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शिवजी की जटाओं की तरह उलझा हुआ है सभी का जीवन, सुलझाने का काम शिवजी पर छोड दे

शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिन पं. प्रदीप मिश्रा का कथन

* सफल जीवन एवं स्वस्थ गृहस्थी का बताया मूल मंत्र
* भक्ति मार्ग पर चलते रहने की सभी को दी सलाह
* कथा समाप्ति पश्चात लाखों भाविकों ने साश्रू नयनों से दी पंडितजी को विदाई
अमरावती /दि.20– यह जीवन और पूरी दुनिया शिवजी की जटाओं की तरह उलझे हुए है. खुद माता पार्वती को एक हजार साल तक प्रयास करने के बावजूद भी शिवजी की जटाओ को सुलझाने में सफलता नहीं मिली थी. ऐसे में यदि हम जीवन की तमाम जटिलताओं और उलझनों को खुद सुलझाने का प्रयास करेंगे, तो शायद हमारे कई जीवन भी कम पड जाएंगे. अत: ज्यादा बेहतर है कि, खुद को भगवान भोलेनाथ की भक्ति के मार्ग पर समर्पित करते हुए जीवन की उलझनों को सुलझाने का जिम्मा देवाधिदेव महादेव पर सौप दिया जाये. इस आशय का प्रतिपादन अंतरराष्ट्रीय कथा प्रवक्ता पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा किया गया.
समिपस्थ भानखेडा रोड स्थित हनुमान गढी में विगत 16 दिसंबर से चल रही पांच दिवसीय शिवमहापुराण कथा के पांचवे और अंतिम दिन कथा की यात्रा को आगे बढाते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने उपस्थित भाविकों को सफल जीवन एवं सुखी गृहस्थी का भी शास्त्रोक्त राज बताया और माता पार्वती व भगवान शिव की कथा सुनाते हुए कहा कि, कई बार महिलाओं द्वारा पुरुषों के काम में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हुए उनकी उलझनों को सुलझाने का काम अपने हाथ में लेने का प्रयास किया जाता है. लेकिन इससे मामला सुलझने की बजाय कभी-कभी और भी ज्यादा उलझ जाता है. ऐसे में सुखी गृहस्थ जीवन के लिए बेहद जरुरी है कि, महिलाओं द्वारा अपने घर के पुरुषों के मामलों व कामों में हस्तक्षेप न किया जाये. साथ ही बिना वजह की बातों को लेकर अनावश्यक जिद भी न की जाये. इस समय पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, प्रत्येक व्यक्ति फिर वह चाहे अमीर हो या गरीब, अपने परिवार के सदस्यों की जरुरतों को पूरा करने का हर संभव प्रयास करता है. ऐसे में घर की महिलाओं को चाहिए कि, वे पुरुषों द्वारा की जाने वाली मेहनत का सम्मान करते हुए घर में जो कुछ भी आ रहा है, उसे लेकर संतोष व समाधान भी व्यक्त करें. इससे पुरुषों को परिवार की बेहतरी के लिए और भी अधिक काम करने व धन अर्जित करने की प्रेरणा मिलेगी. वहीं अनावश्यक मांगों को लेकर जिद करने की वजह से घर में कलह वाली स्थिति बनती है और जो कुछ कामकाज चल रहा है, वह भी बिगड जाता है. साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने पुरुष श्रद्धालुओं को भी सलाह दी कि वे अपनी घर की महिलाओं का समर्पित भाव से सम्मान व आदर करें, क्योंकि परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, घर की महिलाएं कभी अपने घर के पुरुषों का साथ नहीं छोडती.
