अलावा रंगो के सिलेंडर के साथ रैपीट, शेर, चिता, भूत के मास्क और मलिंगा, मुर्गा और शाहरुख टोपी (कैप) भी उपलब्ध है. मास्क और टोपी 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक उनके प्रतिष्ठान में उपलब्ध है. इसी तरह विविध प्रकार के गुलाल के पॉउच 70 पैसे से लेकर 120 रुपए तक है.
इसी तरह बच्चों के लिए गुलाल की अलग-अलग पिचकारी के अलावा रंगों की बौछार करने के लिए उनके पास बाहुबली टैंक, पबजी टैंक, डोरेमान टैंक, मिक्की माउस टैंक के अलावा एके-47 गन की पिचकारी भी उपलब्ध है. बच्चों की यह पिचकारी 120 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक विविध रंगों में है.
* गुलाल की बिक्री पूरे वर्ष
जयपुरवाला प्रतिष्ठान के संचालक वसीम अहमद ने बताया कि, होली के त्यौहार को लेकर चार माह पूर्व से तैयारी शुुरु हो जाती है. फागुन माह लगते ही 15 दिनों तक रंगो का व्यवसाय रहता है. शहरी इलाको में नागरिक अब रंग की बजाए गुलाल को अधिक महत्व देते है. गुलाल होली के अलावा पूरे वर्ष विविध कार्यक्रमों के दौरान भी इस्तेमाल किया जाता है. 50 किलो का कट्टा (बोरी) 70 रुपए से लेकर 3500 रुपए तक उनके पास उपलब्ध है.
* मैझिक बलून की मांग
होली के त्यौहार पर बच्चे से लेकर युवाओं तक बलून (फुगे) में गुलाल के विविध रंगो का पारी भरकर उडाया जाता है. 111 नग का मैझिक बलून के पैकेट की मांग बच्चों में अधिक है. इसके अलावा कलर वाले मैझिक ग्लास का भी अधिक चलन है. 2 रुपए से लेकर 120 रुपए प्रति पैकेट तक बलून के प्रकार है.
* हल्के दर्जे के रंग से स्कीन पर असर
व्यवसायी वसीम अहमद ने बताया कि बाजार में होली के अवसर पर अनेक लोग दिल्ली से हल्के दर्जे का माल भी बिक्री के लिए लाते है. इन रंगो का इस्तेमाल करने पर नागरिकों की स्कीन पर इसका असर होता है. इस कारण सभी ने इस बात का ध्यान रखते हुए दर्जेदार रंग और गुलाल का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
* रंग, गुलाल, बलून, पिचकारी के भाव
पिचकारी 120 रुपए से 1200 रुपए तक
रंग 70 पैसे से 120 रुपए तक (प्रति पाउच)
मास्क और टोपी 50 रुपए से 500 रुपए तक
गुलाल 70 रुपए से 3500 रुपए तक (50 किलो)
बलून (फुगे) 2 रुपए से लेकर 120 रुपए तक (प्रति पैकेट)