इस समय अपने संबोधन में भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, भगवान भोलेनाथ का भंडारा कभी खत्म नहीं होता. जो लोग अमरनाथ की यात्रा पर जाकर आये है, उन्हें इसका बखूबी अंदाजा है. साथ ही जहां-जहां शिवमहापुराण की कथा का आयोजन होता है. वहां पर भी यह अनुभव सभी को होता है. यहां अमरावती में भी शिवमहापुराण कथा के आयोजन दौरान 130 चूल्हों वाले रसोईघर में रोजाना लाखों लोगों का भोजन तैयार हो रहा है और हर दिन लाखों लोग भोजन प्रसाद पा रहे है. अनाज कहां से आ रहा है और कितने लोग भोजन कर रहे है, इसकी कोई गिनती भी नहीं है. साथ ही सबसे बडी बात यह भी है कि, पूरे पांच दिन के दौरान ऐसा कभी नहीं हुआ कि, किसी के लिए भोजन कम पड गया हो, या कोई यहां पर भूखा रह गया हो, ऐसा इसलिए है क्योंकि शिवमहापुराण कथा आयोजन खुद भगवान भोलेनाथ द्वारा कराई जाती है और वे खुद भी भाविक श्रद्धालुओं के बीच बैठकर कथा का श्रवण भी करते है, तो जब आयोजनस्थल पर खुद शिवतत्व की मौजूदगी हो, तो किसी भी तरह की कोई कमी नहीं हो सकती.
इसके साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने यह भी कहा कि, कथा आयोजन शुरु होने से पहले ही अमरावती में तेज ठंड का मौसम शुरु हो गया था और कई लोग इस बात को लेकर संदेह जता रहे थे कि, पहाडीवाले स्थान पर कडाके की ठंड के बीच आयोजित कथा में लोग कैसे पहुंचेंगे. ेलेकिन जिनके आराध्य भगवान भोलेनाथ बर्फ वाली गुफा और कैलाश पर्वत पर विराजमान है, तो उनके भक्त भी ठंड की फिक्र किये बिना अपने आराध्य की कथा सुनने श्री शिवाय नमस्त्युभ्यम् कहते हुए बेफिक्र होकर चल दिये और कथास्थल पर पहुंच गये.
इन दिनों परिवारों में रहने वाले कलह को लेकर अपना दुख जताते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, कई परिवारों में युवाओं द्वारा अपने माता-पिता पर हाथ उठा दिया जाता है. यह सबसे बडा पाप है. हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि, माता-पिता एक तरह से मां पार्वती व भगवान शिव की प्रतिरुप होते है. जिनके साथ मारपीट करना, तो दूर उनकी कहीं पर भी नींदा नहीं करनी चाहिए, अन्यथा माता पार्वती व भगवान भोलेनाथ का अपमान करने के बराबर पाप लगता है अत: सभी को चाहिए कि, वे अपने माता-पिता सहित बुजुर्गों का यथायोग्य सम्मान करें. साथ ही अपने आप को भक्ति मार्ग पर समर्पित करें, तभी जीवन सार्थक हो सकता है और पुण्यलाभ का संचय होने पर मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्त हो सकती है.
अपने इन्हीं विचारों के साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने कथा आयोजन के पांचवे व अंतिम दिन कथा को पूर्णविराम देते हुए कथा समापन किया. कथा समाप्ति की घोषणा होते ही कथा पंडाल में उपस्थित लाखों भाविकों की आंखों से अश्रूधारा बह निकली और सभी ने साश्रू नयनों से पं. प्रदीप मिश्रा को विदाई दी.
* आचार्य जितेंद्र महाराज भी पहुंचे कथा सुनने
पांचवे व अंतिम दिन की कथा सुनने हेतु अंजनगांव सुर्जी स्थित श्री देवनाथ पीठ के पीठाधीश्वर परमपुण्य आचार्य जितेंद्रनाथ महाराज भी हनुमान गढी स्थित कथा पंडाल में पहुंचे. जिनका श्री हनुमान चालीसा चैरिटेबल ट्रस्ट के मुख्य संरक्षक लप्पी जाजोदिया ने भावपूर्ण स्वागत किया. साथ ही लप्पी जाजोदिया ने आचार्य जितेंद्रनाथ महाराज के साथ बैठकर ही अंतिम दिन की कथा के श्रवण का आनंद लिया.

